संबंधित पाठ्यक्रम:
सामान्य अध्ययन-3: आईटी, अंतरिक्ष, कंप्यूटर, रोबोटिक्स, नैनो-प्रौद्योगिकी, जैव-प्रौद्योगिकी और बौद्धिक संपदा अधिकारों से संबंधित विषयों के क्षेत्र में जागरूकता।
संदर्भ: हाल ही में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय नौसेना के उन्नत संचार उपग्रह GSAT-7R (CMS -03) का सफल प्रक्षेपण किया।
अन्य संबंधित जानकारी
• अपने उच्च द्रव्यमान के कारण, इसरो के सबसे शक्तिशाली प्रक्षेपण यान LVM3 – M5 द्वारा प्रक्षेपित GSAT-7R को एक मानक भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) में स्थापित किया गया, जहाँ से यह ऊपर उठाने और अपनी अंतिम कक्षा के चक्कर लगाने के लिए इस पर रखे गए प्रणोदन का उपयोग करेगा।
• यह 2013 में प्रक्षेपित GSAT-7 (रुक्मिणी) को प्रतिस्थापित करेगा और इस प्रकार GSAT-7 का एक आधुनिक और अधिक सक्षम उत्तरवर्ती बन जाएगा।
GSAT -7R के बारे में मुख्य तथ्य
• GSAT-7R एक स्वदेशी रूप से डिजाइन और विकसित मल्टी-बैंड संचार उपग्रह है, जो भारतीय नौसेना के अंतरिक्ष-आधारित संचार और समुद्री डोमेन जागरूकता को बढ़ाता है।
• लगभग 4,400 किलोग्राम वजन वाला यह भारत का अब तक का सबसे भारी संचार उपग्रह है।
• यह उपग्रह C, विस्तारित C, Ku, UHF और S बैंड में ध्वनि, डेटा और वीडियो प्रसारण के लिए उच्च क्षमता, सुरक्षित संचार सुनिश्चित करता है।
• यह 1,200 लीटर के प्रणोदन टैंक और मोड़े जा सकने वाले एंटीना सिस्टम जैसी उन्नत स्वदेशी विशेषताओं के साथ 15 साल के मिशन जीवनकाल के लिए बनाया गया है।
महत्त्व
• सामरिक और नौसैनिक महत्व:
- GSAT-7R युद्धपोतों, पनडुब्बियों और विमानों सहित नौसेना की संपत्तियों के बीच सुरक्षित और रियल टाइम समन्वय को सक्षम बनाता है।
- यह जटिल समुद्री अभियानों के दौरान नौसेना की परिचालन प्रभावशीलता, कमान नियंत्रण और स्थितिजन्य जागरूकता को बढ़ाता है।
• आत्मनिर्भरता में योगदान:
- GSAT-7R स्वदेशी घटकों और प्रौद्योगिकियों का उपयोग करके आत्मनिर्भर भारत के दृष्टिकोण को मूर्त रूप प्रदान करता है।
• राष्ट्रीय सुरक्षा को बढ़ाना :
- यह स्वतंत्र, सुरक्षित अंतरिक्ष परिसंपत्तियों के माध्यम से अपने समुद्री हितों की रक्षा करने की भारत की क्षमता को बढ़ाता है।
- यह उपग्रह राष्ट्रीय रक्षा संचार को मजबूत करता है और रणनीतिक अभियानों के लिए लचीली सूचना प्रणाली सुनिश्चित करता है।
- यह भारी संचार उपग्रहों के लिए विदेशी लॉन्चरों पर निर्भरता को भी कम करता है।
• गगनयान मिशन के लिए तैयारी:
- इस प्रक्षेपण ने LVM3 रॉकेट की भारत से भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा (GTO) तक चार टन से अधिक वजनी उपग्रहों को नियमित रूप से ले जाने की क्षमता को प्रदर्शित किया, जिससे प्रत्यक्ष तौर पर इसरो की गगनयान मिशन की तैयारियों को बल मिलेगा। गगनयान इसरो का अभिनव मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम है, जिसमें विकसित LVM3 संस्करण का उपयोग करने की योजना है।
