संदर्भ:
हाल ही में, भारत ने अपनी दूसरी परमाणु ऊर्जा चालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBN) आईएनएस अरिघाट या एस-3 को विशाखापत्तनम में सेवा में शामिल किया है।
आईएनएस अरिघाट का विवरण
- नई पनडुब्बी का नाम आईएनएस अरिघाट रखा गया है, जिसका नाम प्राचीन संस्कृत शब्द “अरिघाट” से लिया गया है जिसका अर्थ है “शत्रुओं का नाश करने वाला”।
- यह नाम भारत की मजबूत प्रतिरोध क्षमता के साथ अपने समुद्री हितों की रक्षा के प्रति समर्पण को दर्शाता है।
- यह आईएनएस अरिहंत के बाद अरिहंत श्रेणी की दूसरी पनडुब्बी है।
- इसका निर्माण वर्ष 2017 से विशाखापत्तनम स्थित जहाज निर्माण केंद्र में हुआ।
प्रमुख विशेषताऐं:
- यह पनडुब्बी 83 मेगावाट के दबावयुक्त हल्के जल रिएक्टरों द्वारा संचालित है, जिससे यह महीनों तक पानी के अंदर रह सकती है।
- इसका भार 6,000 टन है तथा लंबाई 112 मीटर है।
- यह सतह पर 12-15 नॉट्स (22-28 किमी/घंटा) की अधिकतम गति से तथा पानी के अंदर 24 नॉट्स (44 किमी/घंटा) की गति से यात्रा कर सकता है।
- इसमें बैलास्ट टैंक के साथ दोहरा पतवार, दो अतिरिक्त सहायक इंजन तथा आपातकालीन शक्ति और गतिशीलता के लिए एक वापस लेने योग्य प्रक्षेपक (thruster) की सुविधा है।
आयुध एवं क्षमताएं:
- यह आईएनएस अरिहंत की तरह 3,500 किलोमीटर से अधिक दूरी क्षमता वाली चार परमाणु-सक्षम एसएलबीएम (पनडुब्बी से प्रक्षेपित बैलिस्टिक मिसाइल) या लगभग 750 किलोमीटर दूरी क्षमता वाली 12 के-15 एसएलबीएम ले जा सकता है।
- के-15 मिसाइलों को सामरिक परमाणु हथियार से लैस किया जा सकता है।
- यह पनडुब्बी टॉरपीडो से भी सुसज्जित होगी।
- यद्यपि आईएनएस अरिघाट का आकार, लंबाई और विस्थापन आईएनएस अरिहंत के समान ही है, लेकिन यह अधिक के-15 मिसाइलों को ले जा सकता है और इसे अधिक सक्षम, कुशल और गुप्त माना जाता है।
भारत की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी परियोजना
- भारत की परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बी परियोजना 30 साल पहले निजी फर्मों, रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की भागीदारी और रूस की सहायता से शुरू हुई थी।
- पहली पनडुब्बी, आईएनएस अरिहंत, वर्ष 2009 में शुरू की गई थी और वर्ष 2016 में नौसेना में शामिल की गई थी। वर्ष 2018 में, आईएनएस अरिहंत ने अपना पहला निवारक गश्त पूरा किया, जिससे भारत का परमाणु त्रिकोण स्थापित हुआ।
- अक्टूबर 2022 में, इसने बंगाल की खाड़ी में एक पनडुब्बी से लॉन्च की गई बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) को सफलतापूर्वक और सटीक रूप से लॉन्च किया।
वर्तमान और नियोजित पनडुब्बियाँ
- भारत दो अतिरिक्त पनडुब्बी से लॉन्च की जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी (SSBNs) बनाने की योजना बना रहा है, जिनमें से प्रत्येक का भार 7,000 टन होगा।
- तीसरी पनडुब्बी, आईएनएस अरिदमन (एस4) के अगले साल शामिल होने की उम्मीद है, इसके बाद चौथी एसएसबीएन कोडनाम एस-4 भी शामिल होगी।
- भारतीय नौसेना के पास 16 पारंपरिक पनडुब्बियां हैं, जिनमें सात किलो (सिंधुघोष) श्रेणी की पनडुब्बियां, चार शिशुमार श्रेणी की पनडुब्बियां और पांच कलवरी श्रेणी की पनडुब्बियां शामिल हैं।
आईएनएस अरिघाट का महत्व
- भारत की नौसैनिक शक्ति को बढ़ावा: यह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में दो परमाणु ऊर्जा चालित पनडुब्बियों के साथ भारत की नौसैनिक शक्ति को बढ़ाता है, जिससे सामरिक लाभ मिलता है और चीन जैसे राष्ट्रों पर अंकुश लगता है।
- परिचालन लचीलापन और क्षेत्रीय सुरक्षा: यह पनडुब्बी रोधी युद्ध और खुफिया जानकारी जुटाने जैसे विविध मिशनों को अंजाम दे सकता है, जिससे भारत की समुद्री जागरूकता और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ावा मिलेगा
- सामरिक महत्व: आईएनएस अरिघाट भारत को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली पनडुब्बियों वाले देशों के विशिष्ट समूह में शामिल करता है, जिसमें अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस और चीन शामिल हैं।