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सामान्य अध्ययन – 3: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरणीय प्रभाव मूल्यांकन
संदर्भ: हाल ही में, जर्मनवाच द्वारा जारी क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स (CRI) 2026 के अनुसार, वर्ष 1995 से 2024 के बीच जलवायु आपदा की घटनाओं से सबसे अधिक प्रभावित देशों में भारत नौवें स्थान पर है।
अन्य संबंधित जानकारी

- यह विश्लेषण ब्राजील के बेलेम में चल रहे COP30 में प्रस्तुत किया गया।
- सूची में शीर्ष दस देश वैश्विक दक्षिण में हैं।
- पिछली बार यह सूचकांक 2023 में तैयार किया गया था, जिसमें भारत को आठवें स्थान पर रखा गया था।
- CRI की गणना जलवायु आपदा की घटनाओं के आर्थिक और मानवीय प्रभावों के आधार पर की जाती है।
- रैंक जितनी ऊँची होगी, मानव-प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण जलवायु आपदाओं की घटनाओं से देश उतना ही अधिक प्रभावित होगा।
- यह सूचकांक केवल बाढ़, तूफान, अत्यधिक तापमान, जंगली आग, हिमनद झील विस्फोट और बाढ़ जैसी तीव्र घटनाओं का विश्लेषण करता है।
- धीमी गति से होने वाली घटनाएँ जैसे औसत तापमान में वृद्धि, समुद्र के स्तर में वृद्धि, महासागरीय अम्लीकरण, हिमनदों का पीछे हटना आदि शामिल नहीं हैं।
मुख्य निष्कर्ष
- सूचकांक में वर्ष 1995 से वर्ष 2024 के बीच 9,700 से अधिक जलवायु आपदा की घटनाओं को दर्ज किया गया है, जिनमें 8.32 लाख से अधिक लोगों की जान गई और मुद्रास्फीति के लिए समायोजित 4.5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक की प्रत्यक्ष क्षति हुई।
- वर्ष 1995-2024 की अवधि के लिए सूचकांक में शीर्ष पर डोमिनिका है, जो एक बहुत छोटा कैरेबियाई द्वीप राष्ट्र है, जो कई बार विनाशकारी तूफानों से प्रभावित हुआ है।
o दूसरे स्थान पर म्यांमार है। - लगभग 40% लोग, अर्थात् तीन अरब से अधिक लोग, वर्तमान में उन 11 देशों में रहते हैं जो पिछले 30 वर्षों में जलवायु आपदा की घटनाओं जैसे कि गर्म लहरों, तूफानों और बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
- बाढ़ कुल मिलाकर सबसे खराब आपदा थी, जिसने वर्ष 2024 में वैश्विक स्तर पर लगभग 50 मिलियन लोगों को प्रभावित किया, इसके बाद हीट वेव्स (33 मिलियन) और सूखा (29 मिलियन) थे।
भारत का जलवायु जोखिम प्रोफ़ाइल:
- CRI विश्लेषण के अनुसार, भारत बार-बार होने वाली जलवायु आपदा संबंधी घटनाओं से अत्यधिक प्रभावित है, जिसने पिछले कुछ वर्षों में लोगों और अर्थव्यवस्था दोनों को प्रभावित किया है।
- पिछले तीन दशकों में भारत को बाढ़ और भूस्खलन, हीट वेव्स, चक्रवात और सूखे जैसी लगभग 430 जलवायु आपदा घटनाओं का सामना करना पड़ा।
- इन घटनाओं से देश में एक अरब से अधिक लोग प्रभावित हुए और परिणामस्वरूप मुद्रास्फीति-समायोजित नुकसान लगभग 170 अरब डॉलर का हुआ।
- इन घटनाओं में 80,000 से अधिक लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है।
- वर्ष 2024 में जलवायु आपदा से सबसे अधिक प्रभावित लोगों की संख्या के मामले में भारत, बांग्लादेश और फिलीपींस के बाद तीसरे स्थान पर है।
- वर्ष 2024 का मानसून भारत के लिए विशेष रूप से विनाशकारी था, जिससे मुख्य रूप से गुजरात, महाराष्ट्र और त्रिपुरा में 8 मिलियन से अधिक लोग प्रभावित हुए।
- रिपोर्ट में भारत, फिलीपींस, निकारागुआ और हैती को “निरंतर खतरे” की श्रेणी में रखा गया है, जिसका अर्थ है कि ये देश बार-बार और लगातार जलवायु आपदा की घटनाओं का सामना करते हैं।
- यह भारत की उच्च दीर्घकालिक रैंकिंग में योगदान देता है, क्योंकि बार-बार होने वाली आपदाओं के कारण समय के साथ नुकसान बढ़ता जाता है।
