संदर्भ:
हाल ही में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिए जैव प्रौद्योगिकी हेतु BioE3 नीति को मंजूरी दी।
नीति की मुख्य विशेषताएं
- BioE3 नीति का उद्देश्य उच्च प्रदर्शन वाले जैव विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
- यह नीति 2047 तक विकसित भारत की मांगों को पूरा करने के लिए पारंपरिक आपूर्ति विधियों को जैव-प्रौद्योगिकीय समाधानों से प्रतिस्थापित करने के बजाय उन्हें पूरक बनाने के लिए तैयार की गई है।
- इस नीति का उद्देश्य भविष्य की पुनर्कल्पना करने तथा खाद्य, जलवायु, ऊर्जा, रसायन और स्वास्थ्य में चुनौतियों का समाधान करने के लिए अधिक परिष्कृत पुनर्चक्रण प्रक्रियाएं, बेहतर सामग्री और जैव-विनिर्माण तकनीकें लागू करना है।
- ‘नेट जीरो’ कार्बन अर्थव्यवस्था और ‘पर्यावरण के लिए जीवनशैली’ जैसी पहलों को और मजबूत करेगी तथा ‘सर्कुलर बायोइकोनॉमी’ को बढ़ावा देकर भारत को त्वरित ‘हरित विकास’ के पथ पर आगे ले जाएगी ।
BioE3 नीति निम्नलिखित रणनीतिक/विषयगत क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करेगी:
- उच्च मूल्य वाले जैव-आधारित रसायन
- बायोपॉलिमर और एंजाइम
- स्मार्ट प्रोटीन और कार्यात्मक खाद्य पदार्थ
- परिशुद्धता जैवचिकित्सा
- जलवायु अनुकूल कृषि
- कार्बन कैप्चर और उसका उपयोग
- समुद्री एवं अंतरिक्ष अनुसंधान।
नीति में तीन कार्यान्वयन रणनीतियों की रूपरेखा दी गई है:
- खोज और एकीकृत अनुसंधान नेटवर्क
- मौजूदा अंतराल को पाटना
- जैव-सक्षम केन्द्रों की स्थापना करना।
नीति का महत्व
- यह सकल घरेलू उत्पाद (GDP) वृद्धि को बढ़ावा देने, नए रोजगार के अवसर पैदा करने और पर्यावरण को लाभ पहुंचाने के लिए नई प्रौद्योगिकियों को अपनाता है।
- यह बायोमैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं, बायो-एआई हब और बायोफाउंड्रीज़ की स्थापना करके तकनीकी विकास और व्यावसायीकरण को गति देगा।
- नीति में एक ऐसे भविष्य की परिकल्पना की गई है जो अधिक संधारणीय , नवीन तथा जलवायु परिवर्तन, असंतुलित भौतिक उपभोग और अपशिष्ट उत्पादन जैसी वैश्विक चुनौतियों के प्रति उत्तरदायी होगा।