संदर्भ:

हाल ही में, प्रत्येक बच्चे को पोलियो जैसी विनाशकारी बीमारी से बचाने के लिए पोलियो टीकाकरण के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए 24 अक्टूबर को विश्व भर में विश्व पोलियो दिवस मनाया गया।

विश्व पोलियो दिवस 

वर्ष 2024 की थीम है “प्रत्येक बच्चे तक पहुंचने के लिए एक वैश्विक मिशन”, जो सभी बच्चों, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में टीकाकरण के लिए चल रहे प्रयासों पर प्रकाश डालता है।

  • पोलियो जो एक समय सौ से अधिक देशों में स्थानिक था, आज केवल दो देशों – अफगानिस्तान और पाकिस्तान – में ही स्थानिक रह गया है।

विश्व पोलियो दिवस की स्थापना 1988 में रोटरी इंटरनेशनल द्वारा जोनास साल्क के जन्मदिन के उपलक्ष्य में की गई थी, जिन्होंने 1955 में पहला प्रभावी पोलियो टीका विकसित किया था।

उद्देश्य : यह दिन पोलियो उन्मूलन के बारे में जनता को शिक्षित करने, टीकाकरण कार्यक्रमों के लिए समर्थन जुटाने और पोलियो मुक्त विश्व की दिशा में हुई प्रगति का जश्न मनाने के लिए समर्पित है।

वैश्विक अभियान : वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल (GPEI) की शुरुआत 1988 में विश्व स्वास्थ्य सभा द्वारा पोलियो उन्मूलन के लिए प्रस्ताव पारित करने के बाद की गई थी।

  • GPEI एक सार्वजनिक-निजी भागीदारी है जिसका नेतृत्व राष्ट्रीय सरकारें छह भागीदार यथा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO), रोटरी इंटरनेशनल, यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC), यूनिसेफ, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और GAVI के साथ करती हैं, जिसका उद्देश्य संसाधन जुटाना और टीकाकरण प्रयासों को बढ़ावा देना है।

पोलियो के बारे में

  • पोलियोमाइलाइटिस या पोलियो एक अत्यधिक संक्रामक वायरस जनित रोग है जो मुख्य रूप से 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों को प्रभावित करता है।
  • यह वायरस मुख्य रूप से मल-मौखिक मार्ग से या कभी-कभी दूषित भोजन या जल के माध्यम से व्यक्ति-से-व्यक्ति में फैलता है।
  • वायरस आंत में गुणित होने के बाद तंत्रिका तंत्र पर आक्रमण कर सकता है, जिससे अपंगता और गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। 
  • एक बार प्रभावित होने पर, रोगी जीवन भर के लिए अपंग हो जाता है क्योंकि इस बीमारी का कोई उपचार नहीं है। हालाँकि, पोलियो संक्रमण को टीके से आसानी से रोका जा सकता है।

पोलियो के प्रकार:

जंगली पोलियोवायरस (WPV) : यह वायरस का प्राकृतिक रूप से पाया जाने वाला प्रकार है, जो पोलियो के अधिकांश मामलों के लिए उत्तरदायी है।

वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस (VDPV): यह तब होता है जब ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV) में कमजोर वायरस उत्परिवर्तित होकर निम्न टीकाकरण कवरेज वाले क्षेत्रों में फैलता है।

जंगली पोलियोवायरस के तीन प्रकार (टाइप 1, टाइप 2 और टाइप 3) हैं । किसी देश को पोलियो मुक्त घोषित करने के लिए तीनों प्रकार के जंगली संक्रमण का उन्मूलन करना होगा। 

  • जंगली पोलियोवायरस टाइप 2 को 1999 में विश्व स्तर पर समाप्त घोषित किया गया था, जबकि जंगली पोलियोवायरस टाइप 3 को 2020 में समाप्त कर दिया गया। वर्तमान में, केवल जंगली पोलियोवायरस टाइप 1 ही अफगानिस्तान और पाकिस्तान में स्थानिक है। 

पोलियो टीकाकरण:

पोलियो संक्रमण को रोकने के लिए दो प्रकार के टीके उपलब्ध हैं–

  • ओरल पोलियो वैक्सीन (OPV): यह आमतौर पर चीनी के क्यूब के रूप में मुंह के माध्यम से  दिया जाता है और इसमें कमजोर जीवित वायरस होता है। इसे 1961 में अल्बर्ट सबिन ने विकसित किया था।
  • इंजेक्टेबल पोलियो वैक्सीन (IPV): इंजेक्शन के ज़रिए दिए जाने वाले इस टीके में एक मृत वायरस होता है, जो इसे सुरक्षित बनाता है, हालाँकि यह ओरल वैक्सीन की तुलना में प्रतिरक्षा को प्रेरित करने में कम प्रभावी है। इसे 1955 में जोनास साल्क द्वारा विकसित किया गया था।                 

भारत में पोलियो         

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 13 जनवरी, 2011 को हावड़ा, पश्चिम बंगाल में पोलियो का अंतिम मामला सामने आने के बाद 27 मार्च, 2014 को भारत को पोलियो मुक्त घोषित किया।

हालांकि, हाल ही में मेघालय में एक दो साल के बच्चे में वैक्सीन-व्युत्पन्न पोलियोवायरस के संक्रमण की पुष्टि हुई, जिससे इस बीमारी के पुनः उभरने की चिंता बढ़ गई।  

उठाए गए कदम:

  • पोलियो के खिलाफ टीकाकरण 1972 में शुरू हुआ और 1985 में देशव्यापी सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम (UIP) के रूप में इसका विस्तार किया गया।
  • भारत ने 2 अक्टूबर 1994 को पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया, जब देश में वैश्विक पोलियो के लगभग 60% मामले थे।
  • नवंबर 2015 में, निष्क्रिय पोलियो वैक्सीन (IPV) को छह राज्यों में UIP में शामिल किया गया, जिसे बाद में अप्रैल 2016 तक पूरे देश में विस्तारित किया गया।          

Also Read:

Shares: