संदर्भ:

हाल ही में, भारत के प्रधानमंत्री ने वर्षा जल संचयन को बढ़ाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए जल संचय जन भागीदारी पहल शुरू की।

जल संचय जन भागीदारी के विवरण

  • इस पहल का उद्देश्य सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व पर ध्यान केंद्रित करते हुए जल संरक्षण करना है।
  • इसका शुभारंभ जल शक्ति मंत्रालय द्वारा गुजरात में राज्य सरकार के साथ साझेदारी में किया गया, जो पिछली जल संचय पहल की सफलता पर आधारित है।  
  • इसमें “समग्र समाज” और “समग्र सरकार” [“whole-of-society” and “whole-of-government”] दृष्टिकोण का उपयोग किया गया है, अर्थात नागरिकों से लेकर सरकारी निकायों तक सभी इसमें शामिल हैं।
  • कार्यक्रम में जल सुरक्षा के लिए नागरिकों, स्थानीय निकायों, उद्योगों और अन्य हितधारकों को एक साथ मिलकर काम करने हेतु प्रेरित करने पर जोर दिया गया।
  • वर्षा जल संचयन में सुधार लाने और दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए सम्पूर्ण गुजरात में लगभग 24,800 वर्षा जल संचयन संरचनाएं बनाई जाएंगी।
  • यह वर्तमान में चल रहे ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ अभियान के अनुरूप है।

जल शक्ति अभियान

  • इसे जल संरक्षण और संसाधन प्रबंधन को बढ़ाने के लिए वर्ष 2019 में शुरू किया गया था।
  • वर्ष 2021 में इस अभियान को जल शक्ति अभियान में विस्तारित किया गया, जिसका विषय था “बारिश को पकड़ो- जहाँ भी गिरे, जब भी गिरे” (“Catch the Rain – Where it Falls When it Falls)।

इसमें पाँच प्रमुख कार्य शामिल थे:

  • वर्षा जल संचयन और जल संरक्षण
  • जल निकायों और वैज्ञानिक संरक्षण योजनाओं की सूची बनाना
  • जल शक्ति केंद्र स्थापित करना
  • गहन वनरोपण
  • जागरूकता बढ़ाना

जल संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी

  • आंध्र प्रदेश (नीरू-चेट्टू): बेहतर जल संरक्षण के माध्यम से राज्य को ‘सूखा-मुक्त’ बनाने के लिए सामूहिक भागीदारी और जागरूकता।
  • बिहार (जल जीवन हरियाली): जल संरक्षण में किसानों की भागीदारी को प्रोत्साहित करना तथा सिंचाई की आवश्यकता को कम करने के लिए नई प्रौद्योगिकियों को अपनाना।
  • गुजरात (सुजलाम सुफलाम जल संचय अभियान): सार्वजनिक-निजी भागीदारी मॉडल के माध्यम से जल निकायों को गहरा करने का उद्देश्य भंडारण क्षमता को बढ़ाना और जल की कमी का प्रभावी प्रबंधन करना है।
  • तेलंगाना (मिशन काकतीय): स्थायी जल सुरक्षा के लिए सामुदायिक भागीदारी के साथ राज्य में लघु सिंचाई का प्रसार करना।
  • ओडिशा (पानी पंचायत): जल उपयोग को अनुकूलतम बनाना तथा कृषि उत्पादकता में सुधार करना।

वर्षा जल संचयन

  • वर्षा जल संचयन सिंचाई और शौचालयों को फ्लश करने से लेकर पीने के लिए शुद्धिकरण तक विभिन्न उपयोगों के लिए वर्षा जल को इकट्ठा करता है और संग्रहित करता है। यह विधि नगरपालिका जल प्रणालियों पर निर्भरता को कम कर सकती है और पानी की कमी की समस्या को हल कर सकती है।

वर्षा जल संचयन के स्वरूप:

  • छत पर वर्षा जल संचयन: यह छतों से सीधे वर्षा जल एकत्र करता है। जल को या तो टैंकों में संग्रहित किया जाता है या भूजल को पुनर्भरण करने हेतु नीचे भेज देता है।
  • सतही वर्षा जल संचयन: जलभृतों को पुनर्भरण करने के लिए नगरीय क्षेत्रों से वर्षा जल अपवाह को इकट्ठा करता है।

Also Read:

टील कार्बन

Shares: