संदर्भ:
एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि लगभग 2,500 वर्ष पूर्व आए भूकंप के कारण वर्तमान बांग्लादेश में गंगा नदी का मार्ग बदल गया होगा।
अन्य संबंधित जानकारी:
- यह अध्ययन नेचर कम्युनिकेशंस में प्रकाशित किया गया था।
- इसमें संभवतः 7-8 तीव्रता वाले एक भूकंप और गंगा नदी पर इसके प्रभाव की जांच की गई है।
मुख्य निष्कर्ष
नदी मार्ग परिवर्तन (अवक्षेपण):
- भूकंप ने संभवतः वर्तमान बांग्लादेश में गंगा नदी की मुख्य धारा का मार्ग बदल दिया था।
- प्रमुख डेल्टाओं में नदियाँ, जैसे गंगा, अक्सर अपना मार्ग बदल लेती हैं, लेकिन भूकंप के कारण ये परिवर्तन लगभग तुरंत हो सकते हैं।
- शोधकर्ता आधुनिक गंगा नदी के दक्षिण में लगभग 45 किलोमीटर दूर लगभग 2 किलोमीटर चौड़े “पैलियोचैनल” (नदी के प्राचीन मार्ग का एक अच्छी तरह से संरक्षित मिट्टी और रेत का संग्रह) की खोज कर रहे थे।
- उपग्रह द्वार प्राप्त चित्रों से पता चला है कि गंगा की पूर्व मुख्य धारा बांग्लादेश के ढाका से लगभग 100 किलोमीटर दक्षिण में है।
- अपने फील्डवर्क के दौरान, टीम को पैलियोचैनल के पूर्व में एक किलोमीटर की दूरी पर दो बड़े रेत के बांध ( सीस्माइट ) भी मिले।
ये तटबंध तब बनते हैं जब भूकंप के कारण नदी का तल अस्त-व्यस्त हो जाता है और तलछट बहने लगती है जैसे कि वे तरल हों (द्रवीकरण प्रक्रिया)।
इन रेतीले बांधों ने इस बात का पहला प्रमाण प्रस्तुत किया कि भूकंप नदियों को हिला सकता है।
शोध पद्धति:
- इन दोनों घटनाओं के घटित होने का समय जानने के लिए शोधकर्ताओं ने ऑप्टिकली स्टिम्युलेटेड ल्यूमिनेसेंस (ओएसएल) डेटिंग नामक तकनीक का उपयोग किया ।
यह पद्धति इस बात का अनुमान लगाती है कि एक खनिज कण (अर्थात् कुछ मिलीमीटर से भी कम आकार का एक खनिज कण, जैसे रेत या मिट्टी में क्वार्ट्ज कण) कितने समय से दबा हुआ है, इसके लिए इसमें संग्रहित प्राकृतिक विकिरण की मात्रा को मापा जाता है।
रेत और मिट्टी के रासायनिक विश्लेषण से पता चलता है कि यह भूकंप लगभग 2,500 वर्ष पहले आया था।
संभावित भूकंप स्रोत:
- दक्षिण और पूर्व में एक सबडक्शन ज़ोन है, जहाँ एक समुद्री प्लेट बांग्लादेश, म्यांमार और पूर्वोत्तर भारत को धकेल रही है।
- उत्तर में हिमालय की तलहटी में विशाल भ्रंश धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं क्योंकि भारतीय उपमहाद्वीप धीरे-धीरे एशिया के बाकी हिस्सों से टकरा रहा है।
अध्ययन के निष्कर्षों में बड़े भूकंपों के तत्काल पूर्वानुमान की आवश्यकता बताई गई है, जो नदियों के उफान का कारण बन सकते हैं, इसलिए निर्णयकर्ताओं और आम लोगों को जोखिम के बारे में जागरूक करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि वे भविष्य में ऐसी घटनाओं के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकें।