संदर्भ:

हाल ही में, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उस ‘आशय पत्र’ पर हस्ताक्षर को मंजूरी दी, जिससे भारत ‘ऊर्जा दक्षता केंद्र’ में शामिल हो सकेगा।

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र का विवरण

  • इस केंद्र की स्थापना वर्ष 2019 में 16 सरकारों के बीच स्वैच्छिक सहयोग के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य ऊर्जा दक्षता को लागू करने में अपनी प्रभावशीलता को मजबूत करना था।

इसकी स्थापना ऊर्जा दक्षता सहयोग हेतु अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी (International Partnership for Energy Efficiency Cooperation-IPEEC) के उत्तरवर्ती संस्था  के रूप में की गई थी, जिसका भारत सदस्य था।

  • ऊर्जा दक्षता सहयोग हेतु अंतर्राष्ट्रीय साझेदारी अलग-अलग देशों की एक स्वायत्त साझेदारी थी जिसका गठन वर्ष 2009 में ऊर्जा दक्षता पर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए समूह 8 (G8) देशों द्वारा की गई थी। इसका अधिदेश दिसंबर 2019 में समाप्त कर दिया गया था। 

भारत की ओर से ऊर्जा दक्षता ब्यूरो को अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया गया है।

  • मार्च 2002 में ऊर्जा संरक्षण अधिनियम, 2001 के प्रावधानों के अंतर्गत ऊर्जा दक्षता ब्यूरो की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था की ऊर्जा गहनता में सुधार लाना तथा देश के सतत विकास में योगदान देना था। 

वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र में पांच कार्य समूह हैं – 

  • डिजिटलीकरण कार्य समूह (DWG): यह ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों के डिजिटलीकरण से संबंधित जानकारी देता है और उसे आगे बढ़ाता है।
  • उच्च-कुशल उपस्कर और उपकरण परिनियोजन (SEAD): यह दुनिया भर में कुशल उपस्करों, प्रकाश व्यवस्था और उपकरणों के निर्माण, खरीद और उपयोग को बढ़ावा देने हेतु सरकारों के बीच एक सहयोग है।
  • भवनों में ऊर्जा दक्षता (EEB): यह भवनों में ऊर्जा दक्षता में सुधार से संबंधित नीतिगत जानकारी का आदान-प्रदान करने का एक मंच है।
  • ऊर्जा प्रबंधन कार्रवाई तंत्र (EMAK): यह उद्योग और भवनों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए प्रणालियों पर सार्वजनिक-निजी आदान-प्रदान की सुविधा प्रदान करता है।
  • शीर्ष दस (TOP TENs): यह प्रमुख ऊर्जा-उपभोग क्षेत्रों में सर्वोत्तम ऊर्जा-कुशल प्रौद्योगिकियों और सर्वोत्तम प्रथाओं की सूची तैयार करता है। 

अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र की सदस्यता

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी के सदस्य, अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी संघ के देश और स्वच्छ ऊर्जा मंत्रिस्तरीय  सदस्य ऊर्जा दक्षता केंद्र में शामिल होने के पात्र हैं।

सदस्य राष्ट्र (16): अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, डेनमार्क, यूरोपीय आयोग, फ्रांस, जर्मनी, जापान, दक्षिण कोरिया, लक्जमबर्ग, रूस, सऊदी अरब, ब्रिटेन और अमेरिका।

  • इसका सचिवालय पेरिस स्थित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी में है।

इसकी सदस्यता देशों  को ऊर्जा दक्षता नीतियों की रूपरेखा तैयार करने और कार्यान्वित करने के बारे में एक-दूसरे से सीखने का अवसर प्रदान करती  है।

सदस्यता का महत्व

  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र अपने सदस्यों और अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी तथा अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के बीच सहयोग बढ़ाने पर बल  देता है।
  • इस वैश्विक मंच के साथ भारत की भागीदारी से निम्न-कार्बन अर्थव्यवस्था में परिवर्तन को गति देने तथा ऊर्जा सुरक्षा में सुधार लाने में मदद मिलेगी।
  • अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा दक्षता केंद्र में शामिल होने से भारत को विशेषज्ञों और संसाधनों के विशाल तंत्र तक पहुंच प्राप्त होगी, जिससे वह अपनी घरेलू ऊर्जा दक्षता पहलों को बढ़ाने में सक्षम हो सकेगा।

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