संदर्भ:

केवलादेव नेशनल पार्क में भारत का पहला ‘टील कार्बन’ अध्ययन किया गया।

अन्य संबंधित जानकारी

  • इस अध्ययन में जलवायु अनुकूलन और लचीलेपन की चुनौतियों से निपटने में आर्द्रभूमि संरक्षण के महत्व पर प्रकाश डाला गया।
  • केवलादेव नेशनल पार्क में यह व्यापक समीक्षा राजस्थान केन्द्रीय विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (EPA) और केन्यन कॉलेज, ओहियो, अमेरिका के सिओभान फेनेसी के सहयोग से की गई थी। 

आर्द्रभूमि

  • आर्द्रभूमि (संरक्षण और प्रबंधन) नियम 2017 के तहत आर्द्रभूमि की परिभाषा के अनुसार, दलदल, दलदली भूमि, पीतभूमि या पानी का क्षेत्र; चाहे प्राकृतिक हो या कृत्रिम, स्थायी हो या अस्थायी, स्थिर या बहता हुआ पानी, ताजा, खारा या नमकीन, जिसमें समुद्री पानी के क्षेत्र शामिल हैं जिनकी गहराई कम ज्वार पर छह मीटर से अधिक नहीं होती है, को आर्द्रभूमि माना जाता है।
  • जल संतृप्ति (हाइड्रोलॉजी) काफी हद तक यह निर्धारित करती है कि मिट्टी कैसे विकसित होती है और मिट्टी में और उस पर रहने वाले पौधे और पशु समुदायों के स्वरूप क्या हैं। आर्द्रभूमि जलीय और स्थलीय दोनों प्रजातियों को सहायता कर सकते हैं।
  • पानी की लंबे समय तक मौजूदगी ऐसी परिस्थितियाँ बनाती है जो विशेष रूप से अनुकूलित पौधों (हाइड्रोफाइट्स) के विकास के लिए अनुकूल होती हैं और विशिष्ट आर्द्रभूमि (हाइड्रिक) मिट्टी के विकास को बढ़ावा देती हैं।

टील कार्बन क्या है?

  • यह गैर-ज्वारीय मीठे पानी की आर्द्रभूमि में संग्रहित कार्बन को संदर्भित करता है, जिसमें वनस्पति, सूक्ष्मजीवी बायोमास तथा विघटित एवं कणिकीय कार्बनिक पदार्थों में संग्रहित कार्बन शामिल है।
  • रंग-आधारित शब्दावली कार्बनिक कार्बन के वर्गीकरण को उसके भौतिक गुणों के बजाय उसके कार्यों और स्थान के आधार पर दर्शाती है।
  • वैश्विक स्तर पर, पारिस्थितिक तंत्रों में टील कार्बन का भंडारण 500.21 पेटाग्राम कार्बन (PgC) होने का अनुमान है। 
  • पीतभूमि, मीठे पानी के दलदल और प्राकृतिक मीठे पानी के दलदल इस भंडारण का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।

आर्द्रभूमि और टील कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र का महत्व

  • हालांकि आर्द्रभूमियां ग्रीनहाउस गैसों को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, लेकिन वे प्रदूषण, भूमि उपयोग में परिवर्तन, जल निकासी और भूदृश्य परिवर्तनों के कारण क्षरण के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं।
  • क्षीण होती आर्द्रभूमियां वायुमंडल में मीथेन और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित कर सकती हैं।
  • आर्द्रभूमि के संरक्षण के लिए पर्याप्त जल आपूर्ति सुनिश्चित करना तथा उपयुक्त वनस्पति का चयन करना आवश्यक है, जिससे टील कार्बन संग्रह को बनाए रखने में मदद मिलेगी।
  • इसके अतिरिक्त, टील कार्बन पारिस्थितिकी तंत्र भूजल स्तर को बढ़ाने, बाढ़ को कम करने और ताप द्वीप प्रभाव को कम करने में योगदान देगा, जिससे सतत शहरी अनुकूलन को समर्थन मिलेगा।

केवलादेव नेशनल पार्क

  • इस नेशनल पार्क को वर्ष 1981 में राजस्थान सरकार द्वारा अधिसूचित किया गया था।
  • केवलादेव नेशनल पार्क में प्राकृतिक आवासों की एक अनूठी कुट्टिभचित्र (mosaic) है जिसमें आर्द्रभूमि, जंगल, झाड़ीदार जंगल, घास के मैदान शामिल हैं जो पौधों और जानवरों की प्रजातियों की एक अद्भुत विविधता का समर्थन करते हैं।
  • इस पार्क को अक्सर ‘बर्डर्स पैराडाइज’ के रूप में जाना जाता है।
  • यह एक रामसर साइट और एक विश्व धरोहर स्थल है।

कार्बन के अन्य किस्म

  • ब्लैक कार्बन: यह गैस और डीजल इंजनों, कोयला आधारित बिजली संयंत्रों और जीवाश्म ईंधन को जलाने वाले अन्य स्रोतों से उत्सर्जित होने वाला कालिख जैसा काला पदार्थ होता है।
  • भूरा कार्बन: यह एक प्रकाश-अवशोषित कार्बनिक कार्बन है जो काले कार्बन के साथ सह-अस्तित्व में रहता है।
  • ब्लू कार्बन: यह विश्व के महासागर और तटीय पारिस्थितिकी तंत्रों द्वारा अवशोषित कार्बन के लिए प्रयुक्त शब्द है।

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