संदर्भ
भारत 46 वीं अंटार्कटिक संधि परामर्श बैठक (एटीसीएम 46) और पर्यावरण संरक्षण समिति की 26वीं बैठक (सीईपी 26) की मेजबानी करेगा।
विवरण
- पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र (एनसीपीओआर) के माध्यम से, 20 से 30 मई, 2024 तक केरल के कोच्चि में 46 वें एटीसीएम और 26 वें सीईपी की मेजबानी करेगा।
- यह अंटार्कटिक संधि प्रणाली के तहत प्रतिवर्ष आयोजित होने वाली ये बैठकें अंटार्कटिक संधि परामर्शदात्री पार्टियों और अन्य हितधारकों के लिए अंटार्कटिका के पर्यावरणीय, वैज्ञानिक और शासन संबंधी मुद्दों पर विचार करने वाले मंच के रूप में कार्य करती हैं।
- एटीसीएम और सीईपी बैठकों में भागीदार केवल पार्टियों द्वारा नामित प्रतिनिधियों, पर्यवेक्षकों और आमंत्रित विशेषज्ञों तक ही सीमित है।
- 46 वीं एटीसीएम के कार्यसूची (एजेंडा) में अंटार्कटिका के सतत प्रबंधन, नीति विकास, जैव विविधता अनुसंधान और जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए रणनीतिक योजना बनाना शामिल है।
- 26 वीं सीईपी एजेंडा में अन्य विषयों के अतिरिक्त पर्यावरण का मूल्यांकन, प्रभाव आकलन और अंटार्कटिक जैव विविधता के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित किया गया है।
राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र (एनसीपीओआर)
- यह पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत वर्ष 1998 में स्थापित एक स्वायत्त संस्थान है।
- ध्रुवीय क्षेत्रों (आर्कटिक और अंटार्कटिक), हिमालय और दक्षिणी महासागर में भारत के वैज्ञानिक और रणनीतिक प्रयास गोवा में स्थित राष्ट्रीय ध्रुवीय एवं समुद्री अनुसंधान केन्द्र (एनसीपीओआर) के अधीन हैं।
पर्यावरण संरक्षण समिति (सीईपी)
- सीईपी की स्थापना अंटार्कटिक संधि (मैड्रिड प्रोटोकॉल) के पर्यावरण संरक्षण पर प्रोटोकॉल के तहत वर्ष 1991 में की गई थी।
- यह अंटार्कटिका में पर्यावरण संरक्षण और संरक्षण पर एटीसीएम को परामर्श देता है।
अंटार्कटिक संधि
- इस पर वर्ष 1959 में हस्ताक्षर किए गए और वर्ष 1961 में इसे लागू किया गया। इसने अंटार्कटिका को शांतिपूर्ण उद्देश्यों, वैज्ञानिक सहयोग और पर्यावरण संरक्षण के लिए समर्पित क्षेत्र के रूप में स्थापित किया।
- भारत वर्ष 1983 से अंटार्कटिक संधि का सलाहकार देश बना है।
- भारत अंटार्कटिक संधि के अन्य 28 सलाहकार देशों के साथ निर्णय लेने की प्रक्रिया में भाग लेता है।
भारत
- भारत का पहला अंटार्कटिक अनुसंधान केंद्र, दक्षिण गंगोत्री में वर्ष 1983 में स्थापित किया गया था, जिससे भारत 1990 में बाहर निकल गया।
- वर्तमान में, भारत में दो वर्षभर चलने वाले अनुसंधान केंद्र मैत्री (1989) और भारती (2012) संचालित हैं।
- वर्ष 2022 में अंटार्कटिक अधिनियम के अधिनियमन से अंटार्कटिक संधि के सिद्धांतों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है।
अंटार्कटिक संधि सचिवालय (एटीएस)
- वर्ष 2014 में स्थापित एटीएस अंटार्कटिक संधि प्रणाली के लिए प्रशासनिक केंद्र के रूप में कार्य करता है।
- यह एटीसीएम और सीईपी बैठकों का समन्वय करने, सूचना एकत्रित करने और प्रसारित करने के साथ-साथ अंटार्कटिक शासन और प्रबंधन से संबंधित राजनयिक संचार, विचारों का आदान-प्रदान और वार्ता को सुविधाजनक बनाता है।
महत्व
- एटीसीएम और सीईपी की बैठकें अंटार्कटिका के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा और क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा किए जाने वाले प्रयासों हेतु महत्वपूर्ण हैं।
- 46 वीं एटीसीएम और 26 वीं सीईपी बैठक की मेजबानी भविष्य की पीढ़ियों के लिए अंटार्कटिका को संरक्षित करने के प्रयासों में एक जिम्मेदार वैश्विक हितधारक के रूप में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है।
- भारत अंटार्कटिक क्षेत्र में पर्यावरण संरक्षण और वैज्ञानिक अनुसंधान के साझा लक्ष्यों को आगे बढ़ाने के लिए जानकारी और विशेषज्ञता के सार्थक आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए तत्पर है।
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