संदर्भ:
हाल ही में, केंद्र सरकार ने पांच राज्यों में छह शहरी बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं सहित नौ प्रस्तावों को मंजूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
उच्च स्तरीय समिति ने छह शहरों में शहरी बाढ़ से निपटने, 4 पहाड़ी राज्यों में हिमनद झील के फटने से बाढ़ (Glacial Lake Outburst Flood-GLOF) को कम करने और 3 राज्यों में अग्निशमन सेवाओं को मजबूत करने के लिए राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) से वित्तपोषण के लिए कुल नौ प्रस्तावों पर विचार किया।
समिति के निर्णयों की मुख्य बातें
- उच्च स्तरीय समिति ने तेलंगाना, गुजरात, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कुल 2,514.36 करोड़ रुपये की लागत से छह शहरी बाढ़ प्रबंधन परियोजनाओं को मंजूरी दी है।
- ये धनराशि मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद, अहमदाबाद और पुणे महानगरों में बाढ़ प्रबंधन के लिए आवंटित की जाएगी।
- समिति ने असम, कर्नाटक और तमिलनाडु के लिए “राज्यों में अग्निशमन सेवाओं के विस्तार और आधुनिकीकरण” के अंतर्गत 810.64 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं को भी मंजूरी दी।
हिमनद झील के फटने से बाढ़ शमन हेतु प्रस्ताव
- समिति ने हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश में हिमनद झील के फटने से बाढ़ जोखिम न्यूनीकरण हेतु 150 करोड़ रुपये के प्रस्तावों को मंजूरी दी है।
- इन उपायों का उद्देश्य इन चार पहाड़ी राज्यों में हिमनद झील के फटने से बाढ़ जोखिमों का समाधान करना है।
युवा आपदा मित्र योजना को मंजूरी
- उच्च स्तरीय समिति ने एनडीआरएफ से 470.50 करोड़ रुपये के परिव्यय के साथ युवा आपदा मित्र योजना (YAMS) को भी मंजूरी दी है।
आपदा प्रबंधन के लिए वित्तीय सहायता
- चालू वित्त वर्ष के दौरान, केंद्र सरकार ने राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष के तहत 14 राज्यों को 6,348 करोड़ रुपये और राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष के तहत छह राज्यों को 672 करोड़ रुपये जारी किए हैं।
उच्च स्तरीय समिति (HLC)
- केंद्रीय गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति में वित्त मंत्री, कृषि मंत्री और नीति आयोग के उपाध्यक्ष सदस्य के रूप में शामिल हैं।
- समिति ने राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) से वित्तपोषण के लिए नौ प्रस्तावों पर विचार किया।
हिमनद झील के फटने से बाढ़ क्या है?
- हिमनद झीलें बड़े जल निकाय होते हैं जो पिघलते हिमनदों के सामने, ऊपर या नीचे स्थित होते हैं। जैसे-जैसे ये झीलें फैलती हैं, वे बढ़ते जोखिम पैदा करती हैं क्योंकि वे आमतौर पर अस्थिर बर्फ या ढीली तलछट और मलबे से बंधी होती हैं।
- यदि इन झीलों की सीमाएं टूट जाती हैं, तो भारी मात्रा में पानी पहाड़ों से नीचे की ओर बह सकता है, जिससे नीचे की ओर बाढ़ आ सकती है।
- इस घटना को हिमनद झील के फटने से बाढ़ (GLOF) के नाम से जाना जाता है।
युवा आपदा मित्र योजना (YAMS)
- यह वर्ष 2016 में शुरू की गई एक केंद्रीय क्षेत्र की योजना है, और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (जो आपदा प्रतिक्रिया में सामुदायिक स्वयंसेवकों को प्रशिक्षित करती है) द्वारा कार्यान्वित की जाती है।
- इन स्वयंसेवकों को बाढ़ और शहरी बाढ़, अचानक बाढ़ जैसी आपात स्थितियों के दौरान बुनियादी राहत और बचाव कार्य करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण
- प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority-NDMA) भारत में आपदा प्रबंधन के लिए सर्वोच्च निकाय है।
- आपदा प्रबंधन अधिनियम (2005) के तहत स्थापित, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर रोकथाम, शमन, तैयारी और प्रतिक्रिया की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए नीतियां, योजनाएं और दिशानिर्देश तैयार करता है।
राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF)
- इसका गठन आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 46 के तहत किया गया था, जिसका प्रबंधन गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है तथा यह गंभीर प्रकृति की आपदा के मामले में राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF) की सहायता करता है, बशर्ते कि राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष में पर्याप्त धनराशि उपलब्ध न हो।
राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष (SDRF)
- राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष अधिसूचित आपदाओं (चक्रवात, सूखा, भूकंप, आग, बाढ़, आदि) से निपटने के लिए राज्य सरकारों को उपलब्ध प्राथमिक निधि है।
- राज्य आपदा प्रतिक्रिया कोष और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष के अंतर्गत धनराशि का आवंटन उत्तरोत्तर वित्तीय आयोगों की सिफारिशों पर आधारित होता है।
राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष (NDMF) एवं राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष (SDMF)
- 15वें वित्त आयोग की सिफारिशों के आधार पर, केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 में राष्ट्रीय आपदा न्यूनीकरण कोष की स्थापना की और सभी राज्य सरकारों को राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष गठित करने की सलाह दी।
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