संदर्भ :

हाल ही में,कृषि एवं किसान कल्याण विभाग ने e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) के तहत व्यापार का दायरा बढ़ाने के लिए 10 नई कृषि वस्तुओं को जोड़ा है ।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह अतिरिक्त 10 व्यापारिक मापदंड कृषि क्षेत्र के आधुनिकीकरण के लिए सरकार के निरंतर प्रयासों के अनुरूप हैं, जो अधिक समावेशिता, दक्षता और बाजार पारदर्शिता को सुनिश्चित करेंगे।
  • विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय (DMI) ने 10 वस्तुओं के लिए व्यापार योग्य मापदंड तैयार किए हैं, जिससे कुल व्यापार योग्य वस्तुओं की संख्या 231 हो गई है। यह अद्यतन सूची e-NAM प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी।

10 नई जोड़ी गई वस्तुओं की सूची

विविध वस्तुएं:

1. सूखे तुलसी के पत्ते

2. बेसन (चने का आटा)

3. गेहूं का आटा

4. चना सत्तू (भुना हुआ चना आटा)

5. सिंघाड़े का आटा

मसाले:

6. हींग

7. सूखे मेथी के पत्ते

सब्ज़ियाँ:

8. सिंघाड़ा

9. बेबी कॉर्न

फल:

10. ड्रैगन फ्रूट

विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय (DMI)

  • DMI की स्थापना 1935 में कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के एक संबद्ध कार्यालय के रूप में की गई थी।  
  • निदेशालय का नेतृत्व भारत सरकार के कृषि विपणन सलाहकार करते हैं।
  • प्रमुख कार्यालय: – फरीदाबाद (हरियाणा); शाखा प्रधान कार्यालय: – नागपुर (महाराष्ट्र)।
  • यह केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच घनिष्ठ संपर्क बनाए रखता है।
  • DMI का कार्य देश में कृषि एवं अन्य संबद्ध उत्पादों के विपणन के एकीकृत विकास के लिए कृषि विपणन नीतियों एवं कार्यक्रमों का क्रियान्वयन करना है।
  • DMI को e-NAM (राष्ट्रीय कृषि बाजार) प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कृषि वस्तुओं के लिए व्यापार योग्य मापदंड विकसित करने का काम सौंपा गया है।

e-NAM प्लेटफॉर्म

2016 में इसका शुभारंभ किया गया। यह एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक व्यापार पोर्टल है, जो कृषि वस्तुओं के लिए एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाने के लिए सभी कृषि उपज बाजार समिति (APMC) मंडियों के लिए एकल-खिड़की सेवाएं प्रदान करता है।

  • APMC की स्थापना राज्य सरकार द्वारा मॉडल कृषि उपज और पशुधन विपणन (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2017 (APLM Act) के तहत कृषि और मत्स्यपालन उपज के विपणन को विनियमित करने के लिए की गई है।

यह कोई समानांतर विपणन संरचना नहीं है। यह ऑनलाइन सुलभ भौतिक मंडियों का एक राष्ट्रीय नेटवर्क स्थापित करने के साधन के रूप में कार्य करता है।

इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं को स्थिर मूल्य और गुणवत्तापूर्ण उत्पाद की उपलब्धता को बढ़ावा देना है।

यह पूरी तरह से केन्द्र सरकार द्वारा वित्त पोषित है और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के तत्वावधान में लघु कृषक कृषि- व्यवसाय संघ3 (SFAC) द्वारा कार्यान्वित किया जाता है।

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