संदर्भ:

वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के द्वारा भेजे गए  प्रस्ताव को राष्ट्रपति की  मंजूरी मिलने के बाद  न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) होंगे। 

अन्य संबंधित जानकारी   

  • न्यायमूर्ति खन्ना 13 मई, 2025 को सेवानिवृत्त होने से पहले छह महीने की अवधि के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश रूप में कार्य करेंगे ।
  • वे उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में वरिष्ठता के आधार पर 33वें स्थान पर थे, लेकिन उनकी योग्यता और निष्ठा के कारण  कॉलेजियम द्वारा उन्हें  उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के लिए अनुशंसित किया गया।    
  • उन्होंने  जम्मू और कश्मीर में अनुच्छेद 370 को हटाने वाले  सरकार के फैसले को संवैधानिक बताया था।

मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति की प्रक्रिया     

  • राष्ट्रपति संविधान के अनुच्छेद 124 के खंड (2) के अंतर्गत अपने हस्ताक्षर और मुहर वाले अधिपत्र के माध्यम से मुख्य न्यायाधीश और उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करते हैं।
  • वर्तमान मुख्य न्यायाधीश अगले मुख्य न्यायाधीश (उत्तराधिकारी) के  नाम की सिफारिश करते हैं। केंद्रीय विधि मंत्री इस सिफारिश को प्रधानमंत्री के पास भेजते हैं, जो राष्ट्रपति को सलाह देते हैं। 
  • द्वितीय  न्यायाधीश मामले (1993) में उच्चतम न्यायालय ने निर्णय दिया कि उच्चतम न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाना चाहिए। 
  • उच्चतम न्यायालय के कॉलेजियम का नेतृत्व भारत के मुख्य न्यायाधीश करते हैं और इसमें उच्चतम न्यायालय के चार अन्य वरिष्ठतम न्यायाधीश शामिल होते हैं।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश 65 वर्ष की आयु तक अपने पद पर बने रहते हैं। 

भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) की पात्रता    

मुख्य न्यायाधीश को भारत का नागरिक होना चाहिए।  निम्नलिखित मानदंडों में से एक को पूरा करना चाहिए:

  • कम से कम पाँच वर्षों तक किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो, या लगातार दो या अधिक उच्च न्यायालयों में न्यायाधीश के रूप में कार्य किया हो।
  • किसी उच्च न्यायालय में कम से कम दस वर्ष तक, अथवा लगातार दो या  अधिक  उच्च न्यायालयों में अधिवक्ता के रूप में कार्य किया हो। 

राष्ट्रपति की राय  में  प्रतिष्ठित विधिवेत्ता हो।  ख्य न्यायाधीश की पदच्युति की प्रक्रिया      

मुख्य न्यायाधीश को राष्ट्रपति द्वारा तभी पदच्युत किया जा सकता है जब संसद उनके निष्कासन के लिए संकल्प प्रस्तुत करें । 

इस पदच्युति के संकल्प को संसद के दोनों सदनों में विशेष बहुमत द्वारा समर्थित होना चाहिए, अर्थात्:

  • प्रत्येक सदन की कुल सदस्यता का  बहुमत 
  • उपस्थित एवं मतदान करने वाले सदस्यों में से कम से कम दो-तिहाई का बहुमत ।

पदच्युति के आधार में सिद्ध दुर्व्यवहार या अक्षमता (जैसा कि अनुच्छेद 124(4) में उल्लेखित है) शामिल है।

मुख्य न्यायाधीश के कार्य   

  • राष्ट्रपति एवं राज्यपालों को  शपथ दिलवाना।
  • भारत के मुख्य न्यायाधीश को उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति हेतु राष्ट्रपति को परामर्श देना।
  • संविधान के अनुच्छेद 127 के तहत उच्चतम न्यायालय के तदर्थ न्यायाधीशों की नियुक्ति करना।
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 128 के तहत, उच्चतम न्यायालय में सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की नियुक्ति करना।   
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 130 के तहत, राष्ट्रपति के अनुमोदन से भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय की पीठ को दिल्ली से किसी अन्य स्थान पर स्थानांतरित  करना। 
  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 222 के तहत, उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को अन्य उच्च न्यायालयों में अंतरण  करना। 
  • केंद्र और राज्यों के बीच वित्तीय विवाद के समाधान हेतु मध्यस्थ की नियुक्त करना।
  • मुख्य न्यायाधीश को अक्सर “प्राइमस इंटर पैरेस” कहा जाता है, जिसका अर्थ “समानों में प्रथम”  है।
  • अपनी न्यायिक भूमिका के अतिरिक्त, उच्चतम न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में भी कार्य करता है ।
  • न्यायालय के सामने आए मामलों को विशिष्ट पीठों को सौंपने के साथ-साथ मामले की सुनवाई करने वाले न्यायाधीशों (मास्टर ऑफ रोस्टर) को निर्धारित करना। 

मुख्य न्यायाधीश को उपर्युक्त प्रशासनिक कार्यों का निष्पादन अन्य न्यायाधीशों की सहमति के बिना भी कर सकता है और इसके लिए वह किसी के प्रति जबावदेह नहीं होता है। 

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