संबंधित पाठ्यक्रम

सामान्य अध्ययन-2: सरकारी नीतियाँ और विभिन्न क्षेत्रों में विकास के लिए हस्तक्षेप, उनके अभिकल्पन और कार्यान्वयन से संबंधित विषय।

संदर्भ: उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 के को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के उपलक्ष्य में भारत में प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है। यह भारत में उपभोक्ताओं के अधिकारों और उनके संरक्षण के लिए एक व्यापक ढांचे का आधार बना।

अन्य संबंधित जानकारी

  • विषय:  डिजिटल न्याय के माध्यम से कुशल और त्वरित निपटानउपभोक्ताओं को न्याय दिलाने की दिशा में भारत के तकनीक-सक्षम, समावेशी और समयबद्ध प्रगति को दर्शाता है। 
  • विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस 15 मार्च को मनाया जाता है। 

भारत में उपभोक्ता संरक्षण फ्रेमवर्क का विकास 

1. उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019: ई-कॉमर्स, भ्रामक विज्ञापनों, अनुचित व्यापार के त्रिकोण और डिजिटल बाजारों से उत्पन्न चुनौतियों का समाधान करने के लिए 1986 के अधिनियम के स्थान पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 (जो 20 जुलाई 2020 से लागू हुआ) लाया गया।

• त्रिस्तरीय उपभोक्ता विवाद निवारण तंत्र:  यह अधिनियम एक अर्ध-न्यायिक त्रि-स्तरीय प्रणाली की स्थापना करता है:

  • जिला उपभोक्ता विवाद निवारण फोरम (जिला फोरम) – प्रथम स्तर, जो जिला आयोग में स्थित होता है, उन शिकायतों का न्यायनिर्णयन करता है जिनमें दावे की राशि 50 लाख रुपये तक होती है।
  • राज्य उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (राज्य आयोग) – द्वितीय स्तर, राज्य-स्तरीय निकाय उन शिकायतों पर विचार करता है जिनकी दावे की राशि 50 लाख रुपये से अधिक और 2 करोड़ रुपये तक होती है।
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (राष्ट्रीय आयोग) – सर्वोच्च स्तर, जो राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करता है, उन शिकायतों का समाधान करता है जिनमें दावे की गई राशि 2 करोड़ रुपये से अधिक होती है।

2.केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA): उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत 24 जुलाई 2020 को स्थापित केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA), एक नियामक निकाय के रूप में कार्य करता है। इसे उपभोक्ताओं के सामूहिक हितों की रक्षा की जिम्मेदारी सौंपी गई है और इसके मुख्य कार्यों में शामिल हैं:

  • व्यापार के अनुचित तरीकों पर रोक लगाकर उपभोक्ताओं के अधिकारों की रक्षा करना और यह सुनिश्चित करना कि अधिनियम का उल्लंघन करके वस्तुओं और सेवाओं की बिक्री न की जाए।
  • झूठे या भ्रामक दावों पर अंकुश लगाने और बाजार में पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए विज्ञापनों की निगरानी और नियमन करना।
  • भ्रामक विज्ञापनों के प्रसार में शामिल निर्माताओं, एंडोर्सर्स (विज्ञापन करने वाली हस्तियों) और प्रकाशकों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करना।

3.उपभोक्ता कल्याण कोष: उपभोक्ता कल्याण कोष, उपभोक्ता हितों के संरक्षण और उपभोक्ता आंदोलन को बढ़ावा देने वाली पहलों का समर्थन करता है। इसके तहत राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 75:25 के अनुपात में और विशेष श्रेणी के राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को 90:10 के अनुपात में ‘उपभोक्ता कल्याण कॉर्पस फंड’ बनाने के लिए वित्तीय सहायता दी जाती है। इन गतिविधियों का वित्तपोषण कोष पर अर्जित ब्याज के माध्यम से किया जाता है।

  • वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान 31.12.2024 तक, इस से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लिए ₹38.68 करोड़ की राशि जारी की गई।

उपभोक्ता न्याय का डिजिटल रूपांतरण 

  • e-जागृति – 2025 में उपभोक्ता न्याय का कायाकल्प करना: 1 जनवरी 2025 को लॉन्च किया गया ‘e-जागृति’, उपभोक्ता शिकायत निवारण के लिए एक एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म है। यह OCMS, e-दाखिल, NCDRC CMS और CONFONET को एक साथ जोड़ता है, जिससे सभी उपभोक्ता आयोगों में पहुंच आसान होती है और प्रक्रियाओं का सरलीकरण होता है।
  • राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 2.0: उपभोक्ता मामलों के विभाग ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस NCH 2.0 पेश करके राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन को अपग्रेड किया है। यह बहुभाषी सहायता, चैटबॉट-आधारित संवाद, ऑनलाइन शिकायत पंजीकरण, मुकदमेबाजी-पूर्व समाधान और उपभोक्ता अधिकारों तक आसान पहुंच प्रदान करता है।
  • जागो ग्राहक जागो पोर्टल और मोबाइल ऐप: इसमें ऑनलाइन भ्रामक प्रथाओं का पता लगाने, ई-कॉमर्स की सत्यापित जानकारी प्रदान करने और उपयोगकर्ताओं को संभावित असुरक्षित वेबसाइटों के प्रति सचेत करने के लिए उन्नत डिजिटल उपकरणों का उपयोग होता है। साथ ही, यह उपभोक्ताओं का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए रियल-टाइम निगरानी और त्वरित कार्रवाई को सक्षम बनाता है।
  • भारतीय मानक ब्यूरो (BIS): भारतीय मानक ब्यूरो, भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम, 2016 के तहत भारत का राष्ट्रीय मानक निकाय है। यह मानकों के निर्धारण, उत्पाद प्रमाणन और गुणवत्ता आश्वासन में मुख्य भूमिका निभाता है। इसके माध्यम से यह सुरक्षित और विश्वसनीय उत्पाद सुनिश्चित करता है, उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य जोखिमों को कम करता है, निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता और आयात प्रतिस्थापन में सहयोग देता है, और बाजारों में एकसमान उत्पाद विशिष्टताओं को बढ़ावा देता है।
  • नेशनल टेस्ट हाउस (NTH): उपभोक्ता मामलों के विभाग के अंतर्गत कार्यरत NTH एक प्रमुख वैज्ञानिक संस्थान है, जो उद्योग, मानकीकरण और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए परीक्षण, अंशांकन, मूल्यांकन और गुणवत्ता नियंत्रण सेवाएं प्रदान करता है। यह अपनी कार्यप्रणाली को आधुनिक बनाने के लिए लैबोरेटरी डेटा ऑटोमेशन सिस्टम और मोबाइल ऐप्लिकेशन जैसी डिजिटल पहलों को अपना रहा है, ताकि दक्षता और सेवा वितरण में सुधार किया जा सके।
  • विधिक मापविज्ञान नियम – हालिया संशोधन (2025): अक्टूबर 2025 में, विधिक मापविज्ञान (पैकेज्ड कमोडिटीज) संशोधन नियम, 2025 अधिसूचित किए गए। ये संशोधन चिकित्सा उपकरणों की पैकेजिंग और लेबलिंग आवश्यकताओं को चिकित्सा उपकरण नियम, 2017 के अनुरूप तय करते हैं।

निष्कर्ष

  • राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस 2025 उपभोक्ताओं के अधिकारों, बाजार में विश्वास और डिजिटल न्याय के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जिसमें तकनीक-आधारित शिकायत निवारण मंच (जैसे e-दाखिल) पहुंच, पारदर्शिता और दक्षता को बढ़ा रहे हैं।
  • वर्तमान में चल रहे कानूनी, संस्थागत और नियामक सुधारों ने एक कुशल उपभोक्ता संरक्षण ढांचे का निर्माण किया है, जबकि मानकों, गुणवत्ता आश्वासन और निष्पक्ष व्यापार प्रथाओं में प्रगति एक उपभोक्ता-केंद्रित, पारदर्शी और न्यायसंगत आर्थिक इकोसिस्टम के विजन को दिशा देती है।

Source:
PIB
DD News
Prs India

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