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सामान्य अध्ययन-1: विश्व के भौतिक भूगोल की विभिन्न विशेषताएँ ।

सामान्य अध्ययन -1: भूकंप, सुनामी, ज्वालामुखी ग्रातिविधियों, चक्रवात इत्यादि जैसे महत्वपूर्ण भू वैज्ञानिक घटनाएँ, भौगोलिक विशेषताएँ और उनकी अवस्थिति।

संदर्भ: शोधकर्ताओं के अनुसार, अफ्रीका भूवैज्ञानिक परिवर्तन के दौरसे गुजर रहा है, जिसके परिणामस्वरूप अंततः यह महाद्वीप दो अलग-अलग भू-भागों में विभाजित हो सकता है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • नए चुंबकीय डेटा से पता चलता है कि अफ्रीकी पर्पटी धीरे-धीरे परन्तु लगातार दूर हो रही है| इस प्रक्रिया से अंततः एक नए महासागर का निर्माण हो सकता है
  • वैज्ञानकों के अनुसार यह जारी अलगाव “एक जैकेट की जिप” की भाँति पूर्वोत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ रहा है, जो तीव्र ज्वालामुखीय और भूकंपीय गतिविधि के साथ महाद्वीप को अलग-थलग कर रहा है।
  • वर्तमान भूवैज्ञानिक समय-सीमा के अनुसार, यह पूर्ण विभाजन अगले पाँच से दस मिलियन वर्षों के भीतर होने का अनुमान है।

अंतर्निहित कारण

  • सक्रिय अफार  ट्रायंगल: अफ़ार क्षेत्र, जहाँ तीन प्रमुख दरारें (rifts) मिलती हैं, अफ्रीका के चल रहे महाद्वीपीय विखंडन के केंद्रीय बिंदु के रूप में कार्य करता है।
  • विवर्तनिक प्लेटों का खिसकना: अफ्रीका सोमाली प्लेट और नूबियन प्लेट के बीच की सीमा के साथ धीरे-धीरे अलग हो रहा है, जबकि अरेबियन प्लेट भी लगातार दूर खिसक रही है।
    • पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट प्रणाली (EARS), जो मध्य पूर्व से मोजाम्बिक तक फैला हुई है, पर्पटी के पतले होने) और फैलने  का स्पष्ट संकेत दिखाता है।
  • भूवैज्ञानिक प्रक्रिया: नए शोध से पता चलता है कि अफ़ार के नीचे पिघली हुई चट्टान की परतें उठ रही हैं, जो पर्पटी को कमजोर कर रही हैं और भविष्य के लिए एक महासागर के निर्माण के शुरुआती चरणों को चिन्हित कर रही हैं।

अनुमानित परिवर्तन

  • यह विखंडन पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट प्रणाली (East African Rift System – EARS) द्वारा संचालित हो रहा है, जो अफ्रीकी प्लेट को दो छोटी प्लेटों में विभाजित कर रहा है:
    • बड़ा पश्चिमी भू-भाग: इस बड़े पश्चिमी भू-भाग में मिस्र, अल्जीरिया, नाइजीरिया, घाना और नामीबिया सहित प्रमुख राष्ट्र होंगे।
    • पूर्वी भू-भाग (सोमाली प्लेट): इस पूर्वी भू-भाग में सोमालिया, केन्या, तंजानिया, मोजाम्बिक और इथियोपिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा शामिल होगा।
  •  भूवैज्ञानिक रूप से समय बीतने के साथ यह विभाजन और गहरा होता जाएगा, और अनुमान है कि यह पूर्वी अफ्रीका की प्रमुख झीलों, जैसे मालावी झील और तुर्काना झील, को सीधे विभाजित करते हुए गुजरेगा।

अध्ययन का महत्त्व

  • पृथ्वी की गतिशील प्रक्रियाएँ : प्लेट विवर्तनिकी दर्शाती है कि महाद्वीप लाखों वर्षों से लगातार खिसक रहे हैं और विकसित हो रहे हैं, जो पृथ्वी की पर्पटी की गतिशील प्रकृति को उजागर करता है।
  • भूवैज्ञानिक जोखिम: पूर्वी अफ्रीकी रिफ्ट प्रणाली और अफ़ार (Afar) जैसे रिफ्ट क्षेत्रों में उच्च भूकंपीय और ज्वालामुखीय गतिविधियों का खतरा बना रहता है, जिससे दीर्घकालिक योजना तैयार करने और आपदा की तैयारी के लिए भूवैज्ञानिक समझ का होना आवश्यक है।
  • पर्यावरणीय और विकासवादी प्रभाव : खिसकते महाद्वीप और समुद्र पारिस्थितिकी तंत्रों का विस्तार, जलवायु पैटर्न और प्रजातियों के वितरण को नया आकार देते हैं, जिससे जैव विविधता और विकास प्रभावित होते हैं।
  • दीर्घकालिक भूवैज्ञानिक परिवर्तन: एक नए महासागर के बनने की संभावित प्रक्रिया पृथ्वी के पुनर्निर्माण को दर्शाती है, जो गोंडवाना के विखंडन जैसी पिछली घटनाओं के अनुरूप है।

Sources:
Indian Express

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