रबी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP)
संदर्भ:
हाल ही में, आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने विपणन सीजन 2026-27 के लिए रबी फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को मंजूरी दी।
अन्य संबंधित जानकारी
- न्यूनतम समर्थन मूल्य में सबसे अधिक बढ़ोतरी कुसुम या कुसुंभ (safflower) के लिए की गई है, जिसमें 600 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है, इसके बाद मसूर के लिए 300 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
- रेपसीड और सरसों के एमएसपी में 250 रुपये प्रति क्विंटल, चना के लिए 225 रुपये प्रति क्विंटल, जौ के लिए 170 रुपये प्रति क्विंटल और गेहूं के लिए 160 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की गई है।
न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बारे में

- 1966-67 में लागू किया गया एमएसपी भारत सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य है, जो बम्पर उत्पादन के वर्षों के दौरान कीमतों में आने वाली अत्यधिक गिरावट के खिलाफ उत्पादकों यानी किसानों के हितों की रक्षा करता है।
- सरकार ने कुल 23 फसलों यानी 22 फसलों के लिए एमएसपी और एक फसल गन्ने के लिए उचित लाभकारी मूल्य (FRP) की घोषणा की है।
- एमएसपी को भारत सरकार की आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति (CCEA) द्वारा तय किया जाता है।
- कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (CACP), राज्य सरकारों और संबंधित केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों के दृष्टिकोणों पर विचार करने के बाद ही अपनी सिफारिशें देता है।
- एमएसपी की घोषणा प्रमुख कृषि पण्यों के बुवाई सीजन से पहले की जाती है।
FCRA नवीनीकरण आवेदनों पर गृह मंत्रालय की एडवाइज़री
संदर्भ:
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सभी गैर-सरकारी संगठनों को निर्देश दिया है कि वे अपने वर्तमान प्रमाणपत्र की समाप्ति अवधि से कम से कम चार महीने पहले अपने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (FCRA) पंजीकरण के नवीनीकरण के लिए आवेदन प्रस्तुत करें।
अन्य संबंधित जानकारी

- कई एनजीओ प्रमाणपत्र की समाप्ति अवधि में शेष रहे 90 दिन से कम समय पहले ही नवीनीकरण आवेदन प्रस्तुत करते हैं।
- यह देरी पर्याप्त जांच और सुरक्षा मंजूरी की प्रक्रिया में बाधा डालती है, जिसके परिणामस्वरूप ऐसी स्थितियाँ उत्पन्न होती हैं जहाँ:
- नवीनीकरण की प्रक्रिया से पहले ही प्रमाणपत्रों की अवधि समाप्त हो जाती है।
- अंतरिम अवधि के दौरान एनजीओ विदेशी अंशदान प्राप्त करने या उसका उपयोग करने में असमर्थ हैं।
- मंत्रालय का एकमात्र उद्देश्य आवेदनों की समय पर जांच सुनिश्चित करना और एनजीओ गतिविधियों में व्यवधान को रोकना है।
- कानूनी आवश्यकताएं (खंड 16(1), FCRA 2010):
- एनजीओ को प्रमाणपत्र की समाप्ति अवधि से छह महीने पहले नवीनीकरण के लिए आवेदन करना होगा।
- केंद्र सरकार आमतौर पर आवेदन प्राप्त होने के 90 दिनों के भीतर प्रमाणपत्र का नवीनीकरण कर देती है।
राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025
संदर्भ:
हाल ही में, आयुष मंत्रालय ने आयुर्वेद के शास्त्रीय, पारंपरिक और वैज्ञानिक क्षेत्रों में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रोफेसर बनवारी लाल गौर, वैद्य नीलकंधन मूस ई.टी. और वैद्य भावना पराशर को राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कार 2025 से सम्मानित किया।
राष्ट्रीय धन्वंतरि आयुर्वेद पुरस्कारों के बारे में
- आयुष मंत्रालय द्वारा स्थापित, यह सम्मान पारंपरिक भारतीय चिकित्सा के क्षेत्र में दिए जाने वाले सर्वोच्च सम्मानों में से एक है।
- यह आयुर्वेद के तीन आयामों में उत्कृष्टता को मान्यता देता है: विद्वता, जीवंत परंपरा और वैज्ञानिक नवाचार।
पुरस्कार प्राप्तकर्ताओं के बारे

अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस 2025
संदर्भ:
प्रतिवर्ष 2 अक्टूबर को अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। यह दिवस शांति और अहिंसा के वैश्विक प्रतीक महात्मा गांधी की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।
अन्य संबंधित जानकारी
- भारत में यह दिन गांधी जयंती के रूप में मनाया जाता है, जबकि विश्व स्तर पर इसे 2007 में संयुक्त राष्ट्र द्वारा पारित एक प्रस्ताव (140 से अधिक देशों द्वारा समर्थित) के बाद इसे अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
- यह दोहरा उत्सव राष्ट्रीय स्मृति और मानवता के लिए सार्वभौमिक संदेश के अनूठे मिश्रण को दर्शाता है।
महात्मा गांधी के बारे में: जीवन और दर्शन
- महात्मा गांधी एक भारतीय वकील, राजनीतिज्ञ, सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे और ये ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के अगुआ बने।
- उनके दर्शन का एक केंद्रीय सिद्धांत अहिंसा (Nonviolence) था, जिसका अर्थ है “हानि न पहुँचाना” या “करुणा”, जो सभी जीवित प्राणियों के प्रति विचार, शब्द और कर्म में अहिंसा की वकालत करता था।
- उन्होंने सत्य (Truth) और आग्रह (Insistence) से मिलकर “सत्याग्रह” शब्द गढ़ा, जो उनके अहिंसक प्रतिरोध के दर्शन का प्रतिनिधित्व करता है।
- इस सिद्धांत ने भारत में दांडी मार्च (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) सहित प्रमुख आंदोलनों का मार्गदर्शन किया, जिससे यह प्रदर्शित हुआ कि नैतिक बल बिना हिंसा के लाखों लोगों को संगठित कर सकता है।
- महात्मा गांधी ने सत्याग्रह के माध्यम से अहिंसा को राजनीतिक प्रतिरोध के एक शक्तिशाली साधन में बदल दिया, जिससे नेल्सन मंडेला और मार्टिन लूथर किंग जूनियर जैसे वैश्विक नेताओं को उनके नागरिक अधिकार आंदोलनों में प्रेरणा मिली।
ध्वनिक वाहन चेतावनी प्रणाली (AVAS)
संदर्भ:
इलेक्ट्रिक वाहनों से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) ने इलेक्ट्रिक कारों, बसों और ट्रकों के लिए ध्वनिक वाहन चेतावनी प्रणाली (AVAS) को अनिवार्य बनाने का प्रस्ताव रखा है।
अन्य संबंधित जानकारी
- 1 अक्टूबर, 2026 के बाद निर्मित सभी नए इलेक्ट्रिक वाहन मॉडल, जिनमें यात्री और मालवाहक वाहन शामिल हैं, को श्रव्यता आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए AVAS से लैस करना होगा।
- मौजूदा मॉडलों के लिए, कटऑफ तिथि 1 अक्टूबर, 2027 है, जिसके बाद AVAS का इनस्टॉलेशन अनिवार्य होगा।
AVAS की आवश्यकता क्यों है?
