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सामान्य अध्ययन-3: विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी में भारतीयों की उपलब्धियां; देशज रूप से प्रौद्योगिकी का विकास और नई प्रौद्योगिकी का विकास।
संदर्भ:
हाल ही में, भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) के शोधकर्ताओं ने एक साइफन-संचालित तापीय विलवणीकरण प्रणाली विकसित की है जो मौजूदा तरीकों की तुलना में अधिक तेजी से, किफायती और अधिक विश्वसनीय तरीके से खारे समुद्री जल को स्वच्छ पेयजल में बदल सकती है।
तापीय विलवणीकरण प्रणाली
- तापीय विलवणीकरण प्रणाली से तात्पर्य ऐसी प्रणाली से हैं जो समुद्री जल को निरंतर खींचने के लिए सिफोनेज के सिद्धांत (Principle of Siphonage) का लाभ उठाती है, जिससे उसका वाष्पीकरण होता है और बाद में वह पीने योग्य पानी में संघनित हो जाता है।
पारंपरिक सौर स्टिल्स की प्रमुख चुनौतियाँ
- नमक का संचय: पारंपरिक सौर स्टिल में वाष्पीकरण प्रक्रिया के दौरान, समुद्री जल में मौजूद नमक क्रिस्टलीकृत होकर गर्म वाष्पीकरणकर्ता की सतहों पर जमा हो जाता है। नमक के इस संचय से एक पपड़ी बन जाती है जो जल प्रवाह को बाधित करती है, और इससे प्रभावी वाष्पीकरण क्षेत्र काफ़ी कम हो जाता है।
- केशिका बाती सीमाएं और स्केलिंग बाधाएं: सौर स्टिल में बाती सामग्री (Wick Material) का उपयोग खारे पानी को वाष्पीकरण सतह (Evaporation Surface) तक पहुँचाने के लिए किया जाता है। लेकिन बाती की सीमित लिफ्टिंग हाइट (10-15 सेमी.) की वजह से, पूरे सिस्टम का आकार (scale) और प्रति चरण पानी का उत्पादन (Water Output Per Cycle) दोनों बाधित हो जाते हैं।

साइफन
- साइफन एक ऐसा उपकरण है जो द्रव्य पदार्थ को एक जलाशय से दूसरे निचले स्तर वाले स्थान पर स्थानांतरित करता है, भले ही पहले द्रव्य को ऊपर की ओर स्थानांतरित किया गया हो।
- साइफन प्रभावी रूप से एक उल्टे U-आकार का ट्यूब होता है, जिसमें दोनों भुजाएँ असमान लंबाई की होती हैं।
साइफन विलवणीकरण प्रणाली की तकनीक और कार्य सिद्धांत
संयुक्त साइफन तंत्र: इस प्रणाली का मुख्य घटक एक संयुक्त साइफन है, जो एक कपड़े की बाती (विक) से बना होता है और यह नालीदार धात्विक सतह से जुड़ी होती है।
- कपड़े की बाती जलाशय से खारे पानी को खींचती है, जबकि गुरुत्वाकर्षण निरंतर और स्थिर प्रवाह को सुगम बनाता है, जिससे नमक के जमाव का संचय होने से पहले ही उसे प्रभावी ढंग से बहा दिया जाता है।
पतली परत का वाष्पीकरण और संघनन: पानी गर्म धातु की सतह पर एक पतली परत के रूप में फैलता है, जहाँ इसका वाष्पीकरण होता है। परिणामस्वरूप वाष्प, लगभग दो मिलीमीटर की दूरी पर स्थित एक ठंडी सतह पर संघनित हो जाती है।
अति-संकीर्ण वायु अंतराल के माध्यम से बेहतर दक्षता: अति-संकीर्ण वायु अंतराल प्रणाली की तापीय दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करता है। यह प्रति वर्ग मीटर प्रति घंटे 6 लीटर से अधिक पेयजल उत्पादन को सक्षम बनाता है, जो पारंपरिक सौर स्टिल्स की तुलना में कई गुना अधिक है।
साइफन-संचालित तापीय विलवणीकरण प्रणाली के लाभ
- बहुस्तरीय ऊष्मा पुनर्चक्रण: अनेक वाष्पक-संघनित्र युग्मों को एक साथ जोड़कर, प्रणाली ऊष्मा का बार-बार पुनर्चक्रण करती है, जिससे सौर ऊर्जा से उत्पादन अधिकतम हो जाता है।
- नमक प्रतिरोध: साइफन क्रिस्टलीकरण से पहले नमक को बहा देता है, जिससे सिस्टम 20% नमक सांद्रता तक के अत्यधिक खारे पानी (जिसमें नमकीन पानी भी शामिल है) को संभालने में सक्षम होता है।
- कम लागत और मापनीयता: एल्युमीनियम और कपड़े जैसी साधारण सामग्रियों से निर्मित, यह प्रणाली किफायती और मापनीय है।
- स्थायित्व: यह सौर ऊर्जा या अपशिष्ट ऊष्मा पर चलती है, और ऑफ-ग्रिड समुदायों (Off-Grid Communities), आपदा क्षेत्रों और शुष्क तटीय क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है।
- जल संकटग्रस्त क्षेत्रों के लिए पेयजल: यह जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में लाखों लोगों के लिए सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है। छोटे गाँवों से लेकर द्वीपीय देशों तक, साइफन-संचालित विलवणीकरण प्रणाली अंततः समुद्र को ताज़े पेयजल का एक विश्वसनीय स्रोत बना सकती है।