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सामान्य अध्ययन-2: स्वास्थ्य, शिक्षा, मानव संसाधनों से संबंधित सामाजिक क्षेत्र/सेवाओं के विकास और प्रबंधन से संबंधित विषय।
संदर्भ: विश्व बैंक की वैश्विक तपेदिक (टीबी) रिपोर्ट 2025 के अनुसार, वर्ष 2023 और 2024 के बीच वैश्विक तपेदिक (टीबी) संक्रमण दर में 1.7% की गिरावट दर्ज की गई।
रिपोर्ट के मुख्य बिंदु
- टीबी का वैश्विक बोझ और मृत्यु दर
- तपेदिक रोग (टी.बी.) विश्वभर में मृत्यु के शीर्ष 10 कारणों में से एक बना हुआ है तथा एकल संक्रामक रोग से होने वाली मृत्यु का एक प्रमुख कारण है।
- 2024 में अनुमानित 10.7 मिलियन लोग टीबी से ग्रसित हुए और 1.23 मिलियन लोगों की इसके कारण मृत्यु हुई। वैश्विक संक्रमण दर 100,000 लोगों पर 131 रही, जबकि मृत्यु दर 11.5% रही।
- देशवार स्थिति और जनसांख्यिकी
- अत्यधिक टीबी मामले वाले 30 देशों में विश्व के 87% टीबी के मामले पाए गए। इनमें शीर्ष आठ देश – भारत, इंडोनेशिया, फिलीपींस, चीन, पाकिस्तान, नाइजीरिया, डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो और बांग्लादेश हैं जो कुल मामलों में 67% योगदान देते हैं।
- जनसांख्यिकीय रूप से, पुरुष (54%) टीबी से सबसे अधिक प्रभावित रहे, उसके बाद महिलाएं (35%) और बच्चे (11%)।
- कालानुक्रमिक प्रवृत्तियाँ
- 2015 से 2024 तक, वैश्विक टीबी की घटनाओं में 12% की कमी आई (लक्ष्य: 2025 तक 50%, 2030 तक 80% कमी लाना है), और मृत्यु दर में 29% की कमी आई (लक्ष्य: 2025 तक 75%, 2030 तक 90% कमी लाना है)।
- अकेले 2023 और 2024 के बीच, संक्रमण दर में 1.7% और मृत्यु-दर में 3% की कमी आई—यह 2020 के बाद पहली बार कुल टीबी मामलों में वैश्विक गिरावट को दर्शाता है।
- क्षेत्रीय उपलब्धियाँ
- WHO अफ्रीकी क्षेत्र: टीबी के मामलों में 28% और मृत्यु में 46% की कमी दर्ज की गई।
- WHO यूरोपीय क्षेत्र: टीबी के मामलों में 39% और मृत्यु में 49% की कमी दर्ज की गई।
- दुनिया के 101 देशों में टीबी के मामलों में कम-से-कम 20% कमी दर्ज की गई, जबकि 65 देशों में मृत्यु-दर में 35% से अधिक गिरावट दर्ज की गई।
- निदान और उपचार में प्रगति
- वर्ष 2024 में 8.3 मिलियन लोगों में टीबी के नये मामले की पहचान की गई, जो कुल अनुमानित मामलों का 78% है।
- 164,545 लोगों को रिफाम्पिसिन-प्रतिरोधी टीबी (RR-TB) के लिए उपचार मिला, जो अनुमानित मामलों का 42% है।
- उपचार सफलता दर: दवा-संवेदनशील टीबी में 88% और RR-TB में 71%।
- वर्ष 2000 से 2024 के बीच टीबी उपचार से 83 मिलियन लोगों की जान बचाई गई।
- निवारक उपचार (TPT)
- वर्ष 2024 में, 5.3 मिलियन लोगों को टीबी निवारक थेरैपी प्रदान की गई। इनमें 3.5 मिलियन टीबी रोगियों के संपर्क में आए लोग और 1.8 मिलियन HIV से संक्रमित लोग शामिल थे।
- HIV संक्रमित लोगों में कवरेज 58% रहा और घरेलू संपर्कों में कवरेज 25% तक रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में मामूली सुधार दर्शाता है।
- आर्थिक और सामाजिक अवरोध
- आर्थिक असुरक्षा टीबी नियंत्रण में प्रमुख चुनौती बनी हुई है। टीबी से प्रभावित लगभग 50% परिवारों को भारी खर्च का सामना करना पड़ता है, जो उनकी वार्षिक आय के 20% से भी अधिक है।
- अत्यधिक टीबी मामले वाले अधिकांश देशों में सामाजिक सुरक्षा का कवरेज 50% से कम है, और उनकी यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज (UHC) सेवा सूचकांक 100 में से 40–60 के बीच है।
