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सामान्य अध्ययन-1: महिला और महिला संगठनों की भूमिका, जनसंख्या एवं संबद्ध विषय, निर्धनता और विकासात्मक विषय, शहरीकरण, उनकी समस्याएँ और रक्षोपाय|
संदर्भ: हाल ही में, भारत के महापंजीयकने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को 15 जनवरी, 2026 तक जनगणना कार्यकर्ताओं की नियुक्ति और पंजीकरण का कार्य पूरा करने का निर्देश दिया ताकि जनगणना-2027 का समय पर कार्यान्वयन सुनिश्चित हो।
अन्य संबंधित जानकारी

- सर्कुलर में कहा गया है कि आगामी राष्ट्रव्यापी डेटा संग्रहण अभ्यास के लिए प्रगणक (Enumerators) और पर्यवेक्षक (Supervisors) मुख्य जनगणना कार्यकर्ता होंगे।
- एक प्रगणक को लगभग 700 से 800 व्यक्तियों से आँकड़े एकत्र करने होंगे और एक पर्यवेक्षक गुणवत्ता और सटीकता सुनिश्चित करने के लिए छह प्रगणकों के काम की देखरेख करेगा।
- जनगणना नियमावली, 1990 के नियम 3 के अनुसार, किसी राज्य सरकार या स्थानीय प्राधिकरण के शिक्षक, लिपिक या कोई भी अधिकारी प्रगणक के रूप में नियुक्त किए जा सकते हैं, जबकि एक पर्यवेक्षक आमतौर पर प्रगणक के पद से उच्च रैंक का अधिकारी होगा।
- निर्देशों में कहा गया है कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को फील्ड ऑपरेशन के दौरान किसी भी आकस्मिकता से निपटने के लिए 10 प्रतिशत अतिरिक्त प्रगणकों और पर्यवेक्षकों को रिज़र्व के रूप में नियुक्त करना होगा।
- सर्कुलर में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि जिला कलेक्टर, जिला मजिस्ट्रेट या नामित अधिकारी प्रधान जनगणना अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे और अपने अधिकार क्षेत्र के भीतर जनगणना संचालन की देखरेख करेंगे।
- मंडलों में, मंडल आयुक्त मंडल जनगणना अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे, और नगर निगमों में, आयुक्त या नागरिक निकाय प्रमुख, प्रधान या अतिरिक्त प्रधान जनगणना अधिकारी के रूप में कार्य करेंगे।
- जनगणना-2027 के दौरान, निर्धारित समय सीमा के भीतर जनसंख्या गणना पूरी करने के लिए लगभग 30 लाख फील्ड कार्यकर्ता तैनात किए जाएंगे।
- आरजीआई (RGI) ने जनगणना 2027 के लिए जनगणना प्रबंधन और निगरानी प्रणाली (CMMS) नामक एक वेब पोर्टल विकसित किया है। इस पोर्टल का उपयोग प्रगणकों और पर्यवेक्षकों की नियुक्ति, उन्हें जनगणना ब्लॉक और पर्यवेक्षी सर्किल आवंटित करने, तथा फील्ड वर्क की रियल टाइम प्रगति की निगरानी और प्रबंधन के लिए किया जाएगा।
भारत में जनगणना
- भारत में जनगणना 10 वर्षो में एक बार की जाती है, और इसे गृह मंत्रालय के तहत भारत के रजिस्ट्रार जनरल और जनगणना आयुक्त कार्यालय द्वारा कराया किया जाता है।
- पिछली जनगणना 2011 में दो चरणों में आयोजित की गई थी: पहला चरण: मकान सूचीकरण, दूसरा चरण: जनसंख्या गणना
- 1872 में, लॉर्ड मेयो के अधीन भारत की अपनी पहली गैर-समकालिक (Non-Synchronous) जनगणना हुई, जिसने जनसंख्या गणना के लिए एक अधिक संगठित दृष्टिकोण की शुरुआत की।
- 1881 से, भारत ने दस-वर्षीय जनगणना चक्र का पालन किया है, और इसी क्रम में पिछली जनगणना 2011 में आयोजित की गई थी।
- 1951 की जनगणना भारत को स्वतंत्रता मिलने के बाद आयोजित की गई पहली जनगणना थी।
- राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) को सभी सामान्य निवासियों का एक विस्तृत पहचान डेटाबेस बनाने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसे 2010 में शुरू किया गया था और 2015 में अद्यतन (Updated) किया गया था।
- कोविड-19 महामारी के कारण, 2021 की जनगणना और एनपीआर (NPR) अद्यतन दोनों को स्थगित कर दिया गया था।
जनगणना-2027 की संरचना
- जनगणना- 2027 दो चरणों में करायी जाएगी:
- जनसंख्या गणना फरवरी 2027 में की जाएगी, जिसमें अधिकांश क्षेत्रों के लिए 1 मार्च, 2027 की मध्यरात्रि को संदर्भ तिथि (Reference Date) माना जाएगा।

- जनगणना-2027 पूर्णतः डिजिटल होगी और इसमें जाति गणना भी शामिल होगी, जिसे राजनीतिक मामलों की कैबिनेट समिति द्वारा 30 अप्रैल को अनुमोदित किया गया था।
जनसंख्या जनगणना का महत्त्व
- नीति निर्माण और योजना: जनगणना सरकारों को स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास, रोज़गार और कल्याण जैसे क्षेत्रों में लक्षित नीतियाँ बनाने में मदद करती है।
- निर्वाचन क्षेत्रों का परिसीमन: जनगणना के आँकड़े लोकसभा और राज्य विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं को पुनः निर्धारित करने में सहायक होते हैं।
- सामाजिक न्याय और समावेशन: जनगणना 2027 में जाति डेटा (Caste Data) को शामिल करने से सामाजिक-आर्थिक असमानताओं की पहचान करने में मदद मिलेगी।
- अन्य सर्वेक्षणों के लिए बेंचमार्क: यह सभी जनसांख्यिकीय, आर्थिक और सामाजिक सर्वेक्षणों के लिए आधार के रूप में कार्य कर सकता है।
