संदर्भ:

हाल ही में, G-20 नेताओं का शिखर सम्मेलन रियो डी जनेरियो (ब्राजील) में आयोजित हुआ।

अन्य संबंधित जानकारी:

  • G-20 शिखर सम्मेलन 2024 का विषय: “एक न्यायपूर्ण विश्व और एक सतत् ग्रह का निर्माण”

G-20 शिखर सम्मेलन के मुख्य परिणाम:  

(I) भूख और गरीबी के विरुद्ध वैश्विक गठबंधन:

  • यह ब्राजील द्वारा समर्थित एक पहल है।
  • यह पहल उन देशों को एक मंच प्रदान करेगी जिन्हें भूख और गरीबी उन्मूलन के लिए लक्षित सार्वजनिक नीतियों में सहायता की आवश्यकता है। इसमें ऐसे साझेदार शामिल होंगे जो विशेषज्ञता या वित्तीय सहायता प्रदान करने के इच्छुक हैं। 
  • इस गठबंधन में भारत सहित 81 देश शामिल हैं। इसमें 26 अंतर्राष्ट्रीय संगठन, 9 वित्तीय संस्थान एवं 31 परोपकारी संस्थाएँ और गैर-सरकारी संगठन भी शामिल हैं।
  • इस गठबंधन को सदस्य देशों के साथ-साथ विश्व बैंक, यूएन-एफएओ (UN-FAO) और यूनिसेफ जैसी अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से वित्तीय सहायता प्राप्त होती है। इसके संचालन के लिए प्रति वर्ष 2-3 मिलियन डॉलर की आवश्यकता होती है।    

(II) अति-धनवानों पर कर लगाना: सम्मेलन में अति-धनवानों पर प्रगतिशील और प्रभावी कर लगाने पर सहमति व्यक्त की गई।   

  • यह निर्णय ब्राज़ील के राष्ट्रपति की एक महत्वपूर्ण पहल है। इसका उद्देश्य वैश्विक असमानता को दूर करना तथा गरीबी और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए धन जुटाना है। 

(III) सतत विकास लक्ष्यों में एक नए सतत विकास लक्ष्य का समावेशन: इस शिखर सम्मेलन में आधिकारिक तौर पर एक नया सतत विकास लक्ष्य SDG 18: ‘जातीय-सामाजिक समानता’ जोड़ा गया। यह सतत विकास लक्ष्य समानता और सतत वैश्विक विकास के साथ संरेखित है।  

(IV) नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण पर फोकस: शिखर सम्मेलन में नवीकरणीय ऊर्जा संक्रमण और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निरंतर निवेश पर भी जोर दिया गया। लेकिन जीवाश्म ईंधन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने (COP-28 में इस पर प्रकाश डाला गया था) की पुष्टि नहीं की गई।

(V) जलवायु वित्त में कोई प्रगति नहीं:

  • सम्मेलन में समृद्ध देशों द्वारा गरीब विकासशील देशों को दिए जाने वाले अंशदान के लिए एक नया वित्तीय लक्ष्य तय करने की आवश्यकता जताई गई।  
  • इस समझौते के लिए अज़रबैजान में संयुक्त राष्ट्र COP29 जलवायु परिवर्तन बैठक के अंत तक की समय सीमा निर्धारित की गई।      
  • सम्मेलन में केवल इस बात को स्वीकार किया गया कि सभी स्रोतों से जलवायु वित्त को अरबों से खरबों तक बढ़ाने की आवश्यकता है।  
  • महत्वपूर्ण बात यह है कि सम्मेलन में इस बात का कोई उल्लेख नहीं किया गया कि खरबों डॉलर की आपूर्ति कौन करेगा।    

(VI) शांति वार्ता की दिशा में प्रयास:

  • चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ब्राजील के साथ मिलकर यूक्रेन को रूस के साथ शांति वार्ता में शामिल होने पर जोर दिया। उन्होंने G-20 से युद्ध को शांत करने में मदद करने का आग्रह किया।   
  • अपने समापन वक्तव्य में, G-20 नेताओं ने यूक्रेन में व्यापक, न्यायसंगत और दीर्घकालिक शांति का समर्थन करने वाली सभी प्रासंगिक और रचनात्मक पहलों के लिए समर्थन व्यक्त किया।   

(VII) संघर्ष क्षेत्रों में युद्ध विराम का आह्वान:

  • G-20 के नेताओं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका और अर्जेंटीना जैसे कट्टर इजरायल समर्थक तथा तुर्की जैसे अधिक फिलीस्तीनी समर्थक देश शामिल हैं, ने गाजा और लेबनान में व्यापक युद्धविराम का आह्वान किया है।
  • उन्होंने कहा कि गाजा युद्ध विराम संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के अनुरूप होना चाहिए, जिसमें हमास द्वारा सभी बंदियों को रिहा करने के बदले में क्षेत्र में स्थायी युद्ध विराम की मांग की गई है।
  • इसने लेबनान में भी युद्धविराम की मांग की, जिससे ब्लू लाइन (जो लेबनानी और इजरायली सशस्त्र सैनिकों को अलग करती है) के दोनों ओर के निवासियों को सुरक्षित रूप से अपने घरों में लौटने की अनुमति मिल सके।

G-20 शिखर सम्मेलन में भारत की भूमिका

  • दृष्टिकोण: ‘बैक टू बेसिक्स एंड मार्च टू द फ्यूचर’।   
  • वर्ष 2014 से अब तक भारत ने 250 मिलियन लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है और देश में 800 मिलियन लोगों को मुफ्त खाद्यान्न वितरित किया है। इसके अतिरिक्त, भारत अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने और उसे सुदृढ़ करने में सहायता प्रदान करेगा।  
  • भारत पोषण पर भी ध्यान केंद्रित करता है। सक्षम आंगनवाड़ी और पोषण 2.0 अभियान, जो एक एकीकृत पोषण सहायता कार्यक्रम है, विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं, नवजात शिशुओं, 6 वर्ष से कम उम्र के बच्चों और किशोरियों के पोषण पर ध्यान केंद्रित करता है।
  • भारत ने 2000 से अधिक जलवायु-अनुकूल फसल किस्में विकसित की हैं तथा ‘डिजिटल कृषि मिशन’ शुरू किया है।  
  • रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व संकट जैसे वैश्विक संघर्षों के कारण उत्पन्न खाद्य, ईंधन और उर्वरक संकट ने वैश्विक दक्षिण (ग्लोबल साउथ) के देशों को सबसे अधिक प्रतिकूल रूप से प्रभावित किया है।           

G-20 संगठन            

यह विश्व में आर्थिक सहयोग और स्थिरता के लिए अंतर्राष्ट्रीय मंच है।

स्थापना और विकास:

  • वर्ष 1999 में एशियाई वित्तीय संकट के बाद वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक गवर्नरों के लिए वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा करने हेतु एक मंच के रूप में G-20 की स्थापना की गई थी। 
  • 2007 के वैश्विक आर्थिक और वित्तीय संकट के परिणामस्वरूप, वर्ष 2008 में G-20 को राष्ट्राध्यक्षों और सरकारी प्रमुखों के स्तर पर उन्नत किया गया था।
  • वर्ष 2009 में इसे अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच घोषित किया गया।
  • वर्ष 2023 में अफ्रीकी संघ (African Union) को G-20 में स्थायी सदस्यता प्रदान की गई। 

वैश्विक शासन में भूमिका: यह वैश्विक शासन को सशक्त बनाने और दिशा देने के साथ-साथ, सभी प्रमुख अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक संरचना को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।          

सदस्य: अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, जर्मनी, फ्रांस, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूसी संघ, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन और अमेरिका।    

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