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सामान्य अध्ययन-3: किसानों की सहायता के लिए ई-टेक्नोलॉजी।

संदर्भ: नीति आयोग के फ्रंटियर प्रौद्योगिकी केंद्र ने कृषि की पुनर्कल्पना: अग्रणी प्रौद्योगिकी आधारित परिवर्तन के लिए रूपरेखा शीर्षक से रूपरेखा को पेश किया।

रोडमैप की मुख्य विशेषताएं

  •  यह रूपरेखा बीसीजी, गूगल, और सीआईआई (CII) जैसे सहयोगियों के साथ मिलकर विकसित की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य कृषि लचीलापन, समावेशी ग्रामीण समृद्धि, और एग्री-टेक नवाचार में भारत की वैश्विक प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है।
  • अग्रणी प्रौद्योगिकियों का उपयोग: यह रूपरेखा भारत के विविध कृषि परिदृश्य में उत्पादकता, संधारणीयता, और किसानों की आय बढ़ाने के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों का लाभ उठाने हेतु एक रणनीतिक दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है। इन प्रौद्योगिकियों में शामिल हैं: जलवायु-सहनीय बीज, परिशुद्ध कृषि,एजेंटिक एआई, उन्नत मशीनीकरण
  • अनुकूलित समाधान: यह किसानों को तीन मुख्य समूहों में वर्गीकृत करती है – आकांक्षी, परिवर्तनशील, और उन्नत । प्रत्येक समूह को उनकी विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अनुरूप और कार्रवाई योग्य समाधान प्रदान किए जाएंगे।
  • प्रणालीगत बाधाएँ: यह कृषि में अग्रणी प्रौद्योगिकी के व्यापक विस्तार के मार्ग में आने वाली प्रमुख प्रणालीगत बाधाओं की पहचान करती है: डेटा विखंडन, भौतिक-डिजिटल विभाजन, विश्वास की कमी,प्रतिभा अंतराल, पूंजी और पारिस्थितिकी तंत्र का विखंडन

 भारतीय कृषि की चुनौतियाँ

  • विखंडित भू-जोत: छोटे और विखंडित भूमि पार्सल, जिनका औसत लगभग 1.08 हेक्टेयर है, विस्तारणीयता को सीमित करते हैं और मशीनीकरण की व्यवहार्यता को कम करते हैं।
  • निम्न डिजिटल साक्षरता: सीमित डिजिटल कौशल और सामाजिक-आर्थिक बाधाएं किसानों की उन्नत प्रौद्योगिकियों तक पहुँचने और उनका उपयोग करने की क्षमता को प्रतिबंधित करती हैं।
  • बुनियादी ढाँचे की कमियाँ: ख़राब इंटरनेट कनेक्टिविटी और अविश्वसनीय ग्रामीण बिजली आपूर्ति डिजिटल और सटीक उपकरणों को अपनाने में बाधा डालती है।
  • उच्च वित्तीय बाधाएँ: उच्च अग्रिम लागतें और वहनीय ऋण तक सीमित पहुँच छोटे किसानों को आधुनिक प्रौद्योगिकियों में निवेश करने से रोकती है।
  • नियामक और नीतिगत अवरोध: जटिल नियम और धीमी नीति प्रक्रियाएँ नवाचार में देरी करती हैं और प्रभावी सार्वजनिक–निजी सहयोग  में बाधा डालती हैं।

मुख्य सिफारिशें

  • तीन-स्तंभ ढाँचा: यह मौजूदा बाधाओं को दूर करने और कृषि परिवर्तन को आगे बढ़ाने के लिए डिजिटल कृषि मिशन 2.0 हेतु एक कार्यवाही योग्य तीन-स्तंभ ढाँचे की सिफारिश करती है:
    • आधारभूत प्रणालियों को उन्नत करना (डेटा, अंतिम-मील डिजिटल सक्षमता)।
    • नवाचार और प्रतिभा पारिस्थितिकी तंत्र की पुनर्कल्पना करना
    • सार्वजनिक-निजी प्रयासों और नीतिगत ढाँचों का अभिसरण करना
  • एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच: एआई, आईओटी, सटीक उपकरणों और जलवायु-सहनीय प्रौद्योगिकियों को एकीकृत करने वाले एंड-टू-एंड फार्म प्रबंधन प्रणालियों  को विकसित करना।
  • किसानों के लिए वित्तीय सहायता: छोटे किसानों को नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने में मदद करने के लिए सब्सिडी-युक्त वित्तपोषण, ऋण पहुँच, और कम ब्याज वाले ऋण का विस्तार करना।
  • सहयोगात्मक नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र: समाधानों के व्यापक विस्तार के लिए सरकारी एजेंसियों, एग्रीटेक स्टार्टअप्स, शैक्षणिक संस्थानों और किसान समूहों के बीच सहयोग को बढ़ावा देना।
    • साझा-पहुँच मॉडल  (जैसे, मांग पर उपकरण, एग्रीटेक कॉमन्स) को बढ़ावा देना ताकि छोटे जोत वाले किसानों की पैमाने और पूंजी की बाधाओं को दूर किया जा सके।

 नीति फ्रंटियर टेक हब के बारे में

  • नीति फ्रंटियर टेक हब विकसित भारत के लिए एक एक्शन टैंक है।
  • यह सरकार, उद्योग और शिक्षा जगत के 100 से अधिक विशेषज्ञों के साथ सहयोग करता है।
  • इसका उद्देश्य परिवर्तनकारी और समावेशी विकास के लिए अग्रणी प्रौद्योगिकियों का उपयोग करने हेतु 20 से अधिक क्षेत्रों में फैले 10-वर्षीय विषयगत रोडमैप विकसित करना है।

इस हब का लक्ष्य 2047 तक एक समृद्ध, लचीला और तकनीकी रूप से उन्नत भारत के निर्माण के लिए आज समन्वित कार्रवाई को बढ़ावा देना है।

Sources:
News On Air
PIB

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