संदर्भ:

हाल ही में, भारत ने जर्मनी के ड्रेसडेन में आयोजित विशेष आहार उपयोग के लिए पोषण और खाद्य पदार्थों पर कोडेक्स समिति (CCNFSDU) के 44वें सत्र में भाग लिया ।

अन्य संबंधित जानकारी

  • 2-6 अक्टूबर, 2024 तक पांच दिवसीय सत्र में विभिन्न राष्ट्रीय नियामक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले भारतीय प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी देखी गई।

भारत की भागीदारी मुख्यतः दो महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर केन्द्रित रही:

  • खाद्य पदार्थों और खाद्य पूरकों के लिए सामंजस्यपूर्ण प्रोबायोटिक दिशानिर्देश तैयार करना |
  • 6 से 8 माह की आयु के बच्चों के लिए संयुक्त पोषक तत्व मूल्य मान स्थापित करना |

भारतीय प्रतिनिधिमंडल को कनाडा, चिली और न्यूजीलैंड सहित कई देशों से पर्याप्त समर्थन मिला, जिससे इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर उसकी स्थिति मजबूत हुई।

प्रमुख उपलब्धि 

1. प्रोबायोटिक दिशा-निर्देशों में सुधार: भारत ने दशकों पुराने खाद्य एवं कृषि संगठन /विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रोबायोटिक दस्तावेजों को अद्यतन करने की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला | 2001-2002 से चले आ रहे मौजूदा दिशा-निर्देशों में हाल की वैज्ञानिक प्रगति को दर्शाने के लिए संशोधन की आवश्यकता है। समिति ने एक व्यापक समीक्षा प्रक्रिया शुरू करने पर सहमति व्यक्त की।

2. पोषक तत्व मानकों में वृद्धि: भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने 6-36 महीने की आयु के बच्चों के लिए पोषक तत्व संदर्भ मान (NRV) के निर्धारण हेतु एक व्यवस्थित दृष्टिकोण का समर्थन किया, तथा दो आयु समूहों ( 6-12 महीने और 12-36 महीने) के औसत मान का प्रस्ताव रखा।

3. मिठास (Sweetness) मूल्यांकन प्रोटोकॉल: भारत ने अनुवर्ती फार्मूला के मानक में कार्बोहाइड्रेट स्रोतों की स्वीट्नेस के मूल्यांकन के लिए यूरोपीय संघ की प्रस्तावित संवेदी परीक्षण पद्धति के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया, और यह अपर्याप्त वैज्ञानिक रूप से सत्यापित नहीं है| 

भविष्य के निहितार्थ

  • ये प्रगति वैश्विक खाद्य सुरक्षा मानकों को सुसंगत बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
  • समिति के निर्णय, विशेष रूप से प्रोबायोटिक दिशा-निर्देशों के संशोधन और पोषक तत्व संदर्भ मूल्यों के संबंध में, संभवतः भविष्य के अंतर्राष्ट्रीय खाद्य विनियमों और व्यापार तरीकों को प्रभावित करेंगे ।
  • अंतिम रिपोर्ट में भारत के सुझावों को शामिल करना वैश्विक खाद्य सुरक्षा और पोषण मानकों को आकार देने में इसके बढ़ते प्रभाव को रेखांकित करता है।

वैश्विक खाद्य मानकों के विकास में भारत की अग्रणी भूमिका

  • खाद्य उत्पादन: भारत खाद्य उत्पादन, दूध, दालें, बागवानी और पशुधन उत्पादन में विश्व में अग्रणी है ।
  • भारत चावल, गेहूं, गन्ना, कपास, मूंगफली, फलों और सब्जियों का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक भी है।
  • झींगा और मसालों का विश्व का शीर्ष निर्यातक है ।

खाद्य सुरक्षा: भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने खाद्य सुरक्षा को प्रोत्साहित करने तथा उच्च वसा, नमक और चीनी वाले खाद्य पदार्थों के सेवन को कम करने के लिए विज्ञान-आधारित नियम विकसित किए हैं।

  • FSSAI ने उपभोक्ता जागरूकता बढ़ाने के लिए एक लोगो भी पेश किया है और खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को भी मजबूत किया है। 

वर्ल्ड फ़ूड इंडिया: यह आयोजन भारत की खाद्य प्रसंस्करण क्षमता और पाककला विरासत को वैश्विक दर्शकों के सामने प्रदर्शित करने का एक मंच है। यह आयोजन नवाचार, स्थिरता और सहयोग पर केंद्रित है।

वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन: दूसरा वैश्विक खाद्य नियामक शिखर सम्मेलन 2024 में नई दिल्ली में आयोजित किया गया।

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