संदर्भ:
हाल ही में उत्तर प्रदेश (यूपी) कैबिनेट ने पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली, 2024 को मंज़ूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- उत्तर प्रदेश सरकार ने नए नियम तब तैयार किए, जब सर्वोच्च न्यायालय ने इस मुद्दे पर दायर कई याचिकाओं के जवाब में आठ राज्यों पंजाब, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, झारखंड और बिहार को अस्थायी डीजीपी नियुक्त करने के लिए नोटिस जारी किया।
याचिका दायर करने का कारण
- पिछले दो सालों में यूपी सरकार ने चार अस्थायी डीजीपी नियुक्त किए हैं। याचिकाओं में तर्क दिया गया है कि यह 2006 के प्रकाश सिंह वाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है, जिसका उद्देश्य पुलिस नेतृत्व को राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त करना था।
प्रकाश सिंह वाद (2006)
- उत्तर प्रदेश पुलिस और असम पुलिस के डीजीपी रहे प्रकाश सिंह ने 1996 में पुलिस सुधार की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी।
- अपने फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पुलिस सुधार लाने का निर्देश दिया था।
- सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में डीजीपी का कार्यकाल और चयन तय करने का निर्देश दिया, ताकि ऐसी स्थिति से बचा जा सके कि कुछ महीनों में सेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को यह पद दे दिया जाए।
पुलिस महानिदेशक, उत्तर प्रदेश चयन एवं नियुक्ति नियमावली, 2024
इन नियमों के अनुसार उत्तर प्रदेश के डीजीपी की नियुक्ति उनके शेष कार्यकाल, सेवा रिकॉर्ड और अनुभव के आधार पर एक चयन समिति द्वारा की जाएगी।
चयन समिति:
- इसकी अध्यक्षता उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे ।
- समिति के अन्य सदस्य : उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव, संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) का एक नामित व्यक्ति, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग का अध्यक्ष या नामित व्यक्ति, अतिरिक्त मुख्य सचिव/प्रमुख सचिव, गृह विभाग का एक प्रतिनिधि और एक सेवानिवृत्त डीजीपी।
केवल रिक्ति सृजन की तारीख से छह महीने के शेष कार्यकाल (सेवानिवृत्ति से पहले) वाले अधिकारी ही डीजीपी के रूप में नियुक्ति के लिए पात्र होंगे। एक बार नियुक्त होने के बाद, डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष का होगा
डीजीपी को उनके पद से हटाने से संबंधित प्रावधानों में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित दिशानिर्देशों का पालन किया गया है।