- अनुसंधान, नवाचार और वित्त पोषण अंतराल
- वर्तमान में टीबी के 18 संभावित टीकों पर नैदानिक परीक्षण चल रहे हैं, जिनमें से छह चरण-3 परीक्षण में हैं।
- हालाँकि, वैश्विक टीबी-नियंत्रण प्रयास गंभीर धन-अभाव का सामना कर रहे हैं। वर्ष 2024 में टीबी की रोकथाम, निदान और उपचार के लिए केवल 5.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर उपलब्ध थे — जो 2027 तक आवश्यक 22 बिलियन डॉलर का मात्र 27% है।
- इसी प्रकार, 2023 में टीबी अनुसंधान के लिए उपलब्ध धनराशि 1.2 बिलियन अमेरिकी डॉलर थी, जो 5 बिलियन डॉलर के लक्ष्य का केवल 24% थी।
- 2025 से अंतरराष्ट्रीय दाताओं द्वारा धन में संभावित कटौती से टीबी के उन्मूलन की प्रगति को गंभीर खतरा है, जो विशेष रूप से अत्यधिक टीबी मामले वाले देशों में सुदृढ़ घरेलू वित्तपोषण और ठोस राजनीतिक प्रतिबद्धता की तात्कालिक आवश्यकता को रेखांकित करता है।
- भारत की स्थिति और प्रगति
- भारत ने टीबी नियंत्रण में उल्लेखनीय प्रगति की है। 2015 से इसके मामलों में 21% की कमी आई है, लेकिन फिर भी 2024 में वैश्विक टीबी मामलों के 25% के साथ भारत अब भी दुनिया में टीबी के सर्वाधिक मामले वाला देश बना हुआ है।
- मृत्यु-दर 2015 के प्रति लाख 28 से घटकर 2024 में प्रति लाख 21 हो गई।
- संक्रमण दर भी 2015 के प्रति लाख 237 से घटकर 2024 में प्रति लाख 187 रह गई।
- अनुमानित रोगियों के उपचार कवरेज में 92% सुधार हुआ है जबकि 2023 में यह 85% और 2015 में केवल 53% थी।
- दिसंबर 2024 में शुरू किए गए टीबी मुक्त भारत अभियान के तहत 19 करोड़ से अधिक लोगों की जाँच की गई, जिसमें 24.5 लाख टीबी मामलों की पहचान हुई, जिनमें 8.61 लाख मामले लक्षणविहीन संक्रमण के थे।
- वर्ष 2024 में वैश्विक बहुऔषधि प्रतिरोधी टीबी (MDR-TB) मामलों में भारत की हिस्सेदारी 32% रही।
- MDR या रिफैम्पिसिन-प्रतिरोधी टीबी से पीड़ित लोगों की संख्या 2024 में कुल टीबी रोगियों का लगभग 3.2% थी।
- इन सराहनीय उपलब्धियों के बावजूद, भारत 2025 के अपने उन्मूलन लक्ष्य से अभी काफी दूर है, जिसमें संक्रमण दर में 80% (प्रति लाख 44 मामले) और मृत्यु-दर में 90% (प्रति लाख 3 मृत्यु) कमी लाने का लक्ष्य रखा गया है।
प्रमुख सिफारिशें
- निदान और उपचार सेवाओं को सुदृढ़ और विस्तारित करना: निदान संबंधी अंतराल को पाटने के लिए तीव्र और आणविक निदान परीक्षण तक सार्वभौमिक पहुंच को बढ़ाना, तथा यह सुनिश्चित करना कि सभी संभावित टीबी मामलों का शीघ्र परीक्षण किया जाए।
- निवारक चिकित्सा और टीकाकरण प्रयासों को बढ़ाना: उच्च-जोखिम समूहों—जैसे टीबी रोगियों के घरेलू संपर्कों और HIV संक्रमित लोगों—में टीबी रोकथाम उपचार का तेज़ी से विस्तार किया जाए, ताकि WHO द्वारा निर्धारित सार्वभौमिक कवरेज के लक्ष्य के निकट पहुँचा जा सके।
- पर्याप्त वित्तपोषण और उसे बनाए रखना: टीबी की रोकथाम, निदान, उपचार और अनुसंधान के लिए मौजूद गंभीर वित्तीय कमी को दूर किया जाए। वर्तमान वित्तपोषण स्तर वैश्विक लक्ष्य का केवल एक-चौथाई ही दर्शाता है।
- बहुक्षेत्रीय और सामुदायिक सहभागिता को आगे बढ़ाना: समुदाय-आधारित टीबी स्क्रीनिंग का विस्तार किया जाए, और मामलों की बेहतर निगरानी तथा रोगियों को सहायता प्रदान करने के लिए डिजिटल निगरानी प्रणालियों का उपयोग बढ़ाया जाए, जिससे मामलों की पहचान और उपचार अनुपालन में सुधार हो सके।
