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सामान्य अध्ययन-2: स्वास्थ्य से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।

संदर्भ: हाल ही में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने वयस्कों में मोटापे (Obesity) के उपचार के लिए जीएलपी-1 (GLP-1) थेरेपी की सिफारिश करने वाले अपने पहले नैदानिक दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इससे पहले, इन दवाओं का उपयोग मुख्यतः टाइप II मधुमेह के उपचार में ही किया जाता था।

मोटापे के उपचार के लिए GLP-1 पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख दिशा-निर्देश

  • जीएलपी-1 (GLP-1) दवाएं तभी प्रभावी होंगी जब उन्हें स्वस्थ आहार और शारीरिक गतिविधियों जैसे साक्ष्य-आधारित जीवनशैली परिवर्तनों के साथ संयुक्त रूप से उपयोग में लाया जाए।
  • मोटापे से ग्रसित वयस्कों में, GLP-1 थेरेपी का उपयोग मोटापे के लिए एक दीर्घकालिक उपचार  के रूप में किया जा सकता है।
  • मोटापे से ग्रसित वयस्कों के लिए, जिन्हें जीएलपी-1 (GLP-1) थेरेपी निर्धारित की जा रही है, उन्हें एक समावेशी और बहुआयामी नैदानिक रणनीति के तहत गहन व्यवहार चिकित्सा भी दी जा सकती है।
  • यह सिफारिश “सशर्त” रखी गई है, क्योंकि प्रभावकारिता, सुरक्षा, उपचार को जारी रखने (रख-रखाव) या बंद करने जैसे पहलुओं पर दीर्घकालिक डेटा सीमित है, और साथ ही इसकी वर्तमान लागत काफी अधिक है।
  • ये औषधियाँ गर्भवती महिलाओं को नहीं दी जानी चाहिए।

WHO के दिशा-निर्देशों को लागू करने की चुनौतियाँ

  • प्रमुख वैश्विक पहुँच असमानता: वर्तमान में संयुक्त राज्य अमेरिका वैश्विक GLP-1 आपूर्ति का लगभग 75% उपभोग करता है।
  • सीमित पहुँच: उत्पादन बढ़ने के बावजूद भी, अगले पाँच वर्षों में GLP-1 दवाएँ दुनिया भर के केवल 10% पात्र वयस्कों तक ही पहुँच पाएंगी।
  • विश्व स्वास्थ्य संगठन इनकी पहुँच के विस्तार के लिए निम्नलिखित रणनीतियों की सिफारिश करता है, जैसे:
    • कई देशों द्वारा एक साथ मिलकर दवाओं की बड़ी मात्रा में खरीद करना।
    • विभिन्न देशों की आर्थिक क्षमता के आधार पर दवाओं के लिए अलग-अलग मूल्य निर्धारित करना।
    • जेनेरिक उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए स्थानीय दवा निर्माताओं को स्वेच्छा से लाइसेंस प्रदान करना।

वैश्विक नीति के प्रभाव

  • ये नए दिशानिर्देश WHO आवश्यक दवाओं की सूची से परे हैं, जहाँ GLP-1 दवाएँ केवल मधुमेह के उपचार के लिए ही उपयोग में लाई जाती थीं।
  • जिन देशों में मोटापे की दवाओं को अभी तक मंजूरी नहीं मिली है, उन्हें नियामक ढांचे और उपचार नीतियों का पुनर्मूल्यांकन करना होगा।
  • निम्न और मध्यम आय वाले देशों में बढ़ती मोटापे के मामलों , विशेष रूप से जहाँ बुनियादी मधुमेह देखभाल भी सीमित है, वहाँ पहुँच के अंतराल को लेकर चिंताएँ बढ़ाती हैं।
  • यूरोपीय संघ, चीन और भारत में इनकी मांग में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है।

GLP-1 थेरेपी के बारे में

  • जीएलपी-1 थेरेपी (ग्लुकागॉन-लाइक पेप्टाइड-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट) दवाओं का एक वर्ग है जो प्राकृतिक जीएलपी-1 हार्मोन की नकल करती हैं। यह रक्त शर्करा और भूख को विनियमित करने में मदद करता है।
  • जब रक्त शर्करा अधिक होती है, तो जीएलपी-1 दवाएँ इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करती हैं और ग्लूकागॉन स्राव को कम करती हैं, जिससे ये रक्त ग्लूकोज का स्तर कम करने में मदद मिलती है।
  • ये दवाएँ भोजन के पाचन की प्रक्रिया को धीमा करती हैं और पेट भरा होने (तृप्ति) की अनुभूति को बढ़ाती हैं, जिससे भोजन के सेवन में कमी आती है।
  • यह भोजन के बाद छोटी आंत और पश्च मस्तिष्क से स्रावित होता है, और इन्क्रीटिन हार्मोन तथा न्यूरोट्रांसमीटर दोनों के रूप में कार्य करता है।
  • यह अग्न्याशय तक जाता है, जहाँ यह इंसुलिन को बढ़ाकर और ग्लूकागॉन को घटाकर रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है। इसे इन्क्रीटिन प्रभाव कहा जाता है।
  • यह प्रभाव रक्त शर्करा पर निर्भर (blood glucose-dependent) होता है, जिसका अर्थ है कि यह तभी होता है जब रक्त शर्करा का स्तर बढ़ा हुआ हो।
    • यह मस्तिष्क में भूख और तृप्ति से जुड़े केंद्रों को भी प्रभावित करता है, जिससे प्रभावी रूप से यह संकेत मिलता है कि हमने पर्याप्त खा लिया है और हमें रुक जाना चाहिए।
  • जीएलपी-1 (GLP-1) हार्मोन शरीर के विभिन्न अंगों में मौजूद रिसेप्टर्स के साथ जुड़कर कार्य करता है।
  • यह गुर्दे, यकृत, और हृदय तंत्र जैसे अंगों में भी लाभकारी प्रभाव उत्पन्न करता है।

Source:
Jama Network
Health Policy
NCBI

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