संदर्भ:

हाल ही में, उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009 का अनुपालन नहीं करने वाले सरकारी सहायता प्राप्त मदरसों को बंद करने की सिफारिशों पर रोक लगा दी है।

अन्य संबंधित जानकारी   

  • यह निर्णय जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका में आया है। इस याचिका के अनुसार  एनसीपीसीआर की सिफारिशें भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 19 (1) (G), 21, 25, 26 (A) और 30 (1) का उल्लंघन करती हैं। 
  • साथ ही, उच्चतम न्यायालय ने यह भी कहा कि केंद्र-सरकार के साथ-साथ उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा सरकार द्वारा जारी निर्देश लागू नहीं होंगे।
  • इससे पूर्व , एनसीपीसीआर ने मदरसों की कार्यप्रणाली पर गंभीर चिंता जताते हुए कहा था कि जब तक वे आरटीई अधिनियम, 2009 का अनुपालन नहीं करते, तब तक उन्हें राज्य द्वारा दी जाने वाली सहायता राशि पर रोक लगानी चाहिए।  
  • एनसीपीसीआर की सिफारिशों का अनुसरण  करते हुए उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा की राज्य सरकारों ने अपने जिला कलेक्टरों से सभी सरकारी सहायता प्राप्त  मदरसों की विस्तृत जाँच करने को कहा है।  केंद्र सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एनसीपीसीआर के निर्देश के अनुसार कार्रवाई करने का निर्देश दिया  है।

उच्चतम न्यायालय के स्थगन के निहितार्थ

  • अल्पसंख्यकों के अधिकारों का संरक्षण: यह स्थगन आदेश अल्पसंख्यकों को अपने स्वयं के शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने और उनका प्रबंधन करने की अनुमति देने वाले संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत धार्मिक अल्पसंख्यकों के अधिकारों के बारे में जमीयत उलमा-ए-हिंद द्वारा उठाई गई चिंताओं को रेखांकित करता है। 
  • शैक्षिक निरंतरता: उच्चतम न्यायालय के निर्णय से यह सुनिश्चित हो गया है कि मदरसे को तत्काल बंद करने वाले आदेश के बिना आगामी आदेश तक अपना संचालन जारी रख सकते हैं।
  • कानूनी जाँच: यह स्थगन आदेश एनसीपीसीआर की सिफारिशों और अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थानों पर उनके संभावित प्रभाव की अधिक गहनता से जाँच करने की अनुमति देता  है।

एनसीपीसीआर के बारे में

  • राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) एक सांविधिक निकाय है, इसकी स्थापना वर्ष 2007 में बाल अधिकार संरक्षण आयोग अधिनियम, 2005 के तहत की गई थी ।
  • यह भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के अधीन कार्य करता है।
  • एनसीपीसीआर का प्राथमिक कार्य देश में बाल अधिकारों की रक्षा, संवर्धन और बचाव करना है। 

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