संदर्भ:
हाल ही में, फिलीपींस के राष्ट्रपति ने दक्षिण चीन सागर में देश के समुद्री क्षेत्रों और संसाधनों पर अधिकार का विस्तार करने के लिए दो कानूनों पर हस्ताक्षर किए ।
अन्य संबंधित जानकारी
- फिलीपींस के राष्ट्रपति ने समुद्री क्षेत्र अधिनियम (Philippine Maritime Zones Act ) और द्वीपसमूह समुद्री लेन अधिनियम (Philippine Archipelagic Sea Lanes Act) नामक कानूनों पर हस्ताक्षर किए।
- फिलीपींस का दावा है कि ये कानून संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (UNCLOS) का अनुपालन करते हैं।
- इन कानूनों के कारण फिलीपींस को दक्षिण चीन सागर में सम्पूर्ण समुद्री मार्ग पर चीन के दावे को अस्वीकार करने का अधिकार मिल गया है।
फिलीपींस के कानून के बारे में
- फिलीपींस समुद्री क्षेत्र अधिनियम : यह फिलीपींस के समुद्री क्षेत्रों और संसाधनों की सीमाओं को निर्धारित करता है और उनकी पुष्टि करता है जिसमें इसका विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) भी शामिल है। यह संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून सम्मेलन (1982 ) के तहत अपनी संप्रभुता का भी दावा करता है।
- फिलीपींस द्वीपसमूह समुद्री मार्ग अधिनियम: यह फिलीपींस के द्वीपसमूह में समुद्री मार्ग और हवाई मार्ग निर्धारित करने की अनुमति देता है जहाँ विदेशी जहाज और विमान इसके विनियमन और अंतर्राष्ट्रीय कानून के अनुपालन में पारगमन कर सकते हैं ।
कानूनों पर चीन की राय
- चीन के विदेश मंत्रालय ने इस कदम की निंदा करते हुए इसे ” घरेलू कानून के माध्यम से दक्षिण चीन सागर मध्यस्थता मामले के अवैध फैसले को मजबूत करने का प्रयास ” बताया।
- चीनी विदेश मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह कदम ” दक्षिण चीन सागर में चीन की क्षेत्रीय संप्रभुता और समुद्री अधिकारों और हितों का गंभीर उल्लंघन करता है ।”
दक्षिण चीन सागर विवाद के बारे में
- यह विश्व में सामरिक और आर्थिक दृष्टि से महत्वपूर्ण जलमार्गों में से एक है।
- यह दक्षिण-पश्चिम में मलक्का जलडमरूमध्य से लेकर उत्तर-पूर्व में ताइवान जलडमरूमध्य तक विस्तृत है।
- यह प्रशांत और हिंद महासागर के बीच नौवहन के लिए प्रमुख समुद्री प्रवेश द्वार है।
- यह चीन, ताइवान, फिलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, सिंगापुर, कंबोडिया, थाईलैंड और वियतनाम सहित कई देशों से घिरा हुआ है।
समुद्र पर चीन का दावा: स्कारबोरो शोल (चीन और फिलीपींस के बीच ) के बीच विवाद।
- 9 डैश लाइन: 1947 में चीन की राष्ट्रवादी कुओमिन्तांग पार्टी ने तथाकथित “9 डैश लाइन” वाला एक मानचित्र जारी किया।
- यह चीन की मुख्य भूमि से 2,000 किमी. तक विस्तृत है तथा बीजिंग द्वारा दक्षिण चीन सागर के दावा किए गए जलक्षेत्र और द्वीपों को घेरता है तथा दक्षिण चीन सागर के 90% भाग पर अपना दावा करता है।
- चीन का दावा: हाल के दशकों में चीन ने इस समुद्री क्षेत्र को अपना हिस्सा बताया है तथा इसे हुआंगयान (येलो रॉक) द्वीप कहना शुरू कर दिया है।
- 2012 में, बीजिंग ने इस पर नियंत्रण कर लिया और फिलीपींस के मछुआरों को छोटी मछलियाँ पकड़ने के लिए अधिक दूर जाने पर मजबूर कर दिया।
- चीन द्वारा विकासात्मक गतिविधियाँ: इनमें मौजूदा चट्टानों पर रेत का ढेर लगाना, पार्सेल और स्प्रैटली द्वीपों में सैन्य चौकियाँ, लड़ाकू जेट क्रूज मिसाइल और एक रडार प्रणाली की तैनाती, स्कारबोरो शोल में अवरोधों की स्थापना, स्प्रैटली द्वीपों में कृत्रिम द्वीपों का निर्माण शामिल है।
- फिलीपींस का दावा: फिलीपींस लगातार इस बात पर बल दे रहा है कि विवादित क्षेत्र में मछली पकड़ने का अधिकार उसके पास है क्योंकि यह उसके विशेष आर्थिक क्षेत्र (EEZ) का हिस्सा है।
दक्षिण चीन सागर तेल, गैस और मत्स्य पालन सहित प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध है तथा विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापार मार्ग के रूप में कार्य करता है।
वर्ष 2016 में, स्थायी मध्यस्थता न्यायालय (PCA) ने फिलीपींस के पक्ष में फैसला सुनाया और पाया कि “9 डैश लाइन” का कोई कानूनी आधार नहीं है।
- स्कारबोरो शोल एक द्वीप नहीं है, बल्कि एक चट्टानी क्षेत्र है और इसका EEZ या महाद्वीपीय शेल्फ पर अधिकार नहीं है ।
भारत: वर्ष 2023 में, भारत और फिलीपींस के बीच जारी एक संयुक्त बयान में चीन से नियम-आधारित समुद्री व्यवस्था का पालन करने और फिलीपींस के पक्ष में 2016 में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) द्वारा दिए गए फैसले को मान्यता देने की अपील की गई।