संदर्भ: 

हाल ही में, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (World Meteorological Organization-WMO) ने वैश्विक जल संसाधन की स्थिति (State of Global Water Resources) रिपोर्ट का तीसरा संस्करण जारी किया। इसमें बताया गया कि वर्ष 2023 पिछले 33 वर्षों में वैश्विक नदियों के लिए सबसे सूखा वर्ष रहा।

वैश्विक जल संकट को समझना

  • विश्व मौसम संगठन की वैश्विक जल संसाधन की स्थिति रिपोर्ट में वैश्विक जल आपूर्ति की गंभीर स्थिति को दर्शाया गया है, जिसमें लगातार पाँच वर्षों से नदियों और जलाशयों में जल प्रवाह सामान्य से कम रहा है। 
  • इसके अतिरिक्त, हिमनदों (ग्लेशियरों) में भी विगत 50 वर्षों में सबसे अधिक नुकसान देखने को मिला है तथा वर्ष 2023 वैश्विक स्तर पर व्यापक मात्रा में बर्फ हानि का दूसरा वर्ष है।
  • लगभग 3.6 बिलियन लोगों को प्रत्येक वर्ष कम से कम एक महीने तक पर्याप्त मात्रा में जल उपलब्ध नहीं होता है, तथा ऐसी संभावना जताई गई है कि वर्ष 2050 तक यह आँकड़ा बढ़कर 5 बिलियन हो जाएगा। 
  • इस रिपोर्ट में सतत विकास लक्ष्य 6 के अनुरूप जल एवं स्वच्छता को पूरा करने के लिए जल संसाधनों की बेहतर निगरानी एवं प्रबंधन की तत्काल आवश्यकता पर बल  दिया गया है।

वैश्विक नदियों के लिए सबसे शुष्क (सूखा) वर्ष के लिए जिम्मेदार महत्वपूर्ण कारक

  • दीर्घकालिक सूखे की स्थिति के कारण प्रमुख नदी घाटियों (बेसिन) का प्रभावित होना: दीर्घकालिक सूखे के कारण उत्तर, मध्य और दक्षिण अमेरिका में नदी प्रवाह में काफी कमी आई, तथा मिसिसिपी (Mississippi) और अमेज़न (Amazon) नदी घाटियों  में जलस्तर अप्रत्याशित रूप से  कम हो गया है । 

                एशिया में, गंगा, ब्रह्मपुत्र और मेकांग नदी घाटियों को भी इसी तरह की भयावह स्थिति का सामना करना पड़ा, जो जल उपलब्धता में आई गिरावट की वैश्विक स्थिति  को दर्शाता है।

  • रिकॉर्ड गर्मी ने बढ़ाया  जल संकट:  : वर्ष 2023 का तापमान पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.45 डिग्री सेल्सियस अधिक होने के कारण सबसे गर्म वर्ष रहा तथा  उच्च तापमान ने व्यापक सूखे (शुष्क) की स्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

                ला-नीना से अल नीनो की स्थिति में परिवर्तन, साथ ही, हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) के सकारात्मक चरण ने अत्यधिक गर्मी के अलावा भारी वर्षा और बाढ़ से लेकर सूखे तक के विविध मौसम                      प्रभावों में योगदान दिया है ।

               अत्यधिक गर्मी के कारण वाष्पीकरण की दर भी बढ़ गई। जिसके कारण नदियों का प्रवाह और कम हो गया है तथा मौजूदा जल संकट और अधिक हो गया।

              जलाशयों में अंतर्वाह और भंडारण: जलाशयों में अंतर्वाह का पैटर्न वैश्विक नदी प्रवाह के  के समान ही रहा,  जिसमे  भारत सहित उत्तर, मध्य और दक्षिण अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के कुछ भागों में जल                 प्रवाह की स्थिति सामान्य से कम रही।

              विशेष रूप से, भारत में जलाशयों में, विशेषकर पश्चिमी तट पर, औसत से कम या बहुत कम जल प्रवाह देखने को मिला। 

  • भूजल स्तर में गिरावट: इस रिपोर्ट में विभिन्न क्षेत्रों में भूजल स्तर में अप्रत्याशित गिरावट पर भी चिंता व्यक्त की गई है।

               वर्ष 2023 में निगरानी की जाने वाले 19 प्रतिशत कुओं में औसत से बहुत कम स्तर दर्ज किया गया, जबकि 11 प्रतिशत में औसत से कम दर्ज किया। इसके अलावा, 40% औसत थे, और 20%                       औसत से बहुत ऊपर थे। 

  • मृदा की नमी में कमी: हाल ही में जारी किए गए ऐतिहासिक रिकॉर्ड के अनुसार, वर्ष 2023, शुष्क मिट्टी के मामले में वर्ष 2022 से ठीक पीछे है। वर्ष 2023 में मिट्टी की नमी पूरे वर्ष वैश्विक स्तर पर बड़े क्षेत्रों में कम या बहुत कम रही। 

जलवायु परिवर्तन ने वैश्विक जल संसाधनों और हिमनद (ग्लेशियर) की स्थिति को कैसे प्रभावित किया है?

  • WMO की रिपोर्ट के अनुसार, जलवायु परिवर्तन ने हिमनदों (ग्लेशियरों) के पिघलने की गति को तेज कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 50 वर्षों में सबसे अधिक मात्रा में जल – कुल 600 गीगाटन जल – का नुकसान है।
  • हालाँकि हिमनदों (ग्लेशियरों) से पोषित नदियों में प्रवाह में अस्थायी वृद्धि देखी गई है, लेकिन विशेषज्ञ सचेत किया हैं कि हिमनदों (ग्लेशियरों) के आकस्मिक रूप से कम होने के कारण नदियों के जल स्तर में और भी गिरावट देखने को मिलेगी।
  • WMO की रिपोर्ट से पता चलता है कि जलवायु परिवर्तन ने ग्लेशियर पिघलने की प्रक्रिया को तेज़ कर दिया है, जिसके परिणामस्वरूप 50 वर्षों में कुल 600 गीगाटन जल का नुकसान हुआ है।

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