संदर्भ:

हाल ही में आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता संयुक्त समिति की 5वीं बैठक 29 जुलाई से 1 अगस्त, 2024 तक इंडोनेशिया के जकार्ता में हुई। यह बैठक आसियान और भारत के बीच आर्थिक सहयोग बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है।

मुख्य बिंदु

  • उप-समिति की चर्चा: आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (ASEAN-India Trade in Goods Agreement-AITIGA) संयुक्त समिति और सभी आठ उप-समितियां [जो व्यापार के विभिन्न पहलुओं जैसे- ‘राष्ट्रीय उपचार एवं बाजार पहुंच’ और ‘सीमा शुल्क प्रक्रियाओं’ पर ध्यान केंद्रित करती हैं] ने बैठक की और संयुक्त समिति को महत्वपूर्ण प्रगति की रिपोर्ट दी। 
  • द्विपक्षीय वार्ता: भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने एआईटीआईजीए समीक्षा मुद्दों पर एकमत होने के लिए मलेशिया, सिंगापुर, इंडोनेशिया और वियतनाम के प्रतिनिधियों के साथ द्विपक्षीय चर्चा की।
  • आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौते की समीक्षा के माध्यम से भारत और आसियान के बीच आगे आर्थिक सहयोग की संभावना तलाशने के लिए आसियान महासचिव डॉ. काओ किम होर्न के साथ भी बैठकें हुईं।
  • भावी दृष्टिकोण: एआईटीआईजीए संयुक्त समिति की अगली बैठक 19-22 नवंबर, 2024 को भारत में निर्धारित की गई है, जिसका उद्देश्य आसियान और भारत के बीच व्यापार सुविधा और सहयोग की गति को जारी रखना है।

दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान)

  • इसका गठन वर्ष 1967 में बैंकॉक घोषणापत्र पर हस्ताक्षर के साथ हुआ था।
  • शुरुआत में, इसमें पाँच सदस्य: इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर और थाईलैंड शामिल थे।
  • यह एक क्षेत्रीय समूह है जो आर्थिक, राजनीतिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देता है। 
  • आसियान देशों की कुल जनसंख्या 700 मिलियन से अधिक है और वर्ष 2022 तक इनका संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 3.62 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर है।

सदस्य:

  • आसियान 10 दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों – ब्रुनेई, कंबोडिया, इंडोनेशिया, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम को एक साथ लाता है।

आसियान-भारत व्यापार

  • भारत ने 13 अगस्त, 2009 को आसियान (अपने चौथे सबसे बड़े व्यापारिक साझेदार) के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे आसियान-भारत वस्तु व्यापार समझौता (AITIGA) के नाम से जाना जाता है। इसे जनवरी 2010 में क्रियान्वित किया गया, इसके बाद वर्ष 2014 में सेवाओं और निवेश में मुक्त व्यापार समझौते किए गए।
  • भारत और आसियान क्षेत्र के बीच वस्तु व्यापार वर्ष 2022-23 में 131.57 बिलियन तक पहुंच गया है।
  • भारत के मुख्य व्यापारिक संबंध इंडोनेशिया, सिंगापुर, मलेशिया, वियतनाम और थाईलैंड के साथ हैं।

भारत-आसियान संबंधों में चुनौतियाँ 

  • व्यापार असंतुलन: आसियान के साथ भारत का व्यापार घाटा पिछले कुछ वर्षों में बढ़ा है, वर्ष 2022-23 में, आसियान से भारत का आयात 87.57 बिलियन डॉलर था, जबकि निर्यात 44 बिलियन डॉलर था।
  • समझौता: क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (Regional Comprehensive Economic Partnership-RCEP) और पार-प्रशांत भागीदारी के लिए व्यापक और प्रगतिशील समझौता (Comprehensive and Progressive Agreement for Trans-Pacific Partnership-CPTPP) जैसे अन्य क्षेत्रीय समझौतों के साथ आसियान देशों की भागीदारी, आसियान-भारत संबंधों से ध्यान और संसाधनों को हटा देती है।
  • चीन की मौजूदगी: चीन जैसी अन्य क्षेत्रीय शक्तियों का अस्तित्व आसियान की क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक विकास के लिए भारत की क्षमता का पूर्ण लाभ उठाने की क्षमता को सीमित करता है।
  • सीमित सम्पर्क सुविधा: सम्पर्क बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद, भारत और आसियान देशों के बीच भौतिक और डिजिटल सम्पर्क सीमित है, जो व्यापार, निवेश और लोगों के बीच संबंधों को प्रभावित करती है।

आगे की राह

भारत-आसियान संबंधों को बढ़ाने के लिए रणनीतिक कदमों में क्वाड का विस्तार करके आसियान देशों को शामिल करना और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अधिक सहयोग और सुरक्षा को बढ़ावा देना शामिल है। समुद्री सुरक्षा संबंधों को मजबूत करना, खासकर चीन के साथ आसियान के सीमित सैन्य संबंधों को देखते हुए, पर्यटन के माध्यम से सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ावा देना और व्यापार, निवेश और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बढ़ावा देने के लिए सम्पर्क सुविधा में सुधार करना।

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