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सामान्य अध्ययन-2: द्विपक्षीय, क्षेत्रीय एवं वैश्विक समूह तथा भारत से संबंधित और/अथवा भारत के हितों को प्रभावित करने वाले करार।
संदर्भ:
हाल ही में, केंद्रीय वाणिज्य मंत्री ने कहा कि भारत और कतर के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2030 तक दोगुना होकर 30 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की क्षमता रखता है।
अन्य संबंधित जानकारी

केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने दोहा के लुलु मॉल में भारत के यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) का शुभारंभ किया।
- इससे कतर UPI स्वीकार करने वाला आठवाँ देश बन गया है। वर्तमान में, UPI भूटान, फ्रांस, मॉरीशस, नेपाल, सिंगापुर, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात में स्वीकार किया जाता है।
भारत-कतर संयुक्त व्यापार परिषद (JBC) की बैठक के दौरान, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री ने कतर के 2028 से प्रति वर्ष 7.5 मिलियन टन LNG आपूर्ति के दीर्घकालिक समझौते का स्वागत किया।
भारत के लिए कतर का महत्व
- ऊर्जा सुरक्षा: कतर वर्तमान में भारत का सबसे बड़ा द्रवीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) आपूर्तिकर्ता है, जो देश के कुल LNG आयात का 40% हिस्सा है।
- निवेश: कतर के सॉवरिन वेल्थ फंड ने भारत में 1.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, तथा संयुक्त वक्तव्य में कतर द्वारा भारत में अतिरिक्त 10 बिलियन अमेरिकी डॉलर का निवेश करने की प्रतिबद्धता की घोषणा की गई।
- रणनीतिक साझेदारी: कतर भारत की ‘लुक वेस्ट’ नीति में एक प्रमुख साझेदार है, जो ऊर्जा सुरक्षा और व्यापार को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, ओमान और कुवैत जैसे खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) देशों के साथ संबंधों को मजबूत करने में मदद करता है।
- भू-राजनीतिक महत्व: अफगानिस्तान और इजरायल-फिलिस्तीन मुद्दे सहित प्रमुख संघर्षों में कतर की मध्यस्थता, भारत को प्रत्यक्ष भागीदारी के बिना क्षेत्रीय मामलों में भाग लेने में सक्षम बनाती है।
Sources:
orfonline
Indian Express
bilateral