संदर्भ:

हाल ही में, अमेरिका स्थित शोध संगठन स्वास्थ्य प्रभाव संस्थान यानी हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (Health Effects Institute-HEI) ने स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SOGA) रिपोर्ट के 5 वें संस्करण को जारी किया।

रिपोर्ट के बारे में

  • स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर (SOGA) रिपोर्ट एक शोध और आउटरीच पहल है, जिसका उद्देश्य वैश्विक स्तर पर वायु गुणवत्ता और उसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में सटीक, सार्थक और नवीनतम जानकारी उपलब्ध कराना है।
  • यह रिपोर्ट हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) और इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज प्रोजेक्ट का संयुक्त प्रयास है।
  • यह रिपोर्ट वर्ष 1990 से वर्ष 2021 तक महीन कणिकीय पदार्थ (PM 2.5), ओजोन और पहली बार नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2) सहित सामान्य वायु प्रदूषकों के संपर्क और उनके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में जानकारी प्रस्तुत करती है।  

हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) 

  • यह एक गैर-लाभकारी निगम है, जिसे वर्ष 1980 में वायु प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर उच्च-गुणवत्ता, निष्पक्ष और प्रासंगिक विज्ञान प्रदान करने के लिए एक स्वतंत्र अनुसंधान संगठन के रूप में नियुक्त किया गया था।
  • सामान्यतः, हेल्थ इफेक्ट्स इंस्टीट्यूट (HEI) को अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी और वैश्विक स्तर पर मोटर वाहन उद्योग से संतुलित वित्त पोषण प्राप्त होता है।
  • यह एक स्वतंत्र वायु गुणवत्ता और स्वास्थ्य अनुसंधान संस्थान है। 

इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME)

  • इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) वर्ष 2007 में स्थापित एक स्वतंत्र जनसंख्या स्वास्थ्य अनुसंधान संगठन है जो वाशिंगटन विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ मेडिसिन में स्थित है।
  • इसका लक्ष्य नीति-निर्माताओं, शोधकर्ताओं और वित्तपोषकों के काम को जानकारी प्रदान करने के लिए वैश्विक स्वास्थ्य रुझानों की एक निष्पक्ष, साक्ष्य-आधारित तस्वीर प्रदान करना है।  

रिपोर्ट के मुख्य निष्कर्ष 

  • यह रिपोर्ट कोविड-19 महामारी के बाद जारी हुई पहली रिपोर्ट है तथा इसमें वर्ष 2021 तक रोग भार का अनुमान प्रस्तुत किया गया है।
  • वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर वायु प्रदूषण के कारण 8.1 मिलियन लोगों की मृत्यु हुई, जो 05 वर्ष से कम उम्र के बच्चों सहित मृत्यु का दूसरा प्रमुख जोखिम कारक बन गया।
  • चीन (2.3 मिलियन मृत्यु) और भारत (2.1 मिलियन मृत्यु) संयुक्त रूप से वर्ष 2021 में वायु प्रदूषण से होने वाली विश्व की 55 प्रतिशत मृत्यु के लिए जिम्मेदार है। 
  • इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में वायु प्रदूषण के कारण प्रतिदिन 05 वर्ष से कम आयु के 464 बच्चों की मृत्यु हुई हैं, तथा मृत्यु के प्रमुख कारणों में तम्बाकू और मधुमेह भी शामिल हैं।
  • कुल मृत्यु में से, गैर-संचारी रोगों (NCDs) जैसे हृदय रोग, स्ट्रोक, मधुमेह, फेफड़ों के कैंसर और क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) वायु प्रदूषण से होने वाली लगभग 90 प्रतिशत बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं। 
  • विश्व की 99 प्रतिशत जनसंख्या PM2.5 प्रदूषण के अस्वास्थ्यकर स्तर वाले स्थानों पर रहती है।
  • विश्व के 34 प्रतिशत लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं, जहाँ वायु गुणवत्ता विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सबसे कम कड़े अन्तरिम लक्ष्य से भी अधिक है।
  • वर्ष 2021 में वैश्विक स्तर पर असामयिक मृत्यु के लिए वायु प्रदूषण दूसरा प्रमुख जोखिम कारक था, इससे आगे केवल उच्च रक्तचाप से जुड़ा मामला था।
  • इसे इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) के वार्षिक वैश्विक रोग बोझ (Global Burden of Disease-GBD) अध्ययन के भाग के रूप में विकसित किया गया है।

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