संदर्भ:
राइट्स एंड रिस्क्स एनलिसिस ग्रुप (RRAG) की रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रोजेक्ट टाइगर से कम से कम 5.5 लाख अनुसूचित जनजातियाँ और अन्य वनवासी विस्थापित हो जाएंगे।
रिपोर्ट की मुख्य बातें
- यह रिपोर्ट अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस पर 29 जुलाई, 2024 को जारी की गई थी।
- रिपोर्ट में वर्ष 2021 के बाद से विस्थापन दरों में उल्लेखनीय वृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
- जबकि वर्ष 2021 से पहले 50 बाघ अभयारण्यों से लगभग 2.5 लाख लोग विस्थापित हुए थे, हाल के वर्षों में यह संख्या आसमान छू गई है।
- कुछ अभयारण्यों को 48,333 से अधिक लोगों के विस्थापन का सामना करना पड़ रहा है, जो कि वर्ष 2021 से पूर्व के औसत की तुलना में 967% की चौंका देने वाली वृद्धि है।
- कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य, नौरादेही वन्यजीव अभयारण्य और रानीपुर बाघ अभयारण्य से लोगों को विस्थापित किया जाएगा।
- रिपोर्ट में कहा गया है कि पांच बाघ अभयारण्यों – सह्याद्रि (महाराष्ट्र), सतकोसिया (ओडिशा), कामलांग (अरुणाचल प्रदेश), कवाल (तेलंगाना) और डम्पा (मिजोरम) में कोई बाघ नहीं है, लेकिन 5,670 आदिवासी परिवार विस्थापित हो गए हैं।
जनजातीय अधिकारों का उल्लंघन
- रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि बाघ अभयारण्यों के विस्तार में अक्सर मूल निवासियों के अधिकारों (जैसा कि वन अधिकार अधिनियम’ 2006 और वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 में निहित है) की अवहेलना की जाती है।
- वन अधिकार अधिनियम एक ऐतिहासिक कानून था जिसका उद्देश्य वन संसाधनों और भूमि पर वनवासी समुदायों के अधिकारों को मान्यता देना था।
- रिपोर्ट में किसी भी विस्थापन से पहले प्रभावित समुदायों से स्वतंत्र, पूर्व और सूचित सहमति प्राप्त करने के उल्लेखनीय महत्व पर जोर दिया गया है, जो दोनों अधिनियमों द्वारा अनिवार्य प्रावधान है।
प्रोजेक्ट टाइगर
- वर्ष 1973 में शुरू किया गया प्रोजेक्ट टाइगर, भारत की बाघ आबादी को विलुप्त होने के कगार से पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है।
उद्देश्य:
- प्रोजेक्ट टाइगर का प्राथमिक लक्ष्य अपने प्राकृतिक आवासों में बाघों की व्यवहार्य आबादी सुनिश्चित करना है, जिससे पूरे पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा हो सके।
बाघ अभयारण्य:
- वर्ष 1973 में, प्रोजेक्ट टाइगर की शुरुआत 9,115 वर्ग किलोमीटर में फैले नौ अभयारण्य से हुई थी। वर्ष 2018 तक, यह विभिन्न राज्यों में 55 अभयारण्य तक बढ़ गया था, जिसका कुल क्षेत्रफल 78,135.956 वर्ग किलोमीटर या भारत के भूमि क्षेत्र का 2.38% था।
वित्तपोषण और प्रशासन:
- प्रोजेक्ट टाइगर एक केंद्र प्रायोजित योजना है। इसका वित्तपोषण केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के बीच साझा किया जाता है। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) परियोजना के कार्यान्वयन की देखरेख करता है एवं यह सुनिश्चित करता है कि बाघ आबादी के संरक्षण और प्रबंधन के लिए दिशानिर्देशों का पालन किया जाए।
संरक्षण और मानव अधिकारों में संतुलन
- जनजातीय लोगों के विस्थापन और कथित मानवाधिकार उल्लंघनों ने संरक्षण और मानवाधिकारों के बीच समझौते पर व्यापक बहस को जन्म दिया है।
- वन्यजीवों की सुरक्षा और स्वदेशी समुदायों के अधिकारों और आजीविका को सुनिश्चित करने के बीच संतुलन बनाना संरक्षण प्रयासों की दीर्घकालिक सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
- केस स्टडी: बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर टाइगर रिजर्व: रिपोर्ट में बिलिगिरी रंगास्वामी मंदिर टाइगर रिजर्व को मानव और वन्यजीवों के बीच सह-अस्तित्व के एक मॉडल के रूप में दर्शाया गया है। सोलिगा जनजाति ने रिजर्व के भीतर बाघों के साथ सफलतापूर्वक सहवास किया है, जो दर्शाता है कि संरक्षण और मानव आजीविका में सामंजस्य स्थापित किया जा सकता है।
वर्ष 2010 और वर्ष 2014 के बीच इस क्षेत्र में बाघों की आबादी लगभग दोगुनी होकर 35 से 68 हो गयी, जो उस समय की राष्ट्रीय वृद्धि दर से कहीं अधिक है।