संदर्भ:
हाल ही में, पैराग्वे आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (International Solar Alliance -ISA) का पूर्ण सदस्य बनने वाला 100वां देश बन गया है।
अन्य संबंधित जानकारी:
- पैराग्वे के राजदूत ने हाल ही में नई दिल्ली में डिपॉजिटरी प्रमुख (संयुक्त सचिव, भारत के विदेश मंत्रालय) के साथ एक बैठक के दौरान अनुसमर्थन दस्तावेज प्रस्तुत किया।
ISA के विस्तार में भारत की भूमिका:
- ISA के नेतृत्व में भारत दुनिया भर में, विशेष रूप से विकासशील देशों में, नवीकरणीय ऊर्जा विकल्पों को सक्रिय रूप से आगे बढ़ा रहा है।
अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत ने कई प्रभावशाली परियोजनाएं शुरू की हैं जैसे: –
- मलावी के संसदीय भवन का सौर ऊर्जा से संचालन,
- फिजी में सौर ऊर्जा संचालित स्वास्थ्य सेवा केंद्र स्थापित करना,
- सेशेल्स में सौर ऊर्जा चालित शीत भंडारण सुविधा स्थापित करना, तथा
- किरिबाती में सौर PV रुफटॉप प्रणाली स्थापित करना।
इन प्रयासों में सदस्य देशों के विशेषज्ञों को सौर ऊर्जा में उनकी क्षमता बढ़ाने के लिए तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करना भी शामिल है।
- ISA के प्रति भारत का नेतृत्व सतत ऊर्जा और पर्यावरणीय जिम्मेदारी के प्रति उसकी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, क्षमता निर्माण कार्यक्रमों और ISA ढांचे के अंतर्गत द्विपक्षीय समझौतों के माध्यम से भारत किफायती और सतत सौर ऊर्जा समाधानों को वैश्विक स्तर पर अपनाने में निरंतर आगे बढ़ रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन:
- भारत और फ्रांस ने मिलकर 2015 में पेरिस में COP21 के दौरान ISA की शुरुआत की थी , जिसका लक्ष्य सौर ऊर्जा के तीव्र और व्यापक उपयोग के माध्यम से पेरिस जलवायु समझौते का समर्थन करना था।
- ISA का मुख्यालय गुरुग्राम (भारत) में स्थित है।
- इसका उद्देश्य ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाना, ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना तथा अपने सदस्य देशों के बीच नवीकरणीय ऊर्जा की ओर वैश्विक बदलाव को सुविधाजनक बनाना है।
- अब तक 119 देशों ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं, तथा 100 देशों ने अनुसमर्थन दस्तावेज प्रस्तुत कर दिए हैं।
- इस वर्ष की शुरुआत में स्पेन ISA का 99वां सदस्य बना।
- ISA, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य करता है, जो जलवायु परिवर्तन से निपटने और वैश्विक स्तर पर स्वच्छ ऊर्जा स्रोतों की ओर संक्रमण के प्रयासों में देशों को एकजुट करता है।
ISA का सदस्य बनने की प्रक्रिया:
- फ्रेमवर्क समझौते की प्रमाणित प्रतियां भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा प्रदान की जाती हैं, जो ISA फ्रेमवर्क समझौते का नामित डिपॉजिटरी है।
- इसके बाद, ISA फ्रेमवर्क समझौते पर हस्ताक्षर और अनुसमर्थन के लिए कार्यकारी अनुमोदन किया जाता है।
- ISA के रूपरेखा समझौते की प्रमाणित प्रतियों पर तीन भाषाओं – अंग्रेजी, हिंदी और फ्रेंच – में मूल रूप से हस्ताक्षर किए जाने हैं ।
- इसके बाद हस्ताक्षरित रूपरेखा को डिपॉजिटरी में प्रस्तुत किया जाना है।
- अनुमोदन की औपचारिक स्वीकृति को आईएसए की पूर्ण सदस्यता प्राप्त करने के लिए ISA के डिपॉजिटरी के पास जमा करना होगा।
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