संदर्भ: 

हाल ही में, वैश्विक बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI), 2024 जारी किया है। यह ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के द्वारा जारी की जाने वाली एक वार्षिक रिपोर्ट है।

अन्य संबंधित जानकारी   

  • वर्ष 2024 की रिपोर्ट का विषय/थीम “संघर्ष के बीच गरीबी” (Poverty Amid Conflict) है।
  • बहुआयामी गरीबी सूचकांक (MPI), 2024 में 112 देशों के उपलब्ध नवीनतम  आँकड़ों 
  • का उपयोग किया गया है। इनमें 21 निम्न आय वाले देश, 47 निम्न-मध्यम आय वाले देश, 40 उच्च मध्यम आय वाले देश और 4 उच्च आय वाले देश शामिल है।

यह रिपोर्ट विभिन्न देशों में समय के साथ हिंसक संघर्ष और बहु-गरीबी के बीच के संबंधों की समीक्षा करता है। रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष 

  • इसमें शामिल 112 देशों के 6.3 बिलियन लोगों में से 1.1 बिलियन लोग (18.3 प्रतिशत) तीव्र बहुआयामी गरीबी से ग्रसित हैं।  
  • इसके  अनुसार, 1.1 बिलियन लोग गंभीर गरीबी में रहते हैं, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत (455 मिलियन) हिंसक संघर्षों से ग्रस्त देशों में रहते हैं, जो गरीबी उन्मूलन प्रयासों में बाधक  हैं।  
  • 1.1 बिलियन गरीब लोगों (584 मिलियन) में से आधे से अधिक  18 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चे हैं। 
  • समन्वित आँकड़ों वाले 86 देशों में से 76 देशों में कम से कम एक समयावधि में एमपीआई मूल्य के अनुसार गरीबी में काफी हद तक कमी आई है।
  • गरीबी में रहने वाले लोगों की सबसे बड़ी संख्या वाले पांच देश भारत (234 मिलियन), पाकिस्तान (93 मिलियन), इथियोपिया (86 मिलियन), नाइजीरिया (74 मिलियन) और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (66 मिलियन) हैं।  इन सभी के एचडीआई कम हैं।
  • कुल मिलाकर, 1.1 बिलियन गरीब लोगों में से लगभग आधे (48.1 प्रतिशत) इन पाँच देशों में लोग रहते हैं। 

वैश्विक एमपीआई के बारे में   

शुरुआत: वर्ष 2010 

एमपीआई दस विशिष्ट संकेतकों के माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य और जीवन स्तर सहित गरीबी के विभिन्न पहलुओं को मापता है।

  • प्रत्येक आयाम व्यक्तिगत रूप से  1/3 भारांक साझा करता है।
  • यदि कोई व्यक्ति दस (भारित) संकेतकों में से एक तिहाई या उससे अधिक में वंचित है, तो उसे ‘एमपीआई गरीब’ के रूप में पहचाना जाता है।  
  • यह बहुआयामी दृष्टिकोण केवल आय-आधारित उपायों की तुलना में गरीबी की अधिक सूक्ष्म समझ प्रदान करता है।

एमपीआई को MPI = H x A के रूप में निरूपित किया जाता है। एमपीआई मान 0 से 1 के बीच होता है, तथा इसका उच्चतर मान उच्च गरीबी को दर्शाता है।

  • जनसंख्या अनुपात (H): यह बहुआयामी गरीब लोगों का प्रतिशत को दर्शाता है। 

गरीबी की तीव्रता (A): यह गरीबों में वंचना का औसत स्तर को दर्शाता है। वैश्विक एमपीआई सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) 1 की प्राप्ति की ओर कदम बढ़ाकर प्रत्येक देश के सभी रूपों में गरीबी उन्मूलन में मदद करने के साथ-साथ एसडीजी 1, 2, 3, 4, 6, 7 और 11 से संबंधित संकेतकों में परस्पर संबंधित अभावों को मापता है।

राष्ट्रीय बहुआयामी गरीबी सूचकांक (NMPI)   

  • वर्ष 2021 में भारत ने एनएमपीआई पेश किया गया। इसे यूएनडीपी और ऑक्सफोर्ड गरीबी और मानव विकास पहल (OPHI) के सहयोग से नीति आयोग द्वारा जारी किया गया था।
  • यह दोहरी-कट-ऑफ गणना पद्धति के आधार पर गरीब और गैर-गरीब की पहचान करता है।
  • राष्ट्रीय एमपीआई का उपयोग भारत में राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर बहुआयामी गरीबी की निगरानी के लिए किया जा सकता है।
  • भारत का राष्ट्रीय एमपीआई सतत विकास लक्ष्य 1.2 के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक सभी आयामों में गरीबी में रहने वाले लोगों के अनुपात को कम से कम आधे तक कम करना है।
  • संकेतक: इसमें 3 आयाम अर्थात् स्वास्थ्य, शिक्षा और जीवन स्तर तथा 12 संकेतक शामिल है। इन 12 संकेतकों में वैश्विक एमपीआई मॉडल के 10 मूल संकेतक के अलावा दो नए संकेतक अर्थात्, मातृ स्वास्थ्य और बैंक खाता शामिल हैं।  

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