संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने सिविल सेवा परीक्षा में अपने छात्रों की सफलता के बारे में भ्रामक विज्ञापन देने के लिए एक लोकप्रिय IAS कोचिंग संस्थान पर जुर्माना लगाया है।
अन्य संबंधित जानकारियाँ
- CCPA ने पाया कि कोचिंग संस्थान ने इच्छानुसार विशिष्ट पाठ्यक्रम जानकारी को छुपाया, जिससे सिविल सेवा परीक्षा में उसकी सफलता दर के बारे में भ्रामक धारणा बनी।
- CCPA ने इस बात पर प्रकाश डाला कि उपभोक्ताओं के लिए पाठ्यक्रम और कोचिंग संस्थान/प्लेटफॉर्म का चयन करते समय सूचित निर्णय लेने के लिए पाठ्यक्रम का विस्तृत विवरण होना आवश्यक है।
- यह जुर्माना कोचिंग उद्योग में भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं पर CCPA की व्यापक कार्रवाई का हिस्सा है।
- अब तक CCPA ने भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओ के लिए विभिन्न कोचिंग संस्थानों को 46 नोटिस जारी किया हैं और उनमें से 23 पर 74.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
CCPA के बारे में
केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) भारत का सर्वोच्च उपभोक्ता निगरानी निकाय है। इसकी स्थापना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 की धारा 10(1) के तहत की गई थी और इसने 24 जुलाई, 2020 से कार्य करना शुरू किया।
इसे उपभोक्ताओं के अधिकारों के उल्लंघन, अनुचित व्यापार प्रथाओं तथा झूठे या भ्रामक विज्ञापनों से संबंधित मामलों को विनियमित करने का कार्य सौंपा गया है, जो कि एक वर्ग के रूप में उपभोक्ताओं और आम जनता के हितों के लिए हानिकारक हैं।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत CCPA की शक्तियाँ और कार्य इस प्रकार हैं:
- अधिनियम के अंतर्गत उपभोक्ता के अधिकारों की सुरक्षा, संवर्धन और प्रवर्तन करना।
- अनुचित व्यापार प्रथाओं और भ्रामक विज्ञापनों को प्रतिबंधित करना।
- प्रभावित उपभोक्ताओं की ओर से उपभोक्ता आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज करना।
- झूठे विज्ञापनों के निर्माताओं, सेवा प्रदाताओं और समर्थकों पर जुर्माना लगाना।
- उपभोक्ता के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उपभोक्ता के कल्याण संबंधी उपायों पर सरकारी निकायों को सलाह देना।
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के बारे में
- उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 ने उभरते उपभोक्ता परिदृश्य को संबोधित करने के लिए 1986 अधिनियम को प्रतिस्थापित किया।
- यह भ्रामक विज्ञापनों और अनुचित व्यापार प्रथाओं के विरुद्ध कड़े प्रावधान प्रस्तुत करता है, तथा उपभोक्ता संरक्षण के लिए एक मजबूत ढाँचा प्रदान करता है।
अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ:
- भ्रामक विज्ञापनों की परिभाषा: धारा 2(28) भ्रामक विज्ञापनों को ऐसे विज्ञापनों के रूप में परिभाषित करती है, जो उत्पादों या सेवाओं का गलत वर्णन करते हैं, झूठी गारंटी देते हैं या महत्वपूर्ण जानकारी को छिपाते हैं।
- CCPA की शक्तियाँ: धारा 21 झूठे या भ्रामक विज्ञापनों पर नकेल कसने के लिए CCPA को दी गई शक्तियों को परिभाषित करती है। यदि CCPA जांच के बाद संतुष्ट हो जाता है, तो वह भ्रामक विज्ञापनों को बंद करने या संशोधित करने का आदेश दे सकता है।
- इसके अलावा, यह भ्रामक और धोखाधड़ी वाले विज्ञापन के निर्माता या समर्थक को 10 लाख रुपये तक का जुर्माना और अधिकतम दो साल की जेल की सजा दे सकता है। पुन: अपराध करने पर अधिकतम 50 लाख रुपये का जुर्माना और पांच साल की जेल की सजा हो सकती है।
- उपभोक्ता अधिकार: इस अधिनियम की धारा 2(9) भारत में प्रत्येक उपभोक्ता के लिए 6 आवश्यक उपभोक्ता अधिकार प्रदान करती है। ये निम्नलिखित हैं –
- सुरक्षा का अधिकार
- सूचना का अधिकार
- चयन का अधिकार
- सुनवाई का अधिकार
- निवारण का अधिकार
- उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस
- उपभोक्ता अधिकारों और जिम्मेदारियों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए भारत में प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।
- यह वह दिन है, जब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिली और इसे अधिनियमित किया गया।
- हाल ही में, राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2024 को “वर्चुअल सुनवाई और उपभोक्ता न्याय तक डिजिटल पहुँच” विषय के साथ मनाया गया।
- उपभोक्ता अधिकारों और जरूरतों के बारे में वैश्विक जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रति वर्ष 15 मार्च को विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया जाता है।