- AVAS एक ऐसा उपकरण है जो तब ध्वनि उत्पन्न करता है जब कोई वाहन 20 किमी. प्रति घंटे तक की गति चलता है ताकि पैदल चलने वालों और अन्य सड़क उपयोगकर्ताओं को सचेत किया जा सके।
- यह उपाय महत्वपूर्ण है क्योंकि कम गति पर चलने वाले इलेक्ट्रिक वाहन न्यूनतम ध्वनि उत्सर्जित करते हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बढ़ जाता है।
- पैदल यात्री और साइकिल चालकों को इलेक्ट्रिक वाहनों के शांत संचालन के कारण उनके पास आने का पता नहीं चल पाता।
- इलेक्ट्रिक वाहनों, विशेष रूप से दोपहिया और तिपहिया वाहनों के बढ़ते चलन के साथ, एक चेतावनी प्रणाली की आवश्यकता महसूस की गई थी।
दोपहिया और तिपहिया वाहनों पर प्रयोज्यता
- मसौदा अधिसूचना में वर्तमान में दोपहिया, तिपहिया, ई-रिक्शा और ई-कार्ट को AVAS आवश्यकता से बाहर रखा गया है।
- विश्लेषकों ने चिंता जताते हुए सुझाव दिया है कि सभी इलेक्ट्रिक वाहनों में, विशेष रूप से दूरदराज के क्षेत्रों में चलने वाले वाहनों में, दुर्घटना के जोखिम को कम करने के लिए AVAS लगाया जाना चाहिए।
भारत में ई-वाहन
- मंत्रालय ने इस बात पर प्रकाश डाला कि इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, 2024 में इनकी 50 लाख इकाइयाँ बिकीं, जो कुल वाहन बिक्री का 7.44 प्रतिशत है।
- भारत में, कुल बिक्री में इलेक्ट्रिक वाहनों की हिस्सेदारी 2014-15 में 01 प्रतिशत से बढ़कर 2024-25 में 7.31 प्रतिशत हो गई है, और फरवरी 2025 तक 56.75 लाख पंजीकृत वाहन थे।
भारत का पहला स्वदेशी संक्रामक गोजातीय राइनोट्रेकाइटिस (IBR) टीका
संदर्भ:
हाल ही में, इंडियन इम्यूनोलॉजिकल्स लिमिटेड (IIL) ने संक्रामक गोजातीय राइनोट्रेकाइटिस (IBR) के खिलाफ भारत का पहला स्वदेशी रूप से विकसित ग्लाइकोप्रोटीन ई (gE) डिलीटेड दिवा (DIVA) मार्कर वैक्सीन लॉन्च किया है।
अन्य संबंधित जानकारी
- रक्षा-आईबीआर नामक इस टीके का उद्देश्य इस बीमारी से जुड़ी बांझपन, गर्भपात और दूध की उत्पादकता में कमी की समस्या का समाधान करना है।
- यह टीका IIL और राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के वैज्ञानिकों द्वारा वर्षों के संयुक्त अनुसंधान के बाद विकसित किया गया है।
- यह शुभारंभ कार्यक्रम 27 सितंबर को गुजरात के आणंद में राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड के हीरक जयंती समारोह के साथ हुआ।
- रक्षा-आईबीआर जैसे मार्कर टीके पशु चिकित्सकों को संक्रमित और टीका लगाए गए पशुओं (DIVA) के बीच अंतर करने में सक्षम बनाते हैं।
- भारत के पास अब तक आईबीआर के लिए कोई टीका या विशिष्ट उपचार नहीं था, जिससे यह प्रगति पशु स्वास्थ्य और डेयरी उत्पादकता के लिए महत्वपूर्ण हो गई है।
संक्रामक गोजातीय राइनोट्रेकाइटिस (IBR) के बारे में
- IBR भारत का स्थानिक रोग है और बोवाइन हर्पीज़ वायरस टाइप 1 (BHV-1) के कारण होता है।
- BoHV-1, अल्फाहर्पीसविरिने उपपरिवार के वैरिसेलोवायरस जीनस का सदस्य है।
- यह रोग एरोसोल मार्गों से फैलता है और प्रजनन तंत्र को प्रभावित करता है।
- यह संक्रमित वीर्य द्वारा बैलों से दुधारू पशुओं में भी फैलता है।
- प्रभाव: बांझपन, गर्भपात और दुग्ध उत्पादकता में कमी।