प्रसंग:

विश्व कपास दिवस प्रतिवर्ष 7 अक्टूबर को मनाया जाता है। 

अन्य संबंधित जानकारी

इस वर्ष विश्व कपास दिवस का विषय कॉटन फॉर गुड (“Cotton for Good”) है।

इस अवसर पर, भारत के केंद्रीय वस्त्र मंत्रालय ने भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ (Confederation of Indian Textile Industries-CITI) और भारतीय कपास निगम के साथ संयुक्त रूप से “मेगाट्रेंड्स शेपिंग कॉटन टेक्सटाइल वैल्यू चेन” विषय पर सम्मेलन की मेजबानी की।

  • भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ एकमात्र राष्ट्रीय संघ है जो घरेलू और निर्यातक इकाइयों सहित वस्त्र और परिधान उद्योग के संपूर्ण क्षेत्र तक पहुंच रखता है।

इस वर्ष इस अंतर्राष्ट्रीय आयोजन की पांचवीं वर्षगांठ है, जिसमें सबसे व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले पौधों में से एक कपास के बीज को सम्मानित किया गया और कपास फाइबर इसके सबसे उल्लेखनीय उत्पाद हैं।

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

विश्व कपास दिवस का विचार तब आया जब उप-सहारा अफ्रीका के चार कपास उत्पादक देशों (बुर्किना फासो, बेनिन, चाड और माली) ने विश्व व्यापार संगठन के समक्ष 7 अक्टूबर को विश्व कपास दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा।

विश्व कपास दिवस एक अवधारणा है जिसकी उत्पत्ति वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति (ICAC) में हुआ था और पहला विश्व कपास दिवस समारोह वर्ष 2019 में विश्व व्यापार संगठन मुख्यालय (जिनेवा) में आयोजित किया गया था।

  • अंतर्राष्ट्रीय कपास सलाहकार समिति कपास उत्पादक, उपभोक्ता और व्यापारिक देशों के सदस्यों का एक संघ है।

वर्ष 2021 में, संयुक्त राष्ट्र संघ ने औपचारिक रूप से 7 अक्टूबर को “विश्व कपास दिवस” के रूप में मान्यता दी।

कपास

कपास मौसम वर्ष 2022-23 के दौरान 343.47 लाख गांठ (5.84 मिलियन मीट्रिक टन) के अनुमानित उत्पादन के साथ भारत दुनिया में दूसरे स्थान पर है और यह मात्रा कुल वैश्विक कपास उत्पादन का लगभग 23% हिस्सा है।

भारत एकमात्र ऐसा देश है जो कपास की सभी चार प्रजातियां [जी. आर्बोरियम एवं जी. हर्बेसियम (एशियाई कपास), जी. बारबाडेन्स (मिस्र का कपास) और जी. हिरसुटम (अमेरिकी अपलैंड कपास)] उगाता है। 

  • जी. हिरसुटम भारत में संकर कपास की 90% हिस्सेदारी रखता है और सभी मौजूदा बीटी कपास संकर जी. हिर्सुटम हैं।

भारत न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कपास खरीद कर कपास किसानों को सहायता प्रदान करता है।  

कपास की खेती के लिए जलवायु और मिट्टी

  • कपास उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय परिस्थितियों में उगाया जाता है।
  • वानस्पतिक वृद्धि के लिए इष्टतम तापमान 21-27 डिग्री सेल्सियस है और यह 43 डिग्री सेल्सियस तक तापमान सहन कर सकता है, लेकिन 21 डिग्री सेल्सियस से कम तापमान फसल के लिए हानिकारक है।
  • कपास विभिन्न प्रकार की मिट्टियों में उगाया जाता है, जिनमें अच्छी जल निकासी वाली गहरी जलोढ़ मिट्टी, काली चिकनी मिट्टी, काली मिट्टी, लाल मिट्टी आदि शामिल हैं।
  • कपास लवणता के प्रति अर्ध-सहिष्णु है तथा जल-जमाव के प्रति संवेदनशील है, इसलिए यह अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में उगायी जाती है। 

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