संदर्भ:
अर्थ सिस्टम साइंस डेटा जर्नल में प्रकाशित एक वैश्विक अध्ययन में चेतावनी दी गई है कि जलवायु परिवर्तन के कारण उष्ण तरंगें (हीटवेव) और सूखे की बढ़ती आवृत्ति तथा तीव्रता विश्व भर में वनाग्नि के खतरों को बढ़ा रही है।
विश्लेषण के प्रमुख निष्कर्ष
वैश्विक दायरा और कार्बन उत्सर्जन:

- वैश्विक स्तर पर, वनाग्नि ने लगभग 3.7 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को जला दिया, जो भारत के क्षेत्रफल से भी अधिक है।
- इन आग से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन 8 बिलियन टन से अधिक हो गया, जो 2003 के बाद से औसत से लगभग 10% अधिक है।
- विश्व भर में लगभग 100 मिलियन लोग वनाग्नि के धुएं के संपर्क में आए, तथा लगभग 215 बिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य के घर और बुनियादी ढांचे के लिए खतरा उत्पन्न हो गया।
देश-वार वनाग्नि का जोखिम:
- भारत 44 बिलियन अमेरिकी डॉलर के बुनियादी ढांचे के साथ सूची में सबसे शीर्ष पर है, इसके बाद संयुक्त राज्य अमेरिका (26 बिलियन अमेरिकी डॉलर) और चीन (17 बिलियन अमेरिकी डॉलर) का स्थान है। भारत और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में वनाग्नि का जोखिम सबसे अधिक है, जहाँ प्रत्येक देश में लगभग 15 मिलियन लोग इससे प्रभावित होते हैं।
भारत की भेद्यता और जोखिम:
- उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक 4.6 मिलियन लोग इससे प्रभावित हुए, इसके बाद पंजाब में 3.5 मिलियन लोग प्रभावित हुए, जिसका मुख्य कारण फसल अवशेष जलाना, लू और शुष्क ईंधन थे।
- क्षेत्रीय अग्नि के कारण नई दिल्ली में गंभीर धुंध छाई रही, और यहाँ PM 2.5 का स्तर 200 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से अधिक हो गया, जो नवंबर 2024 के दौरान निर्धारित विश्व स्वास्थ्य संगठन की सुरक्षित सीमा से 13 गुना अधिक है।
