संदर्भ:

हाल ही में, केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना (Road Connectivity Project for Left Wing Extremism Affected Areas-RCPLWEA) के लिए आवंटन को दोगुना करके 1,000 करोड़ रुपये कर दिया है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • यह निर्णय केंद्रीय गृह मंत्रालय की मार्च 2026 तक देश से वामपंथी उग्रवाद (LWE) को समाप्त करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
  • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (PMGSY) के अंतर्गत एक पृथक योजना है।

वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्र के लिए सड़क संपर्क परियोजना 

  • उद्देश्य: इसका उद्देश्य वामपंथी उग्रवाद से सबसे अधिक प्रभावित 44 जिलों में बारहमासी सड़क संपर्क को बढ़ाना है, जिससे आवश्यक सेवाओं और आर्थिक अवसरों तक पहुंच आसान हो सके।
  • नोडल मंत्रालय: ग्रामीण विकास मंत्रालय  इस योजना का नोडल मंत्रालय है।
  • वित्तपोषण संरचना: यह योजना केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के समान 60:40 व्यय-साझाकरण मॉडल पर संचालित होती है, जिससे बुनियादी ढांचे के विकास में सहयोगात्मक निवेश सुनिश्चित होता है।
  • लक्षित राज्य: यह परियोजना छत्तीसगढ़, झारखंड और आंध्र प्रदेश सहित उन नौ राज्यों पर केंद्रित है, जो वामपंथी उग्रवाद गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित हैं।
  • प्रगति: वर्ष 2016 में इसके गठन के बाद से, इन क्षेत्रों में गतिशीलता में सुधार हेतु 12,227 किलोमीटर से अधिक लंबी सड़कों को मंजूरी दी गई है, जिनमें से महत्वपूर्ण हिस्से का निर्माण पहले ही पूरा हो चुका है।

महत्व: 

  • ये सड़कें इन क्षेत्रों की रणनीतिक सुरक्षा आवश्यकताओं को पूरा करेंगी, जो बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में ऐतिहासिक रूप से घाटे में रहे हैं, जिससे वामपंथी उग्रवाद को बढ़ावा मिला है।
  • वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों के लिए सड़क संपर्क परियोजना को स्थानीय लोगों हेतु बेहतर गतिशीलता तथा पहुंच प्रदान करके वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक-आर्थिक विकास और ग्रामीण आजीविका के संवर्धन के लिए एक प्रमुख उत्प्रेरक के रूप में देखा गया है।

नक्सलवाद क्या है?

  • नक्सलवाद एक चरमपंथी विचारधारा है जो लोकतंत्र और लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अवधारणा में विश्वास नहीं करती है।
  • नक्सलवाद का जन्म वर्ष 1967 में स्थानीय जमींदारों के खिलाफ नक्सलबाड़ी विद्रोह के साथ हुआ था।
  • नक्सलबाड़ी उत्तरी पश्चिम बंगाल का एक गाँव है जो राज्य के भूस्वामियों के खिलाफ चारु मजूमदार, कानू सान्याल और जंगल संथाल जैसे कम्युनिस्ट नेताओं द्वारा भड़काए गए आदिवासी किसान विद्रोह का केंद्र था।
  • यह वामपंथी/माओवादी विचारधाराओं से प्रेरित राज्य के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह का एक रूप है और इसलिए इसे वामपंथी उग्रवाद (Left Wing Extremism-LWE) के रूप में भी जाना जाता है।

अन्य सरकारी प्रयास:

  • प्रधानमंत्री जनजातीय आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम-जनमन) का वित्तपोषण भी वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए 1,260 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है।
  • इन प्रयासों का सामूहिक उद्देश्य पूरे भारत में हाशिए पर स्थित समुदायों का उत्थान करना और ग्रामीण बुनियादी ढाँचे को बेहतर करना है।
  • वामपंथी उग्रवाद के खतरे से समग्र रूप से निपटने के लिए, भारत सरकार ने वर्ष 2015 में “वामपंथी उग्रवाद से निपटने के लिए राष्ट्रीय नीति और कार्य योजना” को मंजूरी दी थी।
  • योजना के सक्रिय कार्यान्वयन के कारण वामपंथी उग्रवाद हिंसा की घटनाओं में वर्ष 2010 की उच्च स्तर की तुलना में 73% की कमी आई है।
  • योजना के परिणामस्वरूप मृत्यु दर वर्ष 2010 में 1005 से वर्ष 2023 में 138 तक (86% कम) हो गई है।
  • चालू वर्ष 2024 में वामपंथी उग्रवाद से संबंधित घटनाओं में 32% की कमी आई है।
  • वामपंथी उग्रवाद हिंसा का भौगोलिक विस्तार भी काफी हद तक सीमित हो गया है और वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या वर्ष 2013 में 10 राज्यों में 126 से घटकर वर्ष 2024 में 09 राज्यों में केवल 38 जिले रह गई है।

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