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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था और योजना, संसाधन को जुटाने, प्रगति, विकास और रोजगार से संबंधित विषय।

संदर्भ:

हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय वस्तुओं पर लगने वाले टैरिफ में की गई वृद्धि की प्रतिक्रिया में उत्तर प्रदेश राज्य ने अपने निर्यात क्षेत्र की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए और नए अवसरों का लाभ उठाने के लिए एक व्यापक रणनीति तैयार कर ली है।

अन्य संबंधित जानकारी

  • राज्य से निर्यात होने वाली प्रमुख वस्तुएं जैसे-कालीन, चमड़ा, वस्त्र और हस्तशिल्प की भारत के 86.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर के व्यापार में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है।

अमेरिकी टैरिफ में वृद्धि

  • अगस्त 2025 में, संयुक्त राज्य अमेरिका ने टैरिफ में 25% की अतिरिक्त वृद्धि की, जिससे भारतीय निर्यात पर कुल टैरिफ भार 50% हो गया।
  • ये टैरिफ अमेरिका को भारत से होने वाले  लगभग दो-तिहाई निर्यात को प्रभावित करते हैं, जिसका मूल्य वित्त वर्ष 2025 में लगभग 86.5 बिलियन डॉलर था| इससे  कपड़ा, चमड़ा, रत्न, आभूषण और समुद्री खाद्य क्षेत्रों पर काफी दबाव पड़ेगा|
  • आर्थिक विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि अगले वर्ष अमेरिका को होने वाला निर्यात लगभग 49.6 बिलियन डॉलर तक गिर सकता है, जिससे मध्य-पश्चिम और उत्तर भारत के निर्यातक विशेष रूप से प्रभावित होंगे।

उत्तर प्रदेश रणनीतिक प्रतिक्रिया

  • बाजार विकास सहायता (MDA):
    • निर्यातकों को 75% तक प्रतिपूर्ति (Reimbursement) प्राप्त होती है, जिसकी अधिकतम सीमा 25 लाख रुपये प्रति वर्ष है और इसमें व्यापार मेले में भागीदारी, स्टॉल की लागत, हवाई किराया, प्रचार, प्रमाणन और उत्पाद के नमूनों को कवर किया जाता है।
  • निर्यात संवर्धन नीति:
    • यह नीति प्रति वर्ष प्रति निर्यातक 30% या 30 लाख रुपये तक की माल ढुलाई सहायता प्रदान करती है, जिसमें 10 लाख रुपये तक हवाई माल ढुलाई सहायता भी शामिल है।
    • यह नीति ₹5 लाख तक की ECGC प्रीमियम के लिए 30% प्रतिपूर्ति, ₹3 लाख तक की ई-कॉमर्स ऑनबोर्डिंग फीस के लिए एकमुश्त 75% सहायता और डाक घर निर्यात केंद्रों के माध्यम से प्रति वर्ष ₹1 लाख तक के डाक शुल्क के लिए 75% प्रतिपूर्ति प्रदान करती है।
    • इसमें वर्ष-दर-वर्ष वृद्धिशील निर्यात वृद्धि पर 1% के प्रदर्शन-लिंक्ड रिवॉर्ड की भी पेशकश की गई है।
    • यह 40% पूंजीगत सब्सिडी के साथ नई निर्यात-उन्मुख परियोजनाओं का समर्थन करती है, जिनकी अधिकतम सीमा प्रति परियोजना ₹10 करोड़ है।
  • एक जिला एक उत्पाद (ODOP) योजना:
    • ODOP उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के अनूठे उत्पादों को बढ़ावा देकर विकास को गति देती है।
    • वित्त वर्ष 2024-25 में ₹1.06 करोड़ की लागत वाली 1,829 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई, जिससे उत्पादन मानकों में वृद्धि होगी और कारीगरों को दक्षिण-पूर्व एशिया और यूरोप जैसे उभरते बाजारों तक पहुंचने में मदद मिलेगी।
  • औद्योगिक आस्थान प्रबंधन नीति:
    • यह बुनियादी ढांचे के विकास के माध्यम से MSME क्षेत्र को राहत प्रदान करती है।
    • लगभग 700 एकड़ भूमि को MSME पार्क के रूप में विकसित किया जा रहा है, जिसमें मध्य उत्तर प्रदेश में 2,500 रुपये प्रति वर्ग मीटर और बुंदेलखंड क्षेत्र में 2,000 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि आवंटन की सुविधा GeM पोर्टल के माध्यम से दी जाएगी।
  • उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शो (UPITS)
    • उत्तर प्रदेश अंतर्राष्ट्रीय व्यापार शो (UPITS) वैश्विक खरीदारों के साथ निर्यातकों के संबंधों को मजबूत कर रहा है।
    • इसके पहले संस्करण ने उद्यमियों को जर्मनी, ब्रिटेन और मलेशिया जैसे देशों के खरीदारों से जोड़ा, जिससे एकल बाजारों पर निर्भरता कम हो गई।
    • UPITS 2025 का उद्देश्य व्यापक भागीदारी, बेहतर उत्पाद प्रदर्शन और गहन वैश्विक सहभागिता सुनिश्चित करना है, जिससे यह उत्तर प्रदेश के निर्यात को बढ़ावा देने वाला एक प्रमुख आयोजन बन सके।
  • बुनियादी ढाँचा
    • उत्तर प्रदेश में चार अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और नौ घरेलू हवाई अड्डे हैं।
    • एक बार चालू हो जाने पर, जेवर हवाई अड्डा 1 लाख टन की प्रारंभिक कार्गो क्षमता प्रदान करेगा, जिससे हस्तशिल्प और कृषि प्रौद्योगिकी उत्पादों जैसे सामानों के लिए शिपमेंट लागत और पारगमन में लगने वाले समय में कमी आएगी।

स्रोत:
The Hindu
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