संदर्भ:
हाल ही में, भारत में शून्य-उत्सर्जन ट्रक अपनाने में तेजी लाने के लिए ‘नीति गियरशिफ्ट चैलेंज’ हैकथॉन का शुभारंभ किया गया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- नीति आयोग, आईआईएम बैंगलोर, स्मार्ट फ्रेट सेंटर इंडिया, कैलस्टार्ट/ड्राइव टू जीरो और वर्ल्ड रिसोर्स इंस्टीट्यूट (WRI)-इंडिया ने ई-फास्ट इंडिया (e-FAST India) पहल के हिस्से के रूप में नीति गियरशिफ्ट चैलेंज के शुरुआत की घोषणा की।
- नीति गियरशिफ्ट चैलेंज छात्रों, परिवहन सेवा व्यवसायियों, शिक्षाविदों और शोधकर्ताओं को ऐसे नवीन व्यवसाय मॉडल विकसित करने के लिए आमंत्रित करता है जो इलेक्ट्रिक ट्रकों को अपनाने में वित्तीय, तकनीकी और परिचालन चुनौतियों का समाधान करते हों।
- इसका उद्देश्य भारत में शून्य-उत्सर्जन ट्रकों (ZETs) को अपनाने के लिए नवीन व्यवसाय मॉडल को बढ़ावा देना है।
ई-फास्ट इंडिया पहल
- ई-फास्ट इंडिया [e-FAST India (Electric Freight Accelerator for Sustainable Transport – India)] पहल को सितंबर 2022 में देश के पहले प्लेटफॉर्म के रूप में शुरू किया गया है, जो सरकारी हितधारकों और निजी क्षेत्र के भागीदारों [मूल उपकरण निर्माता (OEMs), लॉजिस्टिक सेवा प्रदाता (LSPs), वित्तपोषक, उत्पादक और चार्ज पॉइंट ऑपरेटर (CPOs)] के बीच सहयोग को सुविधाजनक बनाता है।
- इसका उद्देश्य बड़े पैमाने पर परिवहन विद्युतीकरण की सहायता करने वाली रणनीतियों और कार्यों को आकार देना है।
कार्यान्वयन
- हैकाथॉन दो चरणों में आयोजित किया जाएगा।
- प्रथम चरण: टीमें (प्रतिभागी) उच्च-स्तरीय रणनीतियों और शोध पर आधारित अपने प्रारंभिक व्यवसाय मॉडल प्रस्तुत करेंगी, जो एक विशिष्ट बाधा- तकनीकी, परिचालन या वित्तीय का समाधान पेश करेगा।
- द्वितीय चरण : इस चरण में चयनित टीमें प्राथमिक और द्वितीयक दोनों स्तरों के शोधों द्वारा समर्थित एक विस्तृत व्यवसाय मॉडल प्रस्तुत करेंगी, जिसमें कार्यान्वयन रोडमैप भी शामिल होगा। व्यावहारिक और प्रभावशाली समाधान सुनिश्चित करने के लिए इन प्रस्तावों को उद्योग के अग्रणी प्रतिनिधियों द्वारा मार्गदर्शन दिया जाएगा।
शून्य-उत्सर्जन ट्रकों में परिवर्तन का महत्व
- स्वच्छ वायु: पारंपरिक डीजल ट्रक प्रमुख प्रदूषक स्रोत हैं, जो धुंध और श्वसन संबंधी समस्याओं में योगदान करते हैं। शून्य-उत्सर्जन ट्रक (ZETs) टेलपाइप उत्सर्जन को खत्म करते हैं, जिससे शहरों और राजमार्गों पर स्वच्छ वायु मिलती है।
- सतत भविष्य: परिवहन ग्रीनहाउस गैसों का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। भारत के लिए अपने जलवायु लक्ष्यों को प्राप्त करने और एक सतत भविष्य की ओर बढ़ने के लिए शून्य-उत्सर्जन ट्रकों को व्यापक रूप से अपनाना महत्वपूर्ण है।
- व्यावसायिक लाभ: बैटरी प्रौद्योगिकी में प्रगति ने शून्य-उत्सर्जन ट्रकों को अधिक व्यवहार्य विकल्प बना दिया है। वे निम्न प्रदान करते हैं:
- कम ईंधन लागत: डीजल की कीमतों में उतार-चढ़ाव की तुलना में कम बिजली लागत के कारण इलेक्ट्रिक ट्रकों का संचालन दीर्घकाल में सस्ता हो सकता है।
- स्थिर ऊर्जा कीमतें: इलेक्ट्रिक ट्रक अधिक स्थिर ऊर्जा स्रोत पर निर्भर होते हैं, जिससे अस्थिर ईंधन बाजार पर निर्भरता कम हो जाती है।
- उत्सर्जन में कमी: भारत के वर्तमान औसत ग्रिड उत्सर्जन के साथ भी, डीजल की तुलना में शून्य-उत्सर्जन ट्रक (ZET) की विभिन्न श्रेणियों के ट्रकों में माल ढुलाई, ग्रीनहाउस गैस तीव्रता को 9% से 35% तक कम कर सकता है।
भारत का माल ढुलाई क्षेत्र
- लोगीमैट (LogiMAT) इंडिया के अनुसार, तकनीकी प्रगति के कारण भारत का माल और लॉजिस्टिक्स बाजार वर्ष 2029 तक 8.8% वार्षिक दर से बढ़कर 484.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो जाने का अनुमान है, जो वर्ष 2024 में 317.26 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। लेकिन इसमें चुनौतियाँ भी हैं:
चुनौतियाँ:
- भारत में सड़क परिवहन से होने वाले वार्षिक डीजल उपभोग में 55% तथा सड़क परिवहन से होने वाले कार्बनडाइऑक्साइड (CO2) उत्सर्जन में लगभग 40% का योगदान है, अतः अधिक सतत समाधानों की ओर संक्रमण की तत्काल आवश्यकता है।
- इलेक्ट्रिक ट्रक एक स्वच्छ विकल्प प्रदान करते हैं। शून्य-उत्सर्जन ट्रक की ओर उन्मुख होकर, भारत अपने कार्बन पदचिह्न को काफी हद तक कम कर सकता है और एक अधिक सतत माल ढुलाई क्षेत्र तैयार कर सकता है।
सरकारी पहल:
- वर्तमान में, भारत ने इलेक्ट्रिक वाहनों के तीव्र अंगीकरण (अपनाना) और विनिर्माण (FAME I और II) तथा इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके कलपुर्जों के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन जैसी संबंधित योजनाओं के अंतर्गत महत्वाकांक्षी लक्ष्य और नीतिगत मार्ग निर्धारित किए हैं।
- फेम (FAME): वर्ष 2015 में शुरू की गई यह योजना ट्रकों सहित इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों के विनिर्माण और अंगीकरण को प्रोत्साहित करती है।
- उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (PLI) योजना: यह कार्यक्रम भारत में इलेक्ट्रिक वाहन और उसके कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों को वित्तीय सहायता प्रदान करता है, जिससे घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।