संदर्भ:
रिपोर्टों में दावा किया गया कि शेख हसीना ने आरोप लगाया कि अमेरिका सेंट मार्टिन द्वीप को सैन्य अड्डे के लिए संभावित स्थल के रूप में इस्तेमाल करने का विचार कर रहा था।
अन्य संबंधित जानकारी
- बांग्लादेश के एकमात्र प्रवाल द्वीप सेंट मार्टिन द्वीप ने तब ध्यान आकर्षित किया जब ऐसी रिपोर्टें आईं कि शेख हसीना ने अपने भाषण में कहा कि उन्हें सत्ता से हटाने के पीछे अमेरिका था, क्योंकि उन्होंने द्वीप उसे नहीं सौंपा था।
- उनके बेटे ने इसका खंडन करते हुए कहा कि हसीना ने ऐसी कोई टिप्पणी नहीं की है।
सेंट मार्टिन द्वीप से जुड़ा विवाद
- बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित यह छोटा-सा प्रवाल द्वीप, बांग्लादेश और म्यांमार के बीच लम्बे समय से चले आ रहे संप्रभुता विवाद का केंद्र रहा है।
- वर्ष 1974 में हुए समझौते के अनुसार इसे बांग्लादेशी क्षेत्र माना गया था, लेकिन समुद्री सीमाओं का सीमांकन तनाव का स्रोत रहा है, जिसके कारण बांग्लादेशी मछुआरों को म्यांमार की नौसेना द्वारा हिरासत में लिया जाता है और चेतावनी दी जाती है।
- वर्ष 2012 में, अंतर्राष्ट्रीय समुद्री कानून न्यायाधिकरण (ITLOS) के एक ऐतिहासिक निर्णय में द्वीप पर बांग्लादेश की संप्रभुता की पुष्टि की गई, जिसका देश के प्रादेशिक जल और विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा।
- जून 2023 में, हसीना ने अमेरिका पर चुनावों में बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की जीत के बदले में सेंट मार्टिन द्वीप का अधिग्रहण करने और सैन्य अड्डा बनाने का इरादा रखने का आरोप लगाया।
सेंट मार्टिन द्वीप का इतिहास
- सेंट मार्टिन द्वीप, जिसे ‘नारिकेल जिंजीरा’ (नारियल द्वीप) या ‘दारुचिनी द्वीप’ (दालचीनी द्वीप) के नाम से भी जाना जाता है, बांग्लादेश का एकमात्र प्रवाल द्वीप है।
- मात्र 3 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल वाले इस क्षेत्र में लगभग 3,700 निवासी रहते हैं, जो मुख्य रूप से मछली पकड़ने, चावल की खेती, नारियल की खेती और समुद्री शैवाल की खेती में लगे हुए हैं।
- इस द्वीप का इतिहास 18वीं शताब्दी का है जब अरब व्यापारियों ने इसे पहली बार बसाया था और इसका नाम ‘जज़ीरा’ रखा था।
- वर्ष 1900 में, ब्रिटिश शासन के अधीन, इसका नाम एक ईसाई पादरी या चटगाँव के डिप्टी कमिश्नर, श्री मार्टिन के नाम पर रखा गया था।
- वर्ष 1937 में म्यांमार के अलग हो जाने के बाद भी यह द्वीप ब्रिटिश भारत का हिस्सा बना रहा।
- वर्ष 1947 के विभाजन के बाद, सेंट मार्टिन द्वीप 1971 के मुक्ति संग्राम तक पाकिस्तान का हिस्सा रहा, जिसके बाद यह बांग्लादेश में शामिल हो गया।
- वर्ष 1974 में बांग्लादेश और म्यांमार के बीच समझौता हुआ कि प्रवाल द्वीप बांग्लादेशी क्षेत्र का हिस्सा होगा।