संदर्भ
हाल ही में, चीन ने चंद्रमा के सुदूर हिस्से से पहली बार नमूने एकत्रित करने के लिए चांग’ई-6 चंद्र अन्वेषण मिशन लॉन्च किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (सीएनएसए) के अनुसार, यह मानव चंद्र अन्वेषण इतिहास में अपनी तरह का पहला मिशन है।
- इस चंद्र अन्वेषण मिशन को चीन के हैनान प्रांत में स्थित वेनचांग स्पेस लॉन्च साइट से लॉन्ग मार्च-5 Y8 रॉकेट के द्वारा प्रक्षेपित किया गया।
- सीएनएसए को स्वचालित नमूना संग्रह और चंद्रमा के सुदूर भाग से टेक-ऑफ सहित प्रमुख प्रौद्योगिकियों में सफलता की उम्मीद है।
- इसके अतिरिक्त, यह अन्वेषण मिशन लैंडिंग स्थल पर वैज्ञानिक अन्वेषण करेगा।
- इसका लैंडर फ्रांस, इटली और यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी/स्वीडन के वैज्ञानिक उपकरणों की मेजबानी करेगा, जबकि इसके ऑर्बिटर पर एक पाकिस्तान का पेलोड भी लगा होगा।
- चीन ने इससे पूर्ण भी रोवर लैंडिंग और मार्स रोवर तैनाती के साथ-साथ मानव रहित चंद्रमा मिशन में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की हैं।
- चीन वर्ष 2030 तक चंद्रमा पर मानवयुक्त लैंडिंग की भी योजना बना रहा है।
चांग’ई के बारे में
- वर्ष 2007 से, चीन अंतरिक्ष कार्यक्रम मिशनों की एक श्रृंखला के साथ चंद्र अन्वेषण में सक्रिय रूप से संलग्न रहा है, जिसमें ऑर्बिटर, लैंडर, रोवर्स और पृथ्वी पर नमूने वापस लाने के लिए डिज़ाइन किए गए अंतरिक्ष यान शामिल हैं।
- चांग’ई 1 और 2 (वर्ष 2007 से आगे): चीन ने उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजरी के साथ चंद्रमा की सतह का मानचित्रण करने के लिए ऑर्बिटर लॉन्च किया।
- चांग’ई 3 (2013): चीन ने 90 पृथ्वी दिनों में चंद्रमा के 3 वर्ग किमी का अन्वेषण करना, मौलिक संरचना और उपसतह का विश्लेषण करने के लिए युतु रोवर को तैनात किया गया।
- चांग’ई 4 (2018): चीन ने चंद्रमा के दक्षिणी छायांकित क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया, उन्नत उपकरणों के साथ सुदूर की सतह की संरचना का अध्ययन करने के लिए वॉन कर्मन क्रेटर में उतरा।
- चांग’ई 5 (2020): इसका उद्देश्य चंद्र रेगोलिथ के नमूनों को पृथ्वी पर वापस लाना था, जिसमें 1.731 किलोग्राम सामग्री को सफलतापूर्वक वापस लाया गया।
चांग’ए-6 चंद्र अन्वेषण मिशन:
- इस मिशन का उद्देश्य पृथ्वी पर वैज्ञानिक विश्लेषण हेतु चंद्रमा के सुदूर भाग से नमूने प्राप्त करना है।
- यह मिशन चीन के पहले चंद्र नमूना वापसी मिशन, चांग’ई 5 के समान है।
- चाइना डेली की रिपोर्ट के अनुसार, इसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर, एक एसेंडर और एक पुनः प्रवेश (री-एंट्री) मॉड्यूल शामिल हैं।
- चंद्रमा की धूल और चट्टानों को एकत्रित करने के बाद, एसेंडर नमूनों को पुनः प्रवेश मॉड्यूल में स्थानांतरित करने के लिए ऑर्बिटर तक ले जाएगा, जो उन्हें वापस पृथ्वी पर ले आएगा।
आगामी चंद्र मिशन
- सितंबर 2025 में, नासा के नेतृत्व में आर्टेमिस II, चंद्रमा के चारों ओर पहला क्रू (मानवयुक्त) मिशन लॉन्च होने वाला है।
- आर्टेमिस III मिशन के तहत सितंबर 2026 में चंद्र दक्षिणी ध्रुव के पास अंतरिक्ष यात्रियों को उतारने की योजना है।
- वर्ष 2028 में आर्टेमिस Iv के तहत, गेटवे चंद्रमा अंतरिक्ष स्टेशन का पहला मिशन भेजने की योजना बनाई गई है।
- भारत का अगला चंद्रमा मिशन, चंद्रयान -4 , जिसे LUPEX के नाम से भी जाना जाता है, जापान के सहयोग से वर्ष 2028 में लॉन्च होने वाला है।
- LUPEX भारत के महत्वाकांक्षी चंद्र नमूना वापसी मिशन का मार्ग प्रशस्त करेगा।
- इसके अतिरिक्त, इसरो का लक्ष्य वर्ष 2040 तक भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चंद्रमा पर भेजना है।
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