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सामान्य अध्ययन-2: संघ और राज्यों के कार्य और दायित्व; विभिन्न संवैधानिक निकायों की शक्तियाँ, कार्य और दायित्व; जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की मुख्य विशेषताएँ।

संदर्भ: हाल ही में निर्वाचन आयोग (EC) ने असम में निर्वाचन नामावलियों के विशेष पुनरीक्षण की घोषणा की, जहाँ अगले वर्ष विधानसभा चुनाव प्रस्तावित हैं।

अन्य संबंधित जानकारी

  • निर्वाचन आयोग ने इससे पहले राज्य में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) पर तब तक रोक लगा दी थी जब तक कि राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) की प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती।
    • असम की 2019 की NRC सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से लगभग 19.6 लाख व्यक्तियों को सूची से बाहर रखा गया था, लेकिन इसे अभी तक भारत के रजिस्ट्रार जनरल (RGI) द्वारा अधिसूचित नहीं किया गया है।
  • राज्य में विशेष पुनरीक्षण के लिए 1 जनवरी, 2026 पात्रता तिथि (Qualifying Date) होगी।
  • जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 21 (3) मतदाता सूचियों के “विशेष पुनरीक्षण” का प्रावधान करती है।

विशेष पुनरीक्षण के मुख्य प्रावधान

  • घर-घर जाकर सत्यापन:
  • बूथ स्तरीय अधिकारी (BLOs) 22 नवंबर से 20 दिसंबर तक घर-घर जाकर मौजूदा मतदाताओं के विवरण की जांच करेंगे।
  • हालांकि, मतदाताओं को विशेष गहन पुनरीक्षण की तरह कोई गणना फॉर्म नहीं भरने होगा। इसके बजाय, BLOs उनके द्वारा पहले भरे गए रजिस्टर का उपयोग करके डेटा को सत्यापित करेंगे या उनमें सुधार करेंगे।
  • BLOs व्यक्तिगत विवरणों को घर के मुखिया या मतदाता से परामर्श करके उसे सत्यापित या उसमें सुधार करेंगे।
  • D-वोटरों (Doubtful Voters) का प्रबंधन:
  • D-वोटर या “संदिग्ध मतदाता” जिनकी नागरिकता की जांच चल रही है, उन्हें इस विशेष पुनरीक्षण के दौरान पुनः सत्यापित नहीं किया जाएगा, और उनके मौजूदा विवरण सीधे निर्वाचक नामावली के मसौदे में शामिल कर लिए जाएंगे।
  • D-वोटरों के संबंध में कोई भी विवरण को तभी डिलीट करने या उसमें संशोधन किया जाएगा जब विदेशी न्यायाधिकरण या किसी अदालत इसके लिए कोई आदेश जारी करे।
  • मसौदा और अंतिम नामावली:
  • सत्यापन के बाद एकीकृत निर्वाचक नामावली का मसौदा 27 दिसंबर 2025 को प्रकाशित किया जाएगा।
  • मतदान अधिकारियों का निर्देश है कि इस प्रक्रिया के दौरान भारतीय संविधान की धारा 326 और जन प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 16 और 19 के अनुसार प्रत्येक पात्र व्यक्ति को मतदाता के रूप में पंजीकृत किया जाए।
  • दावे और आपत्तियों के लिए एक अवधि निर्धारित होगी (हालांकि आपत्ति विंडो की सटीक तिथियाँ सभी स्रोतों में समान रूप से नहीं दी गई हैं)।
  • अंतिम निर्वाचक नामावली 10 फरवरी 2026 को जारी की जाएगी।

विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के स्थान पर विशेष पुनरीक्षण (SR)

  • असम को निर्वाचन आयोग द्वारा किए जा रहे देशव्यापी विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभ्यास के दायरे से बाहर रखा गया था।
  • चूंकि असम में नागरिकता का सत्यापन कार्य पहले से ही नागरिकता अधिनियम की विशेष धाराओं के तहत सर्वोच्च न्यायालय की निगरानी में चल रहा है, इसलिए निर्वाचन आयोग ने विशेष पुनरीक्षण (SR) की प्रक्रिया को अपनाया।
  • SR एक मध्य मार्ग है, जो नियमित वार्षिक विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण की तुलना में अधिक विस्तृत है, परन्तु SIR से कम व्यापक और संसाधन-क्षम है।

चुनौतियाँ और चिंताएँ

  • पारदर्शिता और समावेशिता: प्रक्रिया सुव्यवस्थित होने के बावजूद यह चिंता हो सकती है कि सभी पात्र नागरिकों का उचित तरीके से सत्यापन और पंजीकरण हुआ है या नहीं।
  • समय का जोखिम: चूंकि अंतिम सूची चुनाव से केवल कुछ महीने पहले प्रकाशित होती है, इसलिए देरी या दावों/आपत्तियों के संबंध में उपजा विवाद चुनाव की तैयारी को प्रभावित कर सकता है।
  • नागरिकता से जुड़ा मुद्दा: D-वोटरों को बिना नए सत्यापन के आगे बढ़ाने के निर्णय से यह प्रश्न उठ सकता है कि यह अभ्यास असम में विवादास्पद नागरिकता आयाम को पर्याप्त रूप से संबोधित कर पा रहा है अथवा नहीं।

आगे की राह

  • पारदर्शिता और समावेशिता का सुदृढ़ीकरण: कोई भी घर न छूटे, इसके लिए GPS-टैग्ड BLO विज़िट, आधार प्रमाणीकरण (स्वैच्छिक), और रीयल-टाइम डैशबोर्ड का उपयोग करें।
  • समय का प्रबंधन: BLO सत्यापन, निर्वाचक नामावली के मसौदे का प्रकाशन, और आपत्तियों के निपटान के लिए चुनाव आयोग को उचित समय-सारणी जारी करनी चाहिए।
  • सामुदायिक विश्वास जागृत करना: स्थानीय जागरूकता अभियान चलाएँ, दूरदराज और प्रवासी-की अधिक आबादी वाले क्षेत्रों में मोबाइल सुविधा इकाइयाँ तैनात करें, और जिला स्तर पर 24×7 शिकायत निवारण प्लेटफ़ॉर्म बनाकर नागरिकों को SR प्रक्रिया की जानकारी प्रदान करें।
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