संबंधित पाठ्यक्रम : 

सामान्य अध्ययन प्रश्नपत्र 3: विभिन्न सुरक्षा बल और संस्थाएं तथा उनके अधिदेश। 

संदर्भ:

CAPFs में आईपीएस अधिकारियों की प्रतिनियुक्ति धीरे-धीरे कम करने के सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बावजूद, गृह मंत्रालय उन्हें वरिष्ठ (उच्च) पदों पर नियुक्त कर रहा है।

अन्य संबंधित जानकारी 

  • 23 मई, 2025 को CAPF अधिकारियों को संगठित सेवा का दर्जा देने संबंधी सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के बाद से गृह मंत्रालय ने कम से कम आठ आईपीएस अधिकारियों को CAPF के वरिष्ठ पदों पर नियुक्त किया है।
  • वर्तमान में, CAPF में उप महानिरीक्षक (DIG) के 20% और महानिरीक्षक (IG) के 50% पद आईपीएस अधिकारियों के लिए आरक्षित हैं।
  • चूंकि ये कोटा CAPF अधिकारियों की पदोन्नति प्रक्रिया में बाधा बनते हैं अतः काफी समय से गृह मंत्रालय के इस कदम की आलोचना की जा रही है।

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs)

केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPFs) गृह मंत्रालय, नई दिल्ली के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है।

CAPF का नेतृत्व डीजीपी रैंक के अधिकारी करते हैं।

CAPF में विभिन्न बल शामिल हैं जैसे:

  • असम राइफल (AR)
  •  सीमा सुरक्षा बल (BSF)
  • केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF)
  • केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF)
  • भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP)
  • राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG) 
  • सशस्त्र सीमा बल (SSB)

वर्तमान में, विभिन्न CAPFs के भर्ती नियमों (Recruitment Rules) के अनुसार, DIG स्तर पर 20-25% पद, IG स्तर पर 50% और ADG स्तर पर 75% पदों आईपीएस अधिकारियों कार्यरत हैं।

शेष पदों पर कार्यकारी-कैडर, सामान्य ड्यूटी, सीधे भर्ती किए गए CAPF अधिकारी (DRs) या रैंक से पदोन्नत अधिकारी कार्यरत हैं।

सीधे भर्ती हुए CAPF अधिकारियों  को एक संयुक्त परीक्षा के माध्यम से ग्रुप- A अधिकारियों के रूप में भर्ती किया जाता है और 05 विभिन्न CAPFs को आवंटित किया जाता है।

CAPF अधिकारियों को संगठित समूह A सेवाओं के रूप में मान्यता देने का घटनाक्रम:

छठा केंद्रीय वेतन आयोग (2008): सुधारों की दिशा में एक कदम: छठे केंद्रीय वेतन आयोग (2006-08) ने वेतन संशोधन से आगे बढ़कर संस्थागत सुधारों की वकालत की। इसकी  प्रमुख सिफारिशें इस प्रकार थीं:

  • ग्रुप A अधिकारियों के बीच ठहराव को कम करने के लिए गैर-कार्यात्मक वित्तीय उन्नयन (NFFU) की शुरुआत करना। 
  • अन्य सिविल सेवाओं के साथ समानता सुनिश्चित करने के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) को संगठित ग्रुप ए सेवा (OGAS) का दर्जा देना।

कार्यान्वयन में देरी और कानूनी संघर्ष: इन सिफारिशों के बावजूद, उत्तरवर्ती सरकारें सुधारों को पूरी तरह से लागू करने में विफल रहीं, जिससे CAPF अधिकारियों को अन्य सेवाओं के लिए उपलब्ध संरचनात्मक लाभों से वंचित होना पड़ा।

इस बहिष्कार के कारण कई कानूनी चुनौतियाँ पैदा हुईं, जिसकी परिणति ऐतिहासिक हरनंदा निर्णय (2019) में हुई, जहाँ सर्वोच्च न्यायालय ने CAPF को केवल NFFU लाभों के लिए OGAS के रूप में मान्यता दी, जिससे कैडर नीतियाँ अनसुलझी रह गईं।

संजय प्रकाश निर्णय (2025): विलंबित अस्पष्टता को अंततः संजय प्रकाश एवं अन्य बनाम भारत संघ एवं अन्य (मई 2025) में हल किया गया, जहाँ सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से CAPF अधिकारियों को OGAS के भाग के रूप में मान्यता दी तथा सभी संबद्ध सेवा लाभों के लिए उनके अधिकार की पुष्टि की।

न्यायालय ने स्पष्ट निर्देश जारी किए:

  • सभी CAPFs के लिए कैडर समीक्षा छह महीने के भीतर पूरी की जानी चाहिए।
  • गृह मंत्रालय द्वारा कैडर प्रतिनिधियों के परामर्श से उसी समय सीमा के भीतर भर्ती नियमों की समीक्षा की जानी चाहिए।
  • आंतरिक पदोन्नति को बढ़ावा देने के लिए CAPFs में वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड (SAG) स्तर तक प्रतिनियुक्ति पदों (Deputation Posts ) को दो वर्षों में उत्तरोत्तर कम किया जाना है।
  • कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग को रिपोर्ट प्राप्त होने के तीन महीने के भीतर उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।

फैसले के निहितार्थt

  • कैरियर गतिशीलता: OGAS के रूप में मान्यता निष्पक्ष पदोन्नति के द्वार खोलती है, जो लंबे समय से चली या रहे ठहराव को संबोधित करती है।
  • नीतिगत सुधार: अनिवार्य कैडर समीक्षा एक तर्कसंगत, न्यायसंगत ढांचे की शुरुआत कर सकती है जो CAPF अधिकारियों की परिचालन मांगों और बलिदानों को प्रतिबिंबित करती है।
  • मनोबल में वृद्धि: लगभग 18,000 अधिकारी, जिनमें से कई संवेदनशील क्षेत्रों में तैनात हैं, को अब संस्थागत मान्यता और सम्मान प्राप्त होगा।
  • प्रशासनिक न्याय: न्यायालय का हस्तक्षेप वर्दीधारी कर्मियों के लिए अनुच्छेद 14 और 16 के तहत समानता के संवैधानिक वादे की पुष्टि करता है।

स्रोत : The Hindu 

https://www.thehindu.com/news/national/ips-appointments-in-capfs-continue-despite-supreme-court-order-against-the-move/article69769448.ece

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