संदर्भ:

हाल ही में, सिटीग्रुप (अमेरिका स्थित मुख्यालय) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की बेरोजगारी चुनौती बहुआयामी है तथा देश 7 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद विकास दर के बावजूद भी पर्याप्त रोजगार के अवसर सृजित` करने हेतु संघर्ष करना होगा।

रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

  • भारत में आधिकारिक बेरोजगारी दर कम रहते हुए 3.2% है, नौकरी की गुणवत्ता और संभावित अल्प-रोजगार के संबंध में गहरी चिंताएँ हैं।
  • कृषि क्षेत्र में 46% कार्यबल कार्यरत है, लेकिन सकल घरेलू उत्पाद में इसका योगदान 20% से कम है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्र दोनों ही अपने सकल घरेलू उत्पाद योगदान के सापेक्ष कम लोगों को रोजगार देते हैं।
  • ग्रामीण रोजगार 67% के उच्च स्तर पर बना हुआ है, जो वर्ष 2018 के बाद से ग्रामीण-से-शहरी प्रवास में मंदी का संकेत देता है।
  • गैर-कृषि कार्यों/ नौकरियाँ में केवल 25% ही औपचारिक क्षेत्र में हैं, और केवल 21% श्रम बल के पास वेतनभोगी पद हैं।

रिपोर्ट पर विपक्षी दल की प्रतिक्रिया

  • विपक्षी दल का मानना है कि, अचानक की गई नोटबंदी और जीएसटी के जल्दबाजी में क्रियान्वयन के कारण रोजगार सृजन करने वाले सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) पर गंभीर प्रभाव पड़ने तथा साथ ही चीन से बढ़ते आयात के कारण बेरोजगारी का संकट और भी गंभीर हो गया है।

रिपोर्ट पर सरकार का जवाब

  • रिपोर्ट में रोजगार की गैर-मानक परिभाषाओं और कम विश्वसनीय नमूनाकरण तकनीक का उपयोग किया गया।

रिपोर्ट में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (PLFS) और भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस (KLEMS) [पूंजी (K), श्रम (L), ऊर्जा (E), सामग्री (M) और सेवाएं (S)] आंकड़ों से उपलब्ध व्यापक और सकारात्मक रोजगार डेटा को शामिल नहीं किया गया है। 

  • आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण और भारतीय रिजर्व बैंक के केएलईएमएस डेटा के अनुसार भारत ने वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक 8 करोड़ (80 मिलियन) से अधिक रोजगार के अवसर सृजित किए हैं।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण रिपोर्ट वर्ष 2017-18 से वर्ष 2022-23 तक 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के व्यक्तियों के लिए प्रमुख श्रम बाजार संकेतकों में सुधार की प्रवृत्ति दर्शाती है:  

  • श्रमिक जनसंख्या अनुपात: वर्ष 2017-18 में 46.8% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 56% हो गया।
  • श्रम बल भागीदारी दर: वर्ष 2017-18 में 49.8% से बढ़कर वर्ष 2022-23 में 57.9% हो गई।
  • बेरोजगारी दर: वर्ष 2017-18 में 6.0% से घटकर वर्ष 2022-23 में 3.2% हो गयी।
  • वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान, 1.3 करोड़ से अधिक नए अभिदाता (सब्सक्राइबर्स) कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में शामिल हुए, जो वर्ष 2018-19 में शामिल हुए 61.12 लाख से उल्लेखनीय वृद्धि है।
  • इसके अलावा, गिग इकॉनमी पर नीति आयोग की रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि वर्ष 2029-30 तक गिग श्रमिकों की संख्या 23.5 मिलियन तक पहुँच जाएगी, जो गैर-कृषि कार्यबल का 6.7 प्रतिशत होगा।

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