संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुजरात के लोथल में राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिस (NMHC) के विकास को मंजूरी दी है।

अन्य संबंधित जानकारी       

  • इस परियोजना को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। इस परियोजना के पहले चरण (1A) का कार्य हो रहा है। इसके तहत  60 प्रतिशत से अधिक कार्य पूरा होने के चरण में है तथा  इसे  वर्ष 2025 तक पूरा करने की योजना  है। जबकि चरण  1B और 2  को केंद्रीय मंत्रिमंडल से सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है।
  • इस परियोजना के 1A और 1B चरण के कार्य को ईपीसी (EPC) मोड में किया जाना है तथा इसके चरण 2 के कार्य को भूमि उप-पट्टे (Land Subleasing)/पीपीपी के माध्यम से विकसित किया जाएगा, ताकि राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) को विश्व स्तरीय विरासत संग्रहालय के रूप में स्थापित  किया जा सके।
  • राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर के क्रियान्वयन, विकास, प्रबंधन और संचालन के लिए एक अलग सोसायटी की स्थापना की जाएगी। इसका संचालन सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 के तहत पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्री की अध्यक्षता वाली शासी परिषद द्वारा किया जाएगा।

राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) के बारे में 

  • भारत की 4,500 वर्ष पुरानी समुद्री विरासत को प्रदर्शित करने के प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप, पत्तन, पोत परिवहन और जलमार्ग मंत्रालय (MoPSW) लोथल में एक विश्व स्तरीय राष्ट्रीय समुद्री विरासत परिसर (NMHC) विकसित कर रहा है।

एनएमएचसी को निम्नलिखित चरणों में विकसित करने की योजना है:

  • 1A चरण: चरण 1ए में 6 दीर्घाओं वाला एनएमएचसी संग्रहालय होगा, जिसमें एक भारतीय नौसेना और तटरक्षक गैलरी भी शामिल है, जो देश में सबसे बड़ी होगी, जिसमें बाहरी नौसेना कलाकृतियाँ (आईएनएस निशंक, सी हैरियर युद्धक विमान, यूएच3 हेलीकॉप्टर आदि), खुली जलीय गैलरी से घिरा लोथल टाउनशिप का प्रतिकृति मॉडल और जेटी वॉकवे शामिल होंगे। 
  • 1B चरण:  चरण 1बी में एनएमएचसी संग्रहालय होगा जिसमें 8 अतिरिक्त गैलरी होंगी, लाइट हाउस संग्रहालय जो दुनिया का सबसे ऊंचा संग्रहालय होगा, बगीचा परिसर (जिसमें लगभग 1500 कारों के लिए कार पार्किंग की सुविधा, फूड हॉल, चिकित्सा केंद्र)  आदि होंगे । 

                दीप स्तंभ (लाइट हाउस) संग्रहालय के निर्माण का वित्तपोषण दीपस्तंभ और दीपपोत महानिदेशालय (डीजीएलएल) द्वारा किया जाएगा।

चरण 2: इससे संबंधित तटीय राज्यों द्वारा तटीय राज्य मंडप, एक समुद्री थीम पर आधारित इको-रिसॉर्ट, लोथल शहर का रियल टाइम रिक्रिएशन, एक छात्रावास के साथ एक समुद्री संस्थान और 4 विषयों पर आधारित पार्क (समुद्री और नौसेना, जलवायु परिवर्तन, स्मारक और साहसिक/मनोरंजन) का निर्माण किया जाएगा।

लोथल के बारे में

  • यह सिंधु घाटी सभ्यता का एकमात्र बंदरगाह शहर है। इसे सिंधु घाटी सभ्यता का मैनचेस्टर भी कहा जाता है।
  • लोथल दो शब्दों – ‘लोथ’ और ‘थल’ से मिलकर बना है, जिसका गुजराती में अर्थ ‘मृतकों का टीला’ होता है।
  • लोथल साबरमती नदी की एक सहायक नदी भोगवा के किनारे स्थित है।
  • भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने फरवरी, 1955 से मई, 1960 तक इस स्थल की उत्खनन (खुदाई) किया है।

सिंधु घाटी सभ्यता के एकमात्र बंदरगाह शहर में उत्खनन से निम्नलिखित सामग्री  प्राप्त हुई हैं:   

  • साबरमती नदी के पुराने मार्ग से जुड़ा विश्व का सबसे पुराना ज्ञात कृत्रिम घाट।
  • गढ़ या ऊपरी शहर
  • निचला शहर
  • मनका कारखाना
  • गोदाम 
  • अपवाह (जल निकासी) प्रणाली
  • चावल की भूसी
  • अग्नि वेदिकाएँ 
  • चित्रित जार
  • आधुनिक  शतरंज
  • घोड़े और जहाज की टेराकोटा आकृतियाँ    

लोथल प्राचीन काल में एक महत्वपूर्ण और संपन्न व्यापार केंद्र था, यहाँ से मनकों, रत्नों और बहुमूल्य आभूषणों का व्यापार होता था।

अप्रैल, 2014 में लोथल को यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल में शामिल करने के लिए नामित किया गया था, और इसका आवेदन यूनेस्को की अस्थायी सूची में लंबित है।

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