संदर्भ:
एशियाई विकास बैंक (ADB) ने भारत के लिए मजबूत आर्थिक विकास का अनुमान लगाया है, जिसमें वित्त वर्ष 2024 में जीडीपी में 7.0% और वित्त वर्ष 2025 में 7.2% की वृद्धि का अनुमान है।
ADB द्वारा जारी एशिया डेवलपमेंट आउटलुक के प्रमुख बिंदु
- भारत की अर्थव्यवस्था लचीली है, इसके स्थिर रूप से बढ़ने की उम्मीद है, मजबूत कृषि सुधारों से ग्रामीण व्यय में वृद्धि होगी, तथा मजबूत औद्योगिक और सेवा प्रदर्शन से भी इसमें मदद मिलेगी।
- वित्त वर्ष 2024 में औसत से अधिक मानसून से कृषि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है, जिसका ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
- उद्योग और सेवा क्षेत्र के साथ-साथ वित्त वर्ष 2024 और वित्त वर्ष 2025 में निजी निवेश और शहरी उपभोग के लिए भी सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखा गया है।
- नए रोजगार-संबंधी प्रोत्साहन वित्त वर्ष 2025 से श्रम मांग और रोजगार सृजन को बढ़ावा दे सकते हैं।
- केंद्र सरकार का ऋण वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद के 58.2% से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 56.8% होने का अनुमान है , साथ ही सामान्य सरकारी घाटा सकल घरेलू उत्पाद के 8% से नीचे आने की उम्मीद है।
एशियाई विकास बैंक (ADB)
- इसकी स्थापना 1966 में हुई, इसके 68 सदस्य हैं, जिनमें से 49 एशिया और प्रशांत क्षेत्र के हैं और 19 अन्य क्षेत्र के हैं।
- इसका उद्देश्य समृद्ध, समावेशी और सतत एशिया और प्रशांत क्षेत्र बनाना है, साथ ही इस क्षेत्र में निर्धनता को खत्म करने के लिए काम करना है।
- ADB, सामाजिक और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए ऋण, तकनीकी सहायता, अनुदान और निवेश की पेशकश करके अपने सदस्य देशों और भागीदारों का समर्थन करता है।
- उच्च खाद्य कीमतों के कारण वित्त वर्ष 2024 में उपभोक्ता मुद्रास्फीति बढ़कर 4.7% होने की उम्मीद है, जो संभावित रूप से केंद्रीय बैंक की मौद्रिक नीति के लचीलेपन को सीमित कर सकती है । हालांकि, अगर कृषि आपूर्ति में सुधार होता है, तो केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम कर सकता है, जिससे ऋण विस्तार में मदद मिलेगी।
- चालू खाता घाटा वित्त वर्ष 2024 में सकल घरेलू उत्पाद का 1.0% और वित्त वर्ष 2025 में 1.2% रहने का अनुमान है, जो दोनों वर्षों के लिए 1.7% के पिछले अनुमान से कम है, निर्यात मे वृद्धि, आयात मे कमी और अधिक प्रेषण प्राप्ति इस सकारात्मक दृष्टिकोण में योगदान करते हैं।
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में वृद्धि से विकास को बढ़ावा मिल सकता है, विशेष रूप से विनिर्माण क्षेत्र में, जबकि कृषि आपूर्ति में सुधार से मुद्रास्फीति को कम करने में मदद मिल सकती है।
अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सरकारी व्यय मे वृद्धि
- कृषि और बुनियादी ढाँचे में निवेश : बेहतर कृषि नीतियों का समर्थन करने से ग्रामीण अर्थव्यवस्थाओं को बढ़ावा मिल सकता है, जबकि बुनियादी ढाँचे, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अनुसंधान में निवेश से उत्पादकता और लाभप्रदता में वृद्धि होती है।
- दीर्घकालिक विकास रणनीतियाँ : सरकारी व्यय, लाभ में वृद्धि और निवेश को प्रोत्साहित करके दीर्घकालिक विकास को बढ़ावा दिया जा सकता है, जिसे निवेश कर क्रेडिट (Investment Tax Credit-ITC) और निम्न निगम कर जैसी नीतियों द्वारा समर्थन प्राप्त होता है।
- मांग और आपूर्ति कारकों में संतुलन : मांग-पक्ष राजकोषीय नीतियों को आपूर्ति-पक्ष रणनीतियों के साथ संयोजित करने से प्रतिस्पर्धात्मकता में सुधार करने में सहायता मिलती है, जबकि उत्पादकता के अनुरूप वेतन वृद्धि को बनाए रखने से संतुलित अर्थव्यवस्था सुनिश्चित होती है।
- मितव्ययिता उपायों से बचना : बजट में अधिक कटौती से मांग और निवेश में कमी आने से अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, इसलिए आर्थिक माहौल के अनुकूल लचीला दृष्टिकोण विकास को बनाए रखने के लिए आवश्यक है।
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