संदर्भ:
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MG-NREGS) में विसंगतियों के कारण तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश के कुछ जिलों को नुकसान हो रहा है।
अन्य संबंधित जानकारी
केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MoRD) की आंतरिक लेखापरीक्षा शाखा (IAW) ने 2023-24 के दौरान MGNREGS के तहत तमिलनाडु, राजस्थान और मध्य प्रदेश के तीन जिलों में 35.37 करोड़ रुपये के नुकसान का पता लगाया है।
अकेले तमिलनाडु के विरुधुनगर जिले में 34.02 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, इसके अलावा नागौर (राजस्थान) में 1.09 करोड़ रुपये और मुरैना (मध्य प्रदेश) में 26 लाख रुपये का नुकसान हुआ है।
IAW ने मणिपुर के फेरज़ावल जिले में प्रधान मंत्री ग्रामीण आवास योजना (PMAY-G) के कार्यान्वयन में भी 5.20 लाख रुपये का नुकसान दर्ज किया है।
IAW ने विभिन्न राज्यों में MG-NREGS, PMAY-G और प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के तहत कार्यों पर 15.20 करोड़ रुपये के व्यर्थ और अनधिकृत व्यय के मामलों को भी चिन्हित किया है।
- तीनों योजनाएं MG-NREGS, PMAY-G और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन हैं।
- प्रत्येक मौसम में सड़क संपर्क प्रदान करने के लिए वर्ष 2000 में प्रधान मंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) शुरू की गई थी। वर्तमान में, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना-IV को वित्तीय वर्ष 2024-25 से 2028-29 के लिए शुरू किया गया है।
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MGNREGS)
- महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MGNREGA), जिसे महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (MNREGS) के रूप में भी जाना जाता है, 25 अगस्त 2005 को अधिनियमित किया गया ।
- MGNREGA का उद्देश्य प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 100 दिनों का गारंटीकृत मजदूरी रोजगार उपलब्ध कराना है, जिसके वयस्क सदस्य अकुशल शारीरिक कार्य करने के लिए स्वेच्छा से तैयार हों।
- MGNREGA को पहले चरण में फरवरी 2006 से 200 जिलों में लागू किया गया था तत्पश्चात 1 अप्रैल 2007 और 15 मई 2007 से क्रमशः 113 और 17 जिलों में लागू किया गया। शेष जिलों को 1 अप्रैल 2008 से अधिनियम के तहत शामिल किया गया।
- केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय (MRD) राज्य सरकारों के सहयोग से इस योजना के संपूर्ण कार्यान्वयन की निगरानी करता है।
MGNREGA के मुख्य उद्देश्य हैं:
- मांग के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में प्रत्येक परिवार को एक वित्तीय वर्ष में गारंटीकृत रोजगार के रूप में कम से कम सौ दिन का अकुशल शारीरिक कार्य उपलब्ध कराना।
- गरीबों के आजीविका संसाधन आधार को मजबूत करना।
- सामाजिक समावेशन को सक्रिय रूप से सुनिश्चित करना।
- पंचायती राज संस्थाओं को मजबूत बनाना।