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सामान्य अध्ययन-2: संरक्षण, पर्यावरण प्रदूषण और क्षरण, पर्यावरण प्रभाव आकलन।

संदर्भ: हाल ही में, अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के अथक वैश्विक संरक्षण प्रयासों के माध्यम से ग्रीन सी टर्टल को “संकटग्रस्त” से “सबसे कम चिंताजनक” के रूप में पुनः वर्गीकृत किया गया। 

अन्य संबंधित जानकारी

• अबू धाबी में आयोजित विश्व संरक्षण कांग्रेस में IUCN की नवीनतम रेड लिस्ट अपडेट में बताया गया कि वर्ष 1970 के दशक से ग्रीन सी टर्टल की आबादी में 28% की वृद्धि हुई है, जो उनके संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता है।

• इस सुधार का श्रेय दशकों से उनके संरक्षण के लिए किए जा रहे संरक्षण प्रयासों को दिया जा सकता है, जिसमें प्रजनन वाले तटों (Nesting Beaches) की सुरक्षा, टर्टल एक्सक्लूडर डिवाइसों (Turtle Excluder Devices) के माध्यम से कछुओं को पकड़ने की दर में कमी लाना तथा समुदाय के नेतृत्व में चलाए गए जागरूकता कार्यक्रम शामिल हैं।

• असेंशन द्वीप, ब्राजील, मैक्सिको और हवाई जैसे क्षेत्रों में सफल पहलों से कुछ कछुओं की छोटी आबादी को व्यावसायिक दोहन स्तर से पूर्व की स्थिति के करीब लाने में मदद मिली है।

• वैश्विक स्तर पर सुधार के बावजूद, उनकी आबादी ऐतिहासिक स्तर से नीचे बनी हुई है तथा उनकी कई प्रजातियों में, विशेष रूप से दक्षिण-पश्चिम प्रशांत क्षेत्र में, हैचिंग सफलता में गिरावट जारी है।

• वर्तमान में IUCN रेड लिस्ट में 172,000 से अधिक प्रजातियाँ शामिल हैं, जिनमें से 48,000 से अधिक विलुप्त होने के कगार पर हैं। इससे पता चलता है कि हालांकि प्रगति हुई है, लेकिन वैश्विक स्तर पर चुनौतियाँ अभी भी बनी हुई हैं। 

ग्रीन सी टर्टल (चेलोनिया मिडास) 

• ग्रीन सी टर्टल एक बड़ा समुद्री सरीसृप है जो विश्व भर में उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय जल में पाया जाता है तथा अटलांटिक, प्रशांत और हिंद महासागर में इसकी महत्वपूर्ण आबादी है।

• इन्हें अक्सर कैरिबियन, हवाई द्वीप के आसपास और ग्रेट बैरियर रीफ में देखा जाता है।

• इस प्रजाति का नाम इसके शरीर की वसा के हरे रंग के कारण रखा गया है। यह वसा इसे समुद्री घास और शैवाल जैसे शाकाहारी आहार से प्राप्त होती है।

• यह सबसे बड़ी समुद्री कछुओं की प्रजातियों में से एक है, जिसके वयस्क कछुओं का वजन 100-180 किलोग्राम के बीच होता है और लंबाई 1.5 मीटर तक होती है।

• यह प्रजाति अपना अधिकांश जीवन उथले तटीय जल, खाड़ियों और नदी-मुहानों में बिताती है, लेकिन खाद्य स्थलों और प्रजनन तटों के बीच लंबी दूरी तक प्रवास करती है।

• यह उष्णकटिबंधीय समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र में एक प्रमुख प्रजाति (keystone Species) के रूप में महत्वपूर्ण पारिस्थितिक भूमिका निभाती है तथा प्रवाल भित्तियों और समुद्री घास के स्वास्थ्य को बनाए रखती है।

• इसके प्रमुख प्रजनन स्थलों में कैरिबियन, ऑस्ट्रेलिया का राइन द्वीप, मैक्सिको तथा हिंद महासागर के कुछ भाग जैसे सेशेल्स और श्रीलंका शामिल हैं।

• जलवायु परिवर्तन से इस प्रजाति के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है, क्योंकि रेत का बढ़ता तापमान अण्डों के लिंगानुपात को प्रभावित कर सकता है तथा प्रजनन के समय मृत्यु दर को बढ़ा सकता है।

अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) के बारे में

वर्ष 1948 में स्थापित, IUCN अब विश्व का सबसे बड़ा और सबसे विविध पर्यावरण नेटवर्क है, जो 1,400 से अधिक सदस्य संगठनों और 17,000 विशेषज्ञों के ज्ञान, संसाधनों और पहुँच का प्रकृति संरक्षण के लिए उपयोग करता है। इसी विविधता और विशेषज्ञता के कारण IUCN प्राकृतिक विश्व की स्थिति और उसकी सुरक्षा के लिए आवश्यक उपायों हेतु एक वैश्विक प्राधिकरण है।

आगे की राह 

• समुद्र तट पर गश्त, सामुदायिक सहभागिता और कछुओं के लिए सुरक्षित मछली पकड़ने की तकनीक जैसे संरक्षण उपाय उनकी बहाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहेंगे। 

• वैश्विक स्तर पर ग्रीन सी टर्टल की आबादी में हुई वृद्धि इस बात का आदर्श उदाहरण है कि किस प्रकार अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और स्थानीय संरक्षण से लंबे जीवनकाल वाली समुद्री प्रजातियों की बहाली संभव है। 

मुख्य परीक्षा हेतु अभ्यास प्रश्न

प्रशन. आईयूसीएन द्वारा हाल ही में इस बात पर प्रकाश डाला गया कि ग्रीन सी टर्टल की आबादी में हुई वृद्धि दर्शाती है कि किस प्रकार समन्वित वैश्विक संरक्षण जैव विविधता में क्षरण को उत्क्रमित कर सकता है। इस सफलता में योगदान देने वाली प्रमुख संरक्षण रणनीतियों और विश्व भर में समुद्री जैव विविधता के लिए खतरा बनी हुई चुनौतियों पर चर्चा कीजिए।

Source:
DowntoEarth
WWF
Independent

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