संदर्भ:

रवांडा मारबर्ग वायरस के खतरनाक प्रकोप का सामना कर रहा है।  जिससे कम से कम 46 व्यक्ति संक्रमित हुए है तथा 12 लोगों की मृत्यु हो गई है।

अन्य संबंधित जानकारी     

  •  लगभग 80 प्रतिशत संक्रमण ने स्वास्थ्य कर्मियों को प्रभावित किया है, जिससे  रवांडा की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली पर गंभीर खतरा पैदा हो गया है, जहाँ 13 मिलियन से अधिक की आबादी पर केवल 1,500 डॉक्टर हैं।    
  • गत वर्ष, यह रोग तंजानिया के उत्तर-पश्चिमी कागेरा क्षेत्र, घाना और इक्वेटोरियल गिनी (Equatorial Guinea) में देखने को मिला था।

मारबर्ग वायरस रोग (Marburg Virus Disease-MVD) के बारे में

  • मारबर्ग वायरस रोग (एमवीडी) जिसे  पहले मारबर्ग रक्तस्रावी बुखार (Marburg haemorrhagic fever) के नाम से जाना जाता था,  मारबर्ग विषाणु (MARV) के कारण होने वाला एक गंभीर और  घातक रक्तस्रावी बुखार है। 
  • यह फिलोवायरस परिवार से संबंधित है। इबोला वायरस भी इस परिवार से संबंधित है। दोनों बीमारियाँ चिकित्सकीय रूप से समान हैं तथा इनकी  मृत्यु दर भी अधिक है। 
  • पहली बार वर्ष 1967 में जर्मनी के मारबर्ग और फ्रैंकफर्ट तथा सर्बिया के बेलग्रेड में एक-साथ फैले प्रकोप के दौरान इस वायरस की पहचान हुई थी। 
  • इससे होने वाली मृत्यु दर 24  से 88 प्रतिशत तक  है, जो विषाणु (वायरस) के प्रकार और संक्रमित को प्रदान की गई देखभाल के स्तर पर निर्भर करती है।

संचरण :

  • रूसेटस फ्रूट बैट (विशेष रूप से, मिस्र का फ्रूट बैट) मारबर्ग वायरस का प्राकृतिक वाहक है।
  • युगांडा से आयातित अफ्रीका के ग्रीन मंकी मानव में संक्रमण के पहले स्रोत थे।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, यह विषाणु (वायरस) निम्नलिखित माध्यम से भी फैल सकता है –

  • संक्रमित व्यक्ति के रक्त या शरीर के तरल पदार्थ (जैसे उल्टी, मूत्र या लार) के प्रत्यक्ष संपर्क से।
  • दूषित सतहों और सामग्रियों, जैसे बिस्तर या कपड़ों  के अप्रत्यक्ष संपर्क से।

लक्षण:

  • मारबर्ग वायरस रोग के लक्षण 2 से 21 दिनों की उद्भवन  अवधि(incubation period) के बाद दिखाई देते हैं।
  • इसके प्रारंभिक लक्षणों में तेज बुखार, असहनीय सिरदर्द, माँसपेशियों में दर्द,  दस्त, पेट में दर्द और ऐंठन तथा उल्टी शामिल हैं।
  • कई रोगियों में रक्तस्राव संबंधी लक्षण (मसूड़ों, पाचन तंत्र और योनि सहित शरीर के विभिन्न भागों से रक्तस्राव) देखने को मिलते हैं।
  • लक्षण दिखाई देने  के 8 से 9 दिन के बीच अत्यधिक रक्तस्राव के कारण संक्रमित व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।

निदान और उपचार  

  • एमवीडी का निदान चुनौतीपूर्ण होता है, क्योंकि इसके लक्षण मलेरिया या टाइफाइड जैसी अन्य बीमारियों के समान हैं।
  • इसकी पुष्टि रक्त और अन्य नमूनों की प्रयोगशाला में जाँच के माध्यम से की जा सकती है, जो वायरस द्वारा उत्पन्न  जैव  खतरे के कारण जोखिम भरा है।
  • वर्तमान में, एमवीडी के लिए कोई टीका या विशिष्ट उपचार अनुमोदित नहीं है।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, सहायक देखभाल (मौखिक या अंतःशिरा तरल पदार्थ से पुनर्जलीकरण) और विशिष्ट लक्षणों के उपचार से जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है।
  • वर्तमान में, प्रायोगिक टीके और उपचार विकसित किए जा रहे हैं, जिसके लिए अमेरिका स्थित सबिन वैक्सीन इंस्टीट्यूट (Sabin Vaccine Institute) रवांडा को अपने प्रायोगिक मारबर्ग वैक्सीन की 700 खुराक (डोज) उपलब्ध करा रहा है।

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