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सामान्य अध्ययन-3: भारतीय अर्थव्यवस्था तथा योजना, संसाधनों को जुटाने, प्रगति, विकास तथा रोज़गार से संबंधित विषय।  

संदर्भ:

वस्त्र उद्योग ने सरकार से मोनो एथिलीन ग्लाइकॉल (MEG) पर एंटी-डंपिंग शुल्क न लगाने की अपील की है। यह पॉलिएस्टर फाइबर और फिलामेंट के उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले मुख्य कच्चे माल में से एक है।  

अन्य संबंधित जानकारी    

एंटी-डंपिंग ड्यूटी एक संरक्षणकारी शुल्क है जो किसी देश की सरकार द्वारा आयातित वस्तुओं पर लगाया जाता है जिनकी कीमत उनके उचित घरेलू बाजार मूल्य से कम होती है। इस प्रथा को डंपिंग कहा जाता है। इसे विश्व व्यापार संगठन द्वारा अनुमति प्राप्त है।

  • भारत की मोनो एथिलीन ग्लाइकॉल (MEG) की वार्षिक आवश्यकता 28 लाख टन है, जिसमें से लगभग 12 लाख टन सिंगापुर, कतर और सऊदी अरब से आयात किया जाता है। गुणवत्ता नियंत्रण आदेश (QCO) नियमों के कारण चीन से आयात प्रतिबंधित है। 
  • सरकार ने 2020 के केंद्रीय बजट में शुद्ध टेरेफ्थैलिक एसिड (PTA) पर एंटी-डंपिंग शुल्क (ADD) को हटा दिया, ताकि घरेलू मानव निर्मित फाइबर (MMF) उद्योग के लिए कच्चे माल की उपलब्धता अंतरराष्ट्रीय कीमतों पर सुनिश्चित की जा सके।   

वस्त्र उद्योग से संबंधित चिंताएँ

  • वस्त्र उद्योग ने चिंता व्यक्त की है कि प्रस्तावित एंटी-डंपिंग ड्यूटी (ADD) से MEG की कीमतें 20% बढ़ जाएंगी, जिससे मानव निर्मित फाइबर, यार्न, फिलामेंट, फैब्रिक्स और परिधानों की उत्पादन लागत बढ़ जाएगी।
  • सरकार ने हाल ही में MMF वस्त्र उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए MMF धागे और कपड़ों पर GST में कटौती की है। हालाँकि, MEG पर एंटी-डंपिंग शुल्क लगाने से विकास में बाधा आ सकती है, क्योंकि इससे सिंथेटिक उत्पादों के लिए प्रमुख कच्चे माल की लागत बढ़ जाएगी।
  • इस शुल्क से 20,000 करोड़ रुपये के नियोजित निवेश खतरे में पड़ सकते हैं तथा MMF क्षेत्र से जुड़े लगभग तीन लाख लोगों के लिए रोजगार के अवसर खतरे में पड़ सकते हैं।  

Sources:
The Hindu
Economic Times